ताज़ा ख़बर

अरुण जेटली के बजट से जितनी उम्मीद थी, वैसा नहीं है!

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को केंद्रीय बजट संसद में पेश किया। इस बजट में जहां मिडिल क्लास का ध्यान रखते हुए पांच लाख रुपए तक की आय पर ब्जाय दर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है, वहीं राजनीतिक चंदे को लेकर अहम घोषणा की है। जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि अब राजनीतिक दल 2 हजार से ज्यादा का चंदा केस में नहीं ले पाएंगे, वहीं लाख रुपए से ज्यादा का लेन देन कैश में नहीं हो पाएगा। ऐसे में बाजार विशेषज्ञों, कॉर्पोरेट्स ने बजट पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए कहा कि यह बजट मिला-जुला रहा। वहीं कुछ एक का कहना है इससे मार्केट में डिमांड बढ़ेगी। एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए केएमजीपी के पार्टनर रवि कुमार सिंगारी ने कहा कि बजट कुल मिलाकर अच्छा रहा। उन्होंने कहा, ‘पांच लाख तक की सैलरी वालों को ब्याज दर में राहत दी गई है। अब 10 फीसदी की बजाय 5 फीसदी ब्याज लगेगा। इसके साथ ही कम आय वालों को रिटर्न के लिए केवल एक ही फॉर्म भरना होगा। पहले बहुत ही कठिन प्रक्रिया थी। उम्मीद है कि अब रिटर्न भरने वालों की संख्या में इजाफा होगा।’ महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के पवन गोयनका ने सीएनबीसी आवाज से बात करते हुए कहा, ‘इस बार उम्मीद थी कि कॉर्पोरेट्स टैक्स कम होगा। पहले भी पूरी उम्मीद थी। हालांकि, इसके अलावा बजट में काफी कुछ हुआ है। मार्केट और कॉर्पोरेट्स काफी खुश हैं। नोटबंदी के बाद से मार्केट में एक रुकावट आ गई थी, वह अब खत्म हो जाएगी। इससे मांग बढ़ जाएगी। अब मार्केट में डिमांड बढ़ जाएगी।’ एसोचैम के जनरल सेक्रेट्री डीएस रावत ने कहा, ‘यह एक मिलाजुला बजट रहा। इंडस्ट्री को निवेश के प्रमोशन के लिए काफी उम्मीद थी, लेकिन मुझे लगता है कि जो संभव हो सकता था वह वित्त मंत्री ने किया।‘ बिजनस वर्ल्ड मैगजीन के एडिटर इन चीफ अनुराग बत्रा ने न्यूज18 इंडिया से कहा, ‘यह अच्छा बजट है। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक रूप से यह बजट अच्छा रहा। आशाएं ज्यादा थीं, लेकिन उतना नहीं हुआ। फिर भी बजट में बहुत सारी अच्छी चीजें हुईं।’ आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा कि यह एक रूटीन बजट है। वहीं पेटीएम के सीईओ विजय शेकर ने कहा कि यह बजट डिजिटल इकॉनोमी के लिए बेहतर है।
4 लाख करोड़ रुपये से 2 करोड़ रोजगार की उम्मीद 
आलोक मेहता, प्रधान संपादक, आउटलुक (हिंदी)
आम बजट में विकास के सुहावने सपने अच्छे लगते हैं। मोदी सरकार के नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। निश्चित रूप से सड़क, रेल से लेकर बिजली या संचार जैसे क्षेत्रों में विपुल धनराशि खर्च होने पर बड़ी संख्या में रोजगार मिल सकता है। रोजगार भारत में ही नहीं ब्रिटेन, अमेरिका जैसे विकसित संपन्न देशों में भी सबसे बड़ा मुद्दा एवं चुनौती है। मोदी सरकार ने भी सत्ता में आने के बाद हर साल लगभग दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का विश्वास दिलाया था। लेकिन 40 लाख को रोजगार मिला और 80 लाख से अधिक बेरोजगार भी हो गए। फिर इंफ्रास्क्ट्र क्चर कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में विभिन्न राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थाीन, स्थाइनीय स्वायत्त संस्था्ओं की सक्रियता एवं संकल्प की जरूरत होती है। संघीय ढांचे में केंद्र सरकार को अधिकांश विकास एवं कल्याण कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय करना होगा। बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कानून, बिजली, पानी, पंचायत, किसानों के कर्ज और फसल बीमा योजना, डिजिटल बैंकिंग भुगतान, स्वच्छ भारत अभियान में शौचालयों के निर्माण जैसे काम के लिए भी पर्याप्त धनराशि रखी गई है। इसका लाभ भी दूरदराज के गांवों तक पहुंचाना जरूरी होगा। नोटबंदी के दौरान शहरों से पलायन कर चुके ग्रामीण मजदूरों के हितों की रक्षा करनी है। कॉरपोरेट क्षेत्र ने इस बजट को संतुलित और संतोषजनक करार दिया है। मतलब उनकी आमदनी बढ़ाने के रास्ते खोले गए हैं। टेलीकॉम और रक्षा के क्षेत्र में देशी-विदेशी पूंजी बड़े पैमाने पर लगाने के ‌लिए राजनीतिक-सामाजिक सौहार्द के माहौल की जिम्मेदारी सरकार के साथ अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों की भी होगी। पंजाब से गोवा तक या मणिपुर से केरल तक सांप्रदायिक अथवा अतिवादी संस्थाठओं की गतिविधियों से विकास के सपने अधूरे रह जाते हैं। डिजिटल क्रांति के लिए शिक्षा और स्वास्थ्या के क्षेत्र में नये बजट में अधिक प्रावधानों की उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्री खजाने की सीमा में अधिक नहीं कर सके। हां, कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार और स्टार्ट-अप लाने वाले युवा उद्यमियों के ‌लिए कुछ उचित व्यवस्थाव हुई है। आयकर की रियायतें ऊंट के मुंह में जीरे की तरह और निम्न मध्यम वर्ग को दिल बहलाने लायक कही जाएंगी। नोटबंदी सहने वाली आत्मनिर्भर महिलाओं को आयकर में विशेष रियायत एवं बहुत सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज का प्रावधान लाभदायक हो सकता था। बहरहाल, राजनीतिक दलों को बिना हिसाब-किताब के 20 हजार नगद लेने के ढर्रे को लगभग लगाम लगाकर केवल दो हजार रुपये की सीमा लगाना अच्छा कदम है। जनता नेताओं को भी ‘नोटबंदी’ का स्वाद दिलाना चाहती रही है। देर-सबेर पूरा हिसाब सार्वजनिक करने का कदम उठाने की अपेक्षा रहेगी।  
बजट के लिए सांसद ई.अहमद के निधन को नजरंदाज किया 
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने जब संसद की कार्यवाही शुरू की तो विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद के निधन को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही स्थगित करने की मांग की। हालांकि इस मांग को स्पीकर ने संवैधानिक परंपरा का हवाला देकर ख़ारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान शेरो-शायरी से संसद के माहौल को हल्का करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने में नोटबंदी का फ़ैसला सफल रहा है। भाषण की शुरुआत में अरुण जेटली ने कहा कि "नोटबंदी एक बोल्ड और साहसिक फ़ैसला था जो जनहित में लिया गया था. अब हमारा जीडीपी स्पष्ट, ईमानदार और बड़ा होगा"। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का "अर्थव्यवस्था पर मामूली और अल्पकालिक असर होगा। बैंक अब अधिक लोन दे पाएँगे और समाज के हर तबके का विकास होगा।" जेटली ने महात्मा गांधी को याद किया और उनका हवाला देते हुए कहा कि गांधी जी ने कहा था कि "सच्चे लक्ष्य की कभी हार नहीं होती।" वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी बिल पारित कराना सरकार के दो बहुत बड़े आर्थिक सुधार थे जिनका अच्छा परिणाम देशवासियों को आने वाले दिनों में दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि भारत का विकास तेज़ी से हो रहा है और दूसरे उभरते देशों की तुलना में भारत की विकास दर काफ़ी अच्छी है। उनका कहना था कि भारत दुनिया में एक तरह की कमज़ोरी के बावजूद 'ब्राइट स्टार' की तरह उभरा है। (साभार)    
प्रस्तुतिः राजीव रंजन तिवारी, फोन- 8922002003
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: अरुण जेटली के बजट से जितनी उम्मीद थी, वैसा नहीं है! Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in