नयी दिल्ली। संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और अहम जीएसटी विधेयक एवं रियल एस्टेट विधेयक को शीघ्र पारित कराने के लिए उनसे सहयोग मांगा। उन्होंने साथ ही कहा कि यदि दल सहमत होते हैं तो सरकार बजट सत्र शीघ्र बुलाने के लिए तैयार है। नायडू आज सुबह यहां 10 जनपथ में सोनिया के आवास पहुंचे और उनसे करीब 20 मिनट तक बात की. ऐसा बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने उनसे जीएसटी के संबंध में कांग्रेस के तीन मुख्य सुझावों पर सरकार की राय के बारे में पूछा। सूत्रों ने बताया कि नायडू ने सोनिया को बताया कि जीएसटी विधेयक के संबंध में कांग्रेस ने जो बातें उठाई हैं, उन पर सरकार विचार कर रही है और सरकार के रूख के बारे में कांग्रेस नेताओं को पूर्व में बता दिया गया है। नायडू ने रियल एस्टेट विधेयक के बारे में सोनिया को बताया कि कांग्रेस और अन्य दलों के फैसले के अनुसार विधेयक को राज्य सभा की प्रवर समिति को भेजा गया और सरकार ने समिति की लगभग सभी सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को बताया कि यदि जरूरत पड़ी और यदि राजनीतिक दल सहमत हुए तो सरकार संसद का बजट सत्र समय से पूर्व बुलाना चाहेगी ताकि ये विधेयक शीघ्र पारित हो सकें।
ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने नायडू को बताया कि वह अपनी पार्टी के नेताओं के साथ विचार विमर्श करने के बाद उनसे बात करेंगी. जीएसटी के संबंध में संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है जहां सत्तारूढ राजग के पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस इस विधेयक का विरोध कर रही है हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। वेंकैया नायडू ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने संसदीय मामलों का मंत्री होने के नाते सोनिया से मुलाकात की और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से दो लंबित विधेयकों पर अंतिम रख अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा से इस बारे में पहले ही बात कर चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद इस मामले पर कांग्रेस के निर्णय लेने के बारे में याद दिलाया और उनसे जीएसटी और रियल एस्टेट विधेयकों पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा।’’ नायडू ने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें इस बात का संकेत दिया कि यदि पार्टी सकारात्मक रख अपनाती है तो हम संसद का सत्र शीघ्र बुला सकते हैं लेकिन कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई।’’ कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करने के लिए इसमें तीन बदलाव किए जाने की मांग की है। इनमें से एक मांग है कि जीएसटी दर की संविधान में उपरी सीमा तय की जाए. दूसरी मांग है कि माल के अंतर-राज्यीय स्थानांतरण पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर हटाया जाए और उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में विवाद निपटाने के लिए एक पैनल का गठन किया जाए। जीएसटी विधेयक राजनीतिक गतिरोध के कारण कई वर्षों से अटका हुआ है. पूर्ववर्ती संप्रग सरकार भाजपा और कुछ अन्य दलों के विरोध के कारण इस विधेयक को संसद में पारित नहीं करा पाई थी और अब कांग्रेस ने राजग सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक को उसके मौजूदा रूप में समर्थन देने ने इनकार कर दिया है।
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