पटना। बिहार में महागठबंधन को मिली ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर अब यूपी विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए सिरदर्द बनेंगे। गौरतलब है कि किशोर ने नीतीश कुमार का चुनाव प्रबंधन की बागडोर संभाली थी। इससे पहले लोकसभा चुनाव में किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव प्रबंधन संभाल चुके हैं। अच्छे दिन और चाय पर चर्चा वाले स्लोगन प्रशांत किशोर के दिमाग की ही उपज थे। बताया जाता है कि यूपी में कांग्रेस चाहती है कि प्रशांत किशोर उनके चुनाव प्रबंधन संभाले। इस संबंध में किशोर से कांग्रेस के आला नेताओं ने संपर्क भी साधा है।
किशोर के एक करीबी की माने तो अगर किशोर यूपी में कांग्रेस के साथ काम करते हैं तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। बताया जाता है कि तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु के लिए एआईएडीएमके ने भी किशोर से संपर्क किया है। इसके लिए कांग्रेस ने असम चुनाव के लिए भी उनसे संपर्क साधा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यूपी में अगर पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा तो कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। वहीं राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि यूपी में कांग्रेस सबसे कमजोर खिलाड़ी है। ऐसे मे किशोर के सामने 2012 के गुजरात चुनाव मेें मोदी की जीत और 2014 के लोकसभा चुनाव या 2015 के नीतीश के प्रचार से बड़ी चुनौती यूपी में होगी। वहीं किशोर को भी अच्छी तरह पता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव का रास्ता 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से होकर गुजरेगा। 2017 में जीतने वाली पार्टी की 2019 की जंग में बढ़त रहेगी।
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