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जुर्माने के साथ कार्यक्रम की मंजूरी से श्रीश्री रविशंकर नाखुश

नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर का समारोह दिल्ली में अपने तय समय पर होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दो दिनों की सुनवाई के बाद इसकी मंजूरी दे दी। श्रीश्री ने इस फैसले पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ अपील करेंगे। एनजीटी के फैसले से श्री श्री रविशंकर संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हम इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। हम अपील करेंगे। सत्यमेव जयते! इसके अलावा भी उन्होंने कई ट्वीट कर फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हम ने दिल्ली वालों से दिल से कहा, यमुना के किनारे थोड़ी सी ज़मीन दो; झाड़ू लगाएंगे, जादू दिखाएंगे, दुनिया को बुलाएंगे, जन्नत उतारेंगे। ट्रिब्यूनल ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र में होने वाले पारिस्थितिकि नुकसान के लिए फाउंडेशन पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण और जल संसाधन मंत्रालय के साथ ही डीडीए को ड्यूटी में चूक के लिए फटकार लगाई। इसके लिए डीडीए पर पांच लाख और डीपीसीसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि वो केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना के तहत इस कार्यक्रम के लिए 53 लाख रुपये चाहते हैं। इस रकम से ट्वायलेट, डस्टबिन खरीदे जाएंगे और स्वयंसेवकों को लगाया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर अमल के लिए दिल्ली सरकार को श्रीश्री रविशंकर से मिली चिट्ठी को आगे बढ़ा दिया है। इंडिया टुडे नेटवर्क को आर्ट ऑफ लिविंग की वो चिट्ठी मिली है जिसमें फंड की डिमांड का प्रस्ताव केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से किया गया है। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के 35 साल हो जाने के मौके पर होने वाला तीन दिनों का यह समारोह 11- 13 मार्च को होगा. उद्घाटन के दिन भव्य कार्यक्रम में 35,973 कलाकार एक साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगे. इसमें दुनिया भर से करीब 3.5 लाख लोगों के आने की उम्मीद है। बड़े पैमाने पर समारोह की तैयारी की जी रही है। श्रीश्री रविशंकर की संस्था की ओर से दिल्ली के मयूर विहार इलाके में यमुना किनारे अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाना है। पर्यावरणविदों ने शुरुआत में ही समारोह को लेकर नियमों के उल्लंघन और यमुना कछार को होने वाली दिक्कतों पर सवाल उठाया था।
पुलिस ने गिनाईं खामियां 
तीन दिवसीय 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल' की तैयारियों में पांच बड़ी खामियां उजागर की हैं। इनमें सबसे बड़ी खामी संरचनात्मक मजबूती का अभाव है। गृह एवं शहरी विकास मंत्रालय को हाल ही में पुलिस ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें इन खामियों के कारण कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट से इसका भी खुलासा हुआ है कि इस कार्यक्रम की बुनियादी जरूरत संरचनात्मक मजबूती के बारे में अभी संबंधित प्राधिकरण से स्वीकृति प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाना है। दिल्ली पुलिस ने इस आयोजन में शामिल अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ आयोजन स्थल का मुआयना किया है. फाउंडेशन ने इस कार्यक्रम से जुड़ी प्रचार सामग्री में इसमें 35 लाख लोगों के भाग लेने की बात कही है, जबकि बुधवार को हरित न्यायाधिकरण से कहा है कि इस समारोह में केवल तीन लाख के करीब लोग आएंगे. आयोजन स्थल करीब एक हजार एकड़ में फैला है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य महत्वपूर्ण लोगों के भाग लेने की उम्मीद है। इसलिए जो मंच तैयार किया गया है वह कितना मजबूत है यह महत्वपूर्ण मुद्दा है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'दिल्ली पुलिस पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी के साथ शहर की कानून-व्यवस्था बनाए रखने की भी जिम्मेदारी है। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जताई गई है।' कार्यक्रम स्थल तक जाने के लिए जो रास्ते हैं वह भी दिल्ली पुलिस की चिंता के सबब हैं। क्योंकि यमुना नदी पर जितने अस्थाई पुल बनाए गए हैं वे कार्यक्रम के आयोजकों ने जितना वादा किया था उसके आधे हैं। सात की जगह सिर्फ दो पुल बने हैं जबकि कार्यक्रम शुरू होने में मात्र दो दिन शेष हैं। जो बने भी हैं उन पर रेलिंग नहीं है। जो खतरनाक साबित हो सकता है। लोग सीधे नदी में गिर सकते हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में लोगों के बीच आतंकियों के भी घुसपैठ करने की आशंका जताई जा रही है। खुफिया ब्यूरो की जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के गुजरात सीमा के जरिये 10 संदिग्ध आतंकी घुसे हैं। गाड़ियां खड़ी करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। आयोजकों का दावा है कि करीब 10-12 हजार कारें आयोजन स्थल पर पहुंचेंगी। इसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने पुलिस को कार्यक्रम को बहुत सावधानी और पर्याप्त उपाय करते हुए संभालने को कहा है।
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