भुवनेश्वर। श्री श्री लक्ष्मण शरणजी महाराज के कृपा पात्र शिष्य पण्डित रामशरणजी महाराज वृंदावनवासी द्वारा व्यासपीठ से 13 जुलाई से श्रीरामचरितमानस महाकाव्य के अलग-अलग प्रसंगों की सात दिवसीय कथा 19 जुलाई को सायंकाल कथा समाप्ति के उपरांत आरती और पूणार्हूति के साथ संपन्न हो गई। आयोजक श्रीराम कथा सेवा समिति भुवनेश्वर के ओमप्रकाश मिश्रा, कुसुम शुक्ला, पुष्पा मिश्रा, पिंकी शर्मा, पुष्पा चंदुका और सुशीला गुप्ता ने व्यासजी के प्रति और रामकथा श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। आज की कथा में श्री रामशरणजी महाराज ने श्रीराम-जानकी विवाह, कैकेई-दशरथ संवाद से लेकर श्रीराम के राजतिलक आदि प्रसंगों का भावग्राही वर्णन किया। उनके अनुसार माता कुमाता कभी नहीं हो सकती। यह तो जैसी श्रीरामजी की मर्जी थी सबकुछ वैसा ही हुआ। राम के वनगमन में कैकेई का कोई हाथ नहीं था लेकिन सारी दुनिया कैकेई को दोष देती है। लेकिन ऐसा तो श्रीराम चन्द्रजी इच्छानुसार ही हुआ जिसके लिए वे अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र के रुप में अवतरित हुए थे। राजतिलक प्रसंग आदि पर मिथिलांचल की सांस्कृतिक परम्पराओं का व्यासपीठ से मार्मिक वर्णन हुआ। कथा के विराम से पूर्व व्यासजी ने आयोजकों के प्रति सादर आभार व्यक्त करते हुए यह कहा कि अगर जगन्नाथ भगवान की इच्छा हुई तो पुन: वे रामकथा हेतु ओडिशा अवश्य आएंगे।
प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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