लखनऊ। यूपी सरकार ने आईपीएस हिमांशु कुमार को सस्पेंड कर दिया है। आईपीएस का निलंबन उनकी पत्नी की तरफ से दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मामले को आधार बनाकर की गई है। आईपीएस हिमांशु इस मुक़दमे में वांछित चल रहे हैं। 2 मार्च को उनके खिलाफ बिहार की एक अदालत से वॉरंट जारी हुआ था। हिमांशु कुमार वही आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने हाल में ही योगी राज में यादव सरनेम वाले अफसरों को टारगेट करने और उनके ट्रांसफर करने का आरोप लगाया था। निलंबन पर हिमांशु कुमार ने पहली प्रतिक्रिया ट्विटर पर जताते हुए लिखा है कि 'विजय सिर्फ सत्य की ही होती है।'
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक आईपीएस हिमांशु को अनुशासनहीनता की वजह से निलंबित किया गया है। चुनाव के दौरान ही आईपीएस हिमांशु कुमार को चुनाव आयोग ने फिरोजाबाद से भी हटाया था। आईपीएस हिमांशु ने 22 मार्च को एक ट्वीट के जरिए यूपी में यादव सरनेम वाले अधिकारियों को टारगेट करने का मुद्दा उठाया था। हिमांशु ने ट्वीट कर कहा था, 'वरिष्ठ अधिकारियों में 'यादव' सरनेम वाले पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने या रिजर्व लाइन भेजने के लिए होड़ मची है।' हालांकि बाद में आईपीएस हिमांशु ने अपना ट्वीट हटाते हुए एक दूसरा ट्वीट कर कहा कि लोगों ने उनकी बात को गलत अर्थों में लिया है। उन्होंने कहा, 'मैं सरकार की पहल का समर्थन करता हूं।' इससे पहले भी IPS हिमांशु अपने ही महकमे के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। 22 मार्च को ही उन्होंने एक और ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने सवाल किया है कि उनके द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर डीजीपी ने सही तरीके से जांच क्यों नहीं कराई। हिमांशु कुमार से पहले एसपी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव भी इस मामले को सदन में उठा चुके हैं। राज्यसभा में चुनावी सुधार मुद्दे पर चल रही बहस के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि यूपी के बारे में कमिशन की धारणा ये है कि यहां एक खास समुदाय के अधिकारी नहीं रहने चाहिए। उन्होंने कहा था, 'यूपी में चुनाव के पहले 10 डीएम यादव थे, उनमें से 8 का पहले ही दिन ट्रांसफर कर दिया।' यादव ने कहा कि इससे अधिकारियों का मनोबल गिरता है। उनके साथ जातिगत भेदभाव नहीं होना चाहिए।
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