अहमदाबाद/शिमला। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे अब बिल्कुल स्पष्ट हो चुके हैं। दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने बहुमत हासिल कर लिया है। दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। गुजरात की 182 सीटों में से बीजेपी 98 सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि 1 सीट पर वह अभी आगे चल रही है। बीजेपी को यहां कुल 99 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। कांग्रेस एक बार फिर यहां 22 वर्षों से जारी बीजेपी की सत्ता को उखाड़ पाने में विफल साबित हुई है। कांग्रेस ने 74 सीटों पर जीत दर्ज कर 6 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस को यहां 80 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। लेकिन गुजरात में कांग्रेस बीजेपी के कई गढ़ों में सेंध लगाने में कामयाब हुई है। वहीं हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां भी बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार करती नजर आ रही है। हिमाचल की कुल 68 सीटों में बीजेपी 41 सीटों को अपनी झोली में डालती हुई नजर आ रही है।जबकि कांग्रेस यहां 23 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। थोड़ी ही देर में अंतिम फैसले आ जाएंगे जिससे जीत और हार की तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाएगी। लेकिन अब तक आए नतीजों से जो तस्वीर बनकर उभरी है, उसमें जीत तो बीजेपी को मिली है लेकिन बढ़त कांग्रेस को मिलती नजर आ रही है। यही नहीं, आज के चुनाव परिणाम में बीजेपी के कई गढ़ भी ध्वस्त हुए हैं। बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले अहमदाबाद में कांग्रेस ने बड़ी सेंध लगाई है। अहमदाबाद की 2 सीटों पर अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने बीजेपी उम्मीदवारों को हरा दिया है। अहमदाबाद शहर की दरियापुर सीट से कांग्रेस के गयासुद्दीन शेख और जमालपुर सीट से इमरान खेड़ावाला ने बीजेपी के उम्मीदवारों को हराकर चुनाव जीत लिया है।
इसके अलावा बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाने वाले शहरी क्षेत्रों पर भी कांग्रेस ने अपनी गंभीर दस्तक दी है। वहीं बीजेपी की जीत के बावजूद बीजेपी सरकार में मंत्री रहे कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे नितिन पटेल भी कई राउंड की गिनती में अपने प्रतिद्वंद्वी से पीछे रहे थे, लेकिन आखिरी समय में उन्होंने बाजी मार ली। अगर बड़े नामों की बात करें तो गुजरात सरकार में सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रहे केशाजी ठाकोर बनासकांठा की दीयोदर सीट से, सामाजिक न्यायमंत्री आत्माराम परमार बोटाद की गढ्डा सीट से, जल आपूर्ति मंत्री रहे जशा बारड़ सोमनाथ से, कृषि मंत्री चिमन सापरीया और बनासकांठा की वाव सीट से स्वास्थ्य मंत्री शंकर चौधरी को हार का सामना करना पड़ा है। अगर राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों की बात करें तो वहां कांग्रेस ने अपनी पकड़ बरकरार रखी है। विपक्ष की ओर से लड़ रहे कई महत्वपूर्ण दलित नेताओं ने बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ जीत दर्ज की है। कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ रहे दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी ने वडगाम सीट से जीत दर्ज की है। इनके अलावा अल्पेश ठाकोर ने भी अपना चुनाव आसानी से जीत लिया है। वहीं हिमाचल प्रदेश की बात करें तो बीजेपी ने इस पहाड़ी राज्य में स्प्ष्ट बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन बीजेपी को यहां उसके सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल की हार से तगड़ा झटका लगा है। राज्य की सुजानपुर सीट से प्रेम कुमार धूमल कांग्रेस के राजिन्दर सिंह से चुनाव हार गए हैं। हार के बाद धूमल ने कहा कि उनकी व्यक्तिलगत हार का कोई अर्थ नहीं है, पार्टी की जीत ज्यादा महत्वपूर्ण है। हिमाचल में भले बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है, लेकिन उसके कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और तीन बार के विधायक सतपाल सिंह सत्ती भी ऊना सीट से अपना चुनाव कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा से हार गए हैं। वहीं कांग्रेस की बात करें तो राज्य के मुक्यमंत्री वीरभद्र सिंह अर्की विधानसभा सीट से अपना चुनाव जीत गए हैं। वहीं उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी शिमला ग्रामीण सीट से अपना चुनाव जीत लिया है।
चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। दिल्ली सहित कई राज्यों के पार्टी कार्यालय में गुजरात की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के अशोक रोड स्थित पार्टी मुख्यालय पर पहुंचकर जमकर जश्न मनाया। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीजेपी की जीत पर मीडिया से बात करते हुए कहा, “अभी अभी राहुल गांधी अध्यक्ष बने हैं, इसलिए मैं ज्यादा तो कुछ नहीं कहूंगा, बस इतना कहूंगा, सिर मुड़ाते ही ओले पड़े।” वहीं जीत से उत्साहित केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, "जो जीता, वही सिकंदर। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। यह विकास की जीत है।" दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि नतीजों से मायूस होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्नेस ने 70 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि बीजेपी अपने ही गढ़ में कमजोर हुई है। वहीं गुजरात में कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत ने पार्टी के प्रदर्शन पर कहा कि यह 2019 की शुरुआत है। गुजरात में 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को दो चरणों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 68.41 प्रतिशत औसत मतदान हुआ था। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 48.30 फीसदी वोटों के साथ 115 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि कांग्रेस को 40.59 फीसदी वोट के साथ 61 सीटें हासिल हुई थीं। वहीं हिमाचल प्रदेश की बात करें तो वहां 68 सीटों पर 9 नवंबर को मतदान हुआ था जिसमें 74.61 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई थी। पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस को 36, बीजेपी को 26 और अन्य को 6 सीटें हासिल हुई थीं।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 के नतीजे सामने आने के बाद राज्य में सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथ में आ चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार, दो बार के मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट पर 2933 वोटों से शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रजिंदर राणा ने उन्हें मात दी है। बीजेपी को अब हिमाचल प्रदेश के लिए नए मुख्यमंत्री चेहरे की तलाश करनी होगी। 2012 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राणा इस सीट पर दोबारा जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। राणा ने 2012 के चुनाव में 14166 मतों से जीत हासिल की थी। उन्हें किसी समय धूमल का करीबी कहा जाता था। धूमल ने इस चुनाव में अपनी सीट बदली थी। राणा एक समय में धूमल के चुनाव प्रबंधक थे और वह उनके परिवार से भलीभांति परिचित हैं। धूमल ने अपने गृहनगर हमीरपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "राजनीति में किसी एक को हार, जबकि दूसरे को जीत का सामना करना होता है। हम सुजानपुर के लोगों को न्याय देने में सक्षम नहीं रहे और असफल साबित हुए। यह आत्ममंथन करने का समय है।" धूमल ने अपनी हमीरपुर सीट पार्टी विधायक नरेंद्र ठाकुर के साथ बदल ली थी। ठाकुर ने हमीरपुर सीट पर जीत हासिल की है। हमीरपुर बीजेपी का गढ़ रही है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि धूमल और राणा के बीच यह प्रतियोगिता दिलचस्प थी। राणा बीजेपी से अलग हो गए थे। वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ऊना विधानसभा सीट पर 3196 वोटों से हार गए हैं। इस सीट पर कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा ने जीत दर्ज की है। सत्ती पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर अजेय रहे थे। ऊना को बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता था। साभार नवजीवन
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 के नतीजे सामने आने के बाद राज्य में सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथ में आ चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार, दो बार के मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट पर 2933 वोटों से शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रजिंदर राणा ने उन्हें मात दी है। बीजेपी को अब हिमाचल प्रदेश के लिए नए मुख्यमंत्री चेहरे की तलाश करनी होगी। 2012 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राणा इस सीट पर दोबारा जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। राणा ने 2012 के चुनाव में 14166 मतों से जीत हासिल की थी। उन्हें किसी समय धूमल का करीबी कहा जाता था। धूमल ने इस चुनाव में अपनी सीट बदली थी। राणा एक समय में धूमल के चुनाव प्रबंधक थे और वह उनके परिवार से भलीभांति परिचित हैं। धूमल ने अपने गृहनगर हमीरपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "राजनीति में किसी एक को हार, जबकि दूसरे को जीत का सामना करना होता है। हम सुजानपुर के लोगों को न्याय देने में सक्षम नहीं रहे और असफल साबित हुए। यह आत्ममंथन करने का समय है।" धूमल ने अपनी हमीरपुर सीट पार्टी विधायक नरेंद्र ठाकुर के साथ बदल ली थी। ठाकुर ने हमीरपुर सीट पर जीत हासिल की है। हमीरपुर बीजेपी का गढ़ रही है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि धूमल और राणा के बीच यह प्रतियोगिता दिलचस्प थी। राणा बीजेपी से अलग हो गए थे। वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ऊना विधानसभा सीट पर 3196 वोटों से हार गए हैं। इस सीट पर कांग्रेस के सतपाल सिंह रायजादा ने जीत दर्ज की है। सत्ती पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर अजेय रहे थे। ऊना को बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता था। साभार नवजीवन
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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