नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर चेताया है कि देश की जीडीपी में तेज गिरावट होगी। सिंह ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी का जल्दाबाजी में क्रियान्वयन आर्थिेक प्रगति पर नकरात्मसक असर जरूर डालेगा। CNBC-TV18 के साथ इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा, ”नोटबंदी और जीएसटी, दोनों का कुछ प्रभाव रहा है। जीएसटी को जल्दबाजी में लागू कर दिया गया, और अब कई सारी दिक्कंतें सामने आ रही हैं। चालू वित्त वर्ष की जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई और यह वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 6.1 फीसदी से घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई। पिछले साल इसी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.9 फीसदी थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने पिछले साल नोटबंदी के बाद संसद में भविष्य वाणी की थी कि जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट होगी। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी एक ‘ऐतिहासिक आपदा, संगठित और कानूनी लूट’ है।
नोटबंदी के 10 महीने बाद, एक बार फिर मनमोहन सिंह ने इसे और जीएसटी के जल्द’ क्रियान्वयन को अनौपचारिक या लघु क्षेत्र पर बुरा प्रभाव डालने वाला बताया है। इस क्षेत्र से भारत में 90 फीसदी रोजगारों का सृजन होता है। सिंह ने कहा, ”दोनों (नोटबंदी और जीएसटी) अनौपचारिक, लघु क्षेत्र पर असर डालेंगे। यही दोनों जीडीपी में गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। हमारा 90 फीसदी रोजगार अनौपचारिक सेक्टर में है और 86 फीसदी मुद्रा वापस मंगाना, साथ में जीएसटी क्योंकि इसे आपने जल्दबाजी में लागू किया, मिलकर जीडीपी वृद्धि पर बुरा असर डालेंगे।” अप्रैल में, जब जीएसटी बिल संसद से पास हुआ तो मनमोहन सिंह ने भले ही इसे ‘गेम-चेंजर’ बताया हो, मगर वह यह भी बताने से नहीं चूके थे कि इसे लागू करने में मुश्किलें आएंगी। 30 अगस्तं को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के 99 फीसदी नोट बैंकिंग व्यवस्था में वापस लौट आए हैं, जिसके बाद मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठने लगे थे। साभार जनसत्ता
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