
भुवनेश्वर। जयोदेव भवन में लीलामय नीलाद्रिश काला ठाकुर सांस्कृतिक कार्यक्रम सह संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें सबसे पहले भुवनेश्वर भंजभारती के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय मदन मोहन पाणिग्राही की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर तथा दो मिनट तक मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति तथा उनके योगदानों को याद किया गया। प्रसिद्ध ओडिया भजनगायक डा मृत्युंजय रथ और उनके सहयोगियों की ओर से कार्तिक महात्म्य से जुड़े अनेक जगन्नाथ भजन प्रस्तुत किये गये। ओडिशी गुरु स्वयंप्रज्ञा साहु के शिष्यों द्वारा राधा-दामोदर लीला नृत्य प्रस्तुत किया गया। समारोह की अध्यक्षता नीलाद्रि मोहन सतपथी अध्यक्ष भुवनेश्वर भंजभारती तथा दूरदर्शन केन्द्र के कार्यक्रम हेड ने की। ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा अक्षय कुमार पाणिग्राही समारोह के मुख्य अतिथि थे। आमंत्रित अतिथि थे प्रो हरिहर होता, कुलपति श्रीजगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी तथा मुख्य वक्ता के रुप में डा कृष्ण केशव षाडंगी संस्था के महासचिव ने योगदान दिया। श्री सतपथी ने भगवान जगन्नाथ संस्कृति की तात्विक और सात्विक विवेचना प्रस्तुत करते हुए कार्तिक मास के अवसर पर श्रीजगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना को हरप्रकार से फलदायी बताया। प्रो हरिहर होता ने श्रीक्षेत्र की विवेचना प्रस्तुत करते हुए श्रीक्षेत्र महात्म्य को मां लक्ष्मी आदि के वहां विराजमान होने को लेकर किया। मुख्य अतिथि ने श्रीजगन्नाथ संस्कृति को ओडिया जाति का प्राण बताते हुए जगन्नाथ भगवान को विश्व मानवता का केन्द्र बताया। समसामयिक आयोजन के लिए भुवनेश्वर भंजभारती को बधाई दी। डा कृष्ण केशव षाडंगी ने बताया कि जगन्नाथ भगवान आध्यात्मिक चेतना के प्राण हैं और कार्तिक मास में उनकी आराधाना तथा पुरी में पंचतीर्थ स्नान आदि का क्या महात्म्य है। आभार प्रदर्शन संस्था के उपाध्ध्यक्ष मिलन कुमार साहु ने किया जबकि मंच संचालन किया रुपसा महापात्र ने। आयोजन को सफल बनाने में बिजया मिश्रा, अशोक मिश्रा, पवित्रमोहन साहु, दिलीप दास, प्रसन्न कुमार बेहरा और सुरमा दाश आदि का सहयोग रहा।
प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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