पटना/मुम्बई (संजय वर्मा)। बिहार में आजकल एगो अलगे टाइप का बवाल मचा हुआ
है। उसका कारण है वेब सीरीज ‘महारानी’। महारानी में हुमा कुरैशी के किरदार को लेकर
विवाद है। इस वेब सीरीज में हुमा रानी भारती नाम के किरदार में हैं, जिसका पति सीएम
रहता है, लेकिन जब उसपर जानलेवा हमला होता है तो घायल सीएम अपनी पार्टी के सभी
नेताओं को दरकिनार करते हुए अपनी पत्नी रानी को सीएम बना देता है। अब ये कहानी भले
ही वेब सीरीज की है, लेकिन इसको लोग बिहार के एक बड़े राजनीतिक घराने लालू परिवार
से जोड़कर देख रहे हैं। बताते हैं हुमा कुरैशी के किरदार को बिहार की पूर्व
मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के किरदार से जोड़ा जा रहा है, कई लोग इसी बहाने राबड़ी
देवी पर कमेंट भी करने लगे हैं। अपने परिवार पर उंगलियां उठीं तो खुद लालू की बेटी
रोहिणी मैदान में उतर आईं और उन्होंने सीधे बिहार सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर
दिया। दरअसल, बिहार को राजनीति का पाठशाला कहा जाता है। जातीय समीकरण समझने हो,
राजनीतिक पैंतरे सीखने हों, या देश के असल मुद्दों पर ज्ञान चाहिए हो, तो बस बिहार
चले जाइए, आपके ज्ञानचक्षु खुल जाएंगे। वैसे भी बिहार की राजनीति के कई अध्याय हैं
जिन्होंने ना सिर्फ बिहार को बदल कर रख दिया बल्कि देश की राजनीति पर भी अपना गहरा
असर छोड़ा। ऐसा ही एक दौर था जब लालू प्रसाद बिहार के सीएम हुआ करते थे। फिर उनकी
पत्नी राबड़ी देवी ने भी सत्ता संभाली। अब कई वर्षों बाद महारानी के मेकर्स हमें
फिर उस दौर में ले गए हैं। कहानी लालू या राबड़ी की नहीं है, लेकिन दौर जरूर वही
है, राजनीति भी तभी की दिखा दी गई है। कहानी है कि कई वर्षों बाद बिहार में पिछड़ी
जाति का कोई मुख्यमंत्री बना है। नाम है भीमा भारती और काम-पिछड़ों को बिहार की
राजनीति में ऊपर ले आना, उन्हें ऊंची जाति वालों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना
सिखाना। लेकिन राजनीति का ही खेल है कि सत्ता संभालते ही भीमा भारती पर जानलेवा
हमला हो जाता है। गोली मारी जाती है, किसने मारी, पता नहीं चलता. संकट काफी बड़ा
है, सरकार अभी-अभी बनी है, राजा ही घायल हो गया है, ऐसे में बिहार जैसे बड़े राज्य
की जिम्मेदारी कौन संभालेगा। पार्टी में नेता कई हैं, सीएम बनने के सपने भी बुने जा
रहे हैं, लेकिन भीमा भारती का दिमाग कुछ ज्यादा ही तेज चलता है। अपनी ही पार्टी के
बड़े नेताओं को छोड़ पत्नी रानी भारती (हुमा कुरैशी) को सीएम बनवा देते हैं। फंडा
सिंपल है, कागज पर मुख्यमंत्री रानी रहेंगी, लेकिन सत्ता भीमा ही चलाएंगे। इतना
बड़ा दांव तो चल दिया, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही नाराज कर गए। पार्टी के
अंदर ही फूट पड़ गई और कई नेता अपने ही राजा को सबक सिखाने के चक्कर में पड़ गए।
लेकिन बिहार की पहली महिला सीएम बनीं रानी भारती ने भी तेवर दिखाने शुरू किए। अपने
ही 'साहेब' के खिलाफ जाने की हिम्मत दिखाने लगीं। कभी मंत्रियों का मंत्रालय बदल
दिया, किसी को बर्खास्त कर दिया, इनक्वायरी बैठा दी। सबकुछ होता रहा और भीमा भारती
एक घायल राजा की तरह बस देखते रहे। यही है महारानी की कहानी. इसमें राजनीति है,
राजनीतिक दांव-पेंच हैं और सत्ता में बने रहने की एक लालसा। आपको बता दें कि वेब
सीरीज के ट्रेलर आने के बाद ही एक डायलॉग को लेकर विवाद गहराने लगा था। आखिर वो
डायलॉग है क्या। हमसे 50 लीटर दूध दुहवा लीजिए.... पांच सौ गोबर का गोइठा ठोंका
लीजिए, लेकिन एक दिन में इतनी फाइल पर अंगूठा नहीं लगा सकती ! वेब सीरीज में 90 के
दशक का बिहार दिखाया गया है। बिहार के सीएम गोली लगने के बाद अपनी चौथी पास बीवी को
सीएम बना देता है, जिसे साइन करना भी नहीं आता वो फाइलों को बिना पढ़ें अंगूठा
लगाती है। वेब सीरीज में हुमा जिस तरह से ठेठ बिहारी अंदाज में अपना किरदार निभा
रही हैं, उसे देखकर लोगों को वो दौर याद आ रहा है, जब लालू प्रसाद यादव ने राबड़ी
को अपना उत्तराधिकारी बनाकर सीएम बनाया था। लालू अपनी आत्मकथा में भी लिखते हैं कि
24 जुलाई को 1997 को उन्होंने अपने निवास पर विधायकों की बैठक बुलाई थी और विधायकों
ने मिलकर राबड़ी देवी के नाम पर मुहर लगाई थी। उसके बाद लालू की चारा घोटाले में
गिरफ्तारी के चलते सीएम की कुर्सी छोड़ दी और राबड़ी किचन से निकलकर सीधे बिहार के
सीएम की कुर्सी पर पहुंच गईं। अब वेब सीरीज महारानी के मेकर्स भले इसको काल्पनिक
कहानी बता रहे हैं, इसकी कहानी लालू परिवार से मिलती जुलती ही लगती है। दिलचस्प ये
है कि महारानी के आने के बाद राबड़ी देवी पर होने वाले कटाक्ष से रोहिणी आचार्य
बेहद गुस्से में हैं। रोहिणी ने मौजूदा बिहार सरकार को ही निशाने पर ले लिया है। अब
देखना है कि महारानी का पंगा कहां जाकर थमता है। लिंक पर क्लिक कर वीडियो जरूर
देखें और सब्सक्राइब करें-
https://www.youtube.com/watch?v=stwl81Lu4FM&list=UU-9KgNFktxC2O14LB5NkLNw
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।