ताज़ा ख़बर

क्या ‘बिना पेनी के लोटा’ हैं भाजपा एमएलसी टुन्ना पांडेय

पटना (संजय वर्मा)। ‘बिना पेनी के लोटा’ किसे कहते हैं। अमूमन हर आदमी इस बात को जानता है। फिर भी मैं बता देता हूं। ‘बिना पेनी के लोटा’ माने होता है कोरा बकवासबाज। जिसकी आदतों को हर कोई जानता है। जिसकी कहीं कोई अहमियत नहीं है। जिसे कोई भाव नहीं देता है। आजकल एक ‘बिना पेनी के लोटा’ के चक्कर में ही बिहार की राजनीति कथित तौर पर गरमाई हुई है। जबकि होना-हवाना कुछ नहीं है। हवाबाजों के बकवासबाजी से न तो सरकारें बनती हैं और ना गिरती है। बिहार में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। ताजातरीन मामला ये है कि भाजपा के एक एमएलसी टुन्ना पांडेय ने पिछले दिनों कहा था कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री है। याद कीजिए, यह वही बयान है, जो कभी राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन ने दिया था। हाल ही में शहाबुद्दीन का निधन हो गया है। 2015 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन की ओर से सीएम बनाए गए थे, शहाबुद्दीन ने कहा कि था कि हमारे नेता लालू यादव हैं। नीतीश तो परिस्थितियों के सीएम हैं। हम नीतीश को अपना नेता नहीं मानते। कभी एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे टुन्ना पांडेय ने शहाबुद्दीन के बयान को दोहरा दिया है। टुन्ना पांडेय के विरोधी कई तरह की बातें करते हैं। कहते हैं टुन्ना पांडेय ‘चापलूस’ टाइप के नेता हैं। हाल में शहाबुद्दीन के घर मातमपुर्सी के लिए गए थे, तभी यह बयान दिया ताकि शहाबुद्दीन के परिवार के लोग उनपर कृपा कायम रखें। दरअसल, सीवान में शहाबुद्दीन के नाम का डंका बजता था। शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके पुत्र ओसामा कमान संभाले हुए हैं। खैर, चलिए, ये सब तो होता-जाता रहेगा। अब हकीकत से परदा उठाते हैं। सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि भाजपा में टुन्ना पांडेय को ‘कोई नोटिस’ नहीं लेता। उसका वजह सिर्फ उनका ‘भड़भड़ियापन’ है। इसीलिए उनकी बातों को गंभीर नहीं माना जाता। रहा सवाल भाजपा द्वारा टुन्ना पांडेय को भेजे गए नोटिस का, तो उसका भी कोई अर्थ नहीं है। पता नहीं कितनी बार भाजपा उन्हें अलर्ट कर चुकी है, पर उनपर कोई फर्क नहीं पड़ता। सीवान के बड़हरिया से राजद के टिकट पर अपने भाई बच्चा पांडेय को चुनाव जीताने वाले टुन्ना पांडेय ने खुलेआम भाजपा-जदयू नीत एनडीए उम्मीदवार श्याम बहादुर के खिलाफ प्रचार किया, फिर भी भाजपा टुन्ना पांडेय का कुछ नहीं उखाड़ पाई। इसलिए नोटिस-वोटिस का कोई अर्थ नहीं है। यह वही टुन्ना पांडेय हैं जिन पर जुलाई 2016 में एक नाबालिग लड़की ने चलती ट्रेन में कुछ गड़बड़-सड़बड़ करने का आरोप लगाया था। कथित ‘चरित्रहीन’ टुन्ना पांडेय के खिलाफ पोस्को एक्ट में मुकदमा भी दर्ज हुआ और गिरफ्तारी भी हुई। बाद में मामला रफा-दफा हो गया। तबसे ही इन्हें भाजपा में भाव मिलना बंद हो गया। रहा सवाल टुन्ना पांडेय के ‘बकवास’ पर जदयू के संजय सिंह के पलटवार का तो यह सिर्फ मीडिया ट्रायल है। अपने-अपने आकाओं को खुश करने के लिए ये दोनों नेता बयानबीर बने हुए हैं। टुन्ना पांडेय ओसामा की नजर में तो संजय सिंह नीतीश की नजर में खुद को लॉयल दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा सियासी बवाल सिर्फ इतना तक ही है। जहां तक सरकार को अस्थिर करने की बात है तो उसकी रणनीति बहुत पहले ही बन चुकी है। जिसकी सूचना सीनियर जर्नलिस्ट संजय वर्मा ने लालू यादव के जेल से छुटने के बाद ही दे दी थी। सरकार के भविष्य का फैसला लालू यादव, उपेन्द्र कुशवाहा, मनोज झा व तेजस्वी यादव के बीच हुई करीब महीने भर पूर्व की बैठक में पारित एजेंडे के आधार पर ही होगा। वह घड़ी भी बहुत जल्द आने वाली है। आप चाहे तो डिस्क्रिप्शन बाक्स में दिए गए लिंक से पुराने वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें उक्त बैठक की चर्चा की गई थी।
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: क्या ‘बिना पेनी के लोटा’ हैं भाजपा एमएलसी टुन्ना पांडेय Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in