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त्रिशूल और वज्र के सहारे एलएसी पर चीन से निपटेगी भारतीय सेना

नई दिल्ली। बॉर्डर पर चीनी सैनिकों से मुकाबला करने के लिए भारतीय सैनिक भगवान शिव के त्रिशूल, इंद्र देव के वज्र, सैपर पंच, दंड और भद्र से लैस हो रहे हैं। त्रिशूल एंड पंच कंपनी ने स्पाइक्स के साथ मेटल रोड टेजर बनाया है जिसे वज्र नाम दिया गया है। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हेरॉन ड्रोन, एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर और इसके हथियारयुक्त संस्करण रुद्र का उपयोग कर रही है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों को पकड़ने के लिए बलों ने हाई-एंड कैमरे और सिंथेटिक एपर्चर रडार लगाए हैं। इस बीच गलवान घाटी संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों के खिलाफ चीनी सेना के कंटीले क्लबों और टेसरका उपयोग करने के मद्देनजर भारतीय सेना को अब गैर-घातक हथियार प्रदान किए जायेंगे हैं जो भगवान शिव के 'त्रिशूल' जैसे पारंपरिक भारतीय हथियारों से प्रेरित हैं। नोएडा स्थित एक स्टार्ट-अप को चीनी आक्रमण को विफल करने के लिए एलएसी पर तैनात सुरक्षा बलों के लिए पारंपरिक हथियार बनाने का काम सौंपा गया था। अपेस्टरॉन प्राइवेट लिमिटेड के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर मोहित कुमार के अनुसार, हमें भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था, क्योंकि चीन ने हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार की छड़ें और टेसर का इस्तेमाल किया था। कंपनी ने स्पाइक्स के साथ मेटल रोड टेजर बनाया है जिसे वज्र नाम दिया गया है। पारंपरिक हथियार का इस्तेमाल सेना द्वारा दुश्मन सैनिकों पर आक्रामक रूप से हमला करने के साथ-साथ उनके बुलेट-प्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है। बलों को 'सैपर पंच' नामक एक और टेसिंग उपकरण प्रदान किया गया है जिसे शीतकालीन सुरक्षा दस्ताने की तरह पहना जा सकता है और दुश्मन को वर्तमान निर्वहन के साथ एक या दो झटका देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि गलवान घाटी संघर्ष के दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर कंटीले क्लबों से हमला किया था। विदित है कि सीमा पर चीन के मंसूबे ठीक नहीं हैं। वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपनी सैन्य स्थिति और मजबूत करने और अपने एयरबेस को उन्नत करने में जुटा हुआ है। बहरहाल, देखना है कि आगे क्या होता है।
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