ताज़ा ख़बर

पक्ष में गुजरात चुनाव का ओपीनियन पोल, फिर क्यों है भाजपा की नींद गोल?

सैय्यद खुर्रम रज़ा 
नई दिल्ली। गुजरात सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सभी घोषणाओं का ऐलान और नई परियोजनाओं के उद्घाटन के बाद आखिरकार बुधवार को चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा के लिए दो चरणों में चुनाव कराने की ऐलान कर दिया। 9 और 14 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गुजरात में तारीखों के ऐलान से पहले ही राजनीतिक माहौल गर्म है। चुनाव की तारीखों से पहले दो एजेंसियों के ओपिनियन पोल के रूप में गुजरात के लोगों की जो राय सामने आई है इससे एक बात तो साफ है कि जैसे-जैसे गुजरात चुनावी की तारीखें करीब आ रही हैं वैसे-वैसे बीजेपी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं एक ओपिनियन पोल जो लोकनीति-सीएसडीएस ने एबीपी न्यूज चैनल के लिए 31 अगस्त को किया था, उसमें बीजेपी को 144 से 152 के बीच सीटें मिलने की संभावना जताई गई, जबकि कांग्रेस को 26 से 32 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया। अन्य के खाते में 3 से 7 सीटें जाती हुई दिखाई गईं। इस ओपीनियन पोल में जो वोट प्रतिशत दिखाया गया, उसके मुताबिक बीजेपी को 59 फीसदी, कांग्रेस को 29 फीसदी और अन्य के हिस्से में 12 फीसदी वोट जाने की संभावना जताई गई। लेकिन इंडिया टुडे पर 24 अक्टूबर को दिखाए गए ओपीनियन पोल में बीजेपी को 110 से 125 और कांग्रेस को 57 से 65 सीटों का अनुमान लगाया गया। अन्य के खाते में शून्य से 2 सीटें जाने की संभावना बताई गई। इन ओपीनियन पोल में बताया गयाकि बीजेपी को 48 फीसदी और कांग्रेस को 38 फीसदी वोट मिल सकते हैं और अन्य के हिस्से में 12 से 14 फीसदी जाने का अनुमान है। अब इन दो ओपीनियन पोल को गौर से देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि एक महीने और 24 दिन के अंतर में कांग्रेस का वोट शेयर 29 फीसदी से बढ़कर 38 फीसदी हो गया है, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 59 फीसदी से घटकर 48 फीसदी पर पहुंच गया है। वोट शेयर में बदलाव का यह रुझान गुजरात में बदलते हालात की कहानी बयां करता है। अगर यही रुझान जारी रहा तो बीजेपी के लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। इतना ही नहीं, गुजरात विधानसभा का चुनाव भी बीजेपी के लिए वैसे ही साबित होने की संभावना है जैसा कि राज्यसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद पटेल के चुनाव के नतीजे से साबित हुआ था। अगर एक्सिस के अनुमान को देखें तो फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में 10 फीसदी का अंतर नजर आता है। लेकिन गुजरात में बीते दो महीने में जो रुझान दिखा है, उस गणित से अगर बीजेपी का वोट शेयर 6 फीसदी भी नीचे गया और यह कांग्रेस के खाते में आ गया तो कांग्रेस का वोट शेयर 44 फीसदी और बीजेपी का 42 फीसदी रह जाएगा। यह गणना सिर्फ इसलिए, क्योंकि अगर मात्र 54 दिनों में बीजेपी के वोट शेयर में 11 फीसदी की कमी आई है तो आने वाले दिनों 45 दिनों यानी 9 दिसंबर तक बीजेपी के वोट शेयर में कम से कम 6-7 फीसदी की कमी स्पष्ट नजर आती है। फिलहाल भले ही इंडिया टुडे के लिए किए गए एक्सिस के सर्वे से बीजेपी खेमा खुश नजर आ रहा हो, लेकिन तेजी से घटते लोकप्रियता और वोट शेयर के ग्राफ से अंदर-अंदर उसकी चिंता भी साफ दिख रही है। ऐसे में ओपीनियन पोल के नतीजे उसके पक्ष में होने के बावजूद बीजेपी की नींद उड़ी हुई है। (नवजीवन ग्राफिक्स/इमरान)साभार नवजीवन 
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: पक्ष में गुजरात चुनाव का ओपीनियन पोल, फिर क्यों है भाजपा की नींद गोल? Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in