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फिर कांग्रेसमय होगा देश, राहुल गांधी के अध्यक्ष बनते ही आ जाएगा कांग्रेसियों में जोश!

नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार की कथित विफलता कांग्रेस के लिए वरदान साबित होने जा रही है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल से अध्यक्ष पद संभालने की मांग हुई। CWC की बैठक में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से कहा कि राहुल अध्यक्ष पद संभालें। लेकिन फिलहाल अभी सोनिया गांधी ही अध्यक्ष रहेंगीं। आज तबीयत के कारण सोनिया बैठक में नहीं आईं। 16 तारीख से संसद का सत्र शुरु होने वाला है। संसद में सरकार को घेरने की रणनीति भी आज की बैठक में बनाई गई। कांग्रेस कार्यसमिति की आज दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी ने संगठन चुनावों को एक और साल के लिए टालने का फैसला तो कर लिया लेकिन साथ ही पहली बार कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग भी औपचारिक तौर पर कर दी। राहुल गांधी ने कहा कि देश के लिए संघर्ष करने के संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष और सीडब्ल्यूसी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपते हैं, उसे वे पूरी तरह से स्वीकार करने को तैयार हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने कहा है कि मैं अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं, लेकिन किसी के मन में कोई युवा बनाम बुजुर्ग को लेकर पूर्वाग्रह ना रहे। हालांकि संगठन चुनावों को साल भर के लिए टालने का दूसरा मतलब ये है कि फिलहाल सोनिया गांधी ही अध्यक्ष पद पर बनी रहेंगी मगर सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यानी इसी साल ही पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। यहां तक कि आज कार्यसमिति की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ए. के. एंटनी ने ये भी साफ-साफ कह दिया कि जल्दी ही कार्यसमिति के नेता सोनिया गांधी से मिल कर उन्हें कार्यसमिति के प्रस्ताव से औपचारिक तौर पर अवगत कराएंगे और उन्हें पूरा भरोसा है कि सोनिया गांधी कार्यसमिति के राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के फैसले का सम्मान करेंगी। गौरतलब है कि संगठन के चुनाव टालने का फैसला हो चुका है। ऐसे में सोनिया गांधी कांग्रेस कार्यसमिति का फैसला मानती हैं और गांधी परिवार में राहुल को अध्यक्ष बनाने का फैसला हो जाता है तो सोनिया को अपने पद से इस्तीफे का ऐलान करना होगा। ऐसे में कांग्रेस कार्यसमिति एक बार और मिल कर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का फैसला कर सकती है। 19 नवंबर को इंदिरा गांधी की याद में कांग्रेस बड़ा AICC सेशन करने वाली है और कयास इस बात के भी लगने शुरु हो गए हैं कि ये राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का एक अच्छा मौका हो सकता है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कुछ बड़े नेता अभी भी यही चाहते हैं कि सोनिया गांधी ही कुछ और समय तक पार्टी अध्यक्ष बनी रहें लेकिन आज कार्यसमिति की बैठक में हुए फैसले में वो सभी बड़े नेता भी शामिल रहे ये गौर करने की बात है। यही नहीं, कार्यसमिति की आज की बैठक में संगठन के चुनाव एक साल के लिए टालने का फैसला होना था जिससे संदेश जाता है कि राहुल गांधी की ताजपोशी एक बार फिर टली। शायद यही वजह है कि खराब सेहत की आड़ में सोनिया गांधी खुद कार्यसमिति की अध्यक्षता करने आज बैठक में शामिल नहीं हुई और उनकी जगह कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता राहुल गांधी ने की।  
राहुल जी ने पहली बार की सीडब्ल्यूसी की अध्यक्षता 
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी की कवायद तेज हो गयी है। सीताराम केसरी से करीब 18 साल पहले अध्यक्ष पद की कमान लेने वालीं सोनिया गांधी के लगातार बीमार रहने के मद्देनजर अब पार्टी की गद्दी राहुल को सौंपा जाना लगभग तय माना जा रहा है। तीन साल पहले उपाध्यक्ष बनाए गये राहुल ने पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता की। सोनिया गांधी अस्वस्थ होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हुईं। इस बैठक में पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने राहुल से अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया। उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बैठक में राहुल से अध्यक्ष पद संभालने की गुजारिश की, तो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उनके इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया। एंटनी ने कहा कि यही सही वक्त है जब राहुल को अध्यक्ष पद की कमान संभालकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सीधी लड़ाई का ऐलान करना चाहिए। बैठक में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद, जनार्दन द्विवेदी, अंबिका सोनी, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सहित सभी नेताओं ने एक स्वर से एंटनी के अनौपचारिक प्रस्ताव का समर्थन किया। बताते हैं कि वरिष्ठ नेताओं ने यह निर्णय भी लिया कि वे कार्यसमिति की भावना से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत कराएंगे। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में औपचारिक तौर पर यह फैसला किया गया है कि चुनाव आयोग से पार्टी के आतंरिक चुनाव के लिए एक और साल का वक्त मांग लिया जाये। इसका मतलब यही हुआ कि सोनिया अभी एक साल और अध्यक्ष पद पर रहेंगी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि हकीकत दूसरी है। तकनीकी जरूरत को पूरा करने के लिए इस प्रकार का फैसला किया गया है लेकिन राहुल की ताजपोशी अब तय है। उन्होंने इस संभावना को भी गलत बताया कि राहुल को फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जायेगा। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार सत्ता के नशे में चूर हो गयी है। इसी नशे का परिणाम है कि सरकार से असहमति दिखाने वालों को चुप कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ लेकर लोगों को धमकाया जा रहा है और टीवी चैनल बंद कराये जा रहे हैं। राहुल ने कहा कि देश का लोकतंत्र काले दौर से गुजर रहा है। उन्होंने भाजपा को जाति व धर्म के नाम पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी करार देते हुए अपनी पार्टी के लोगों को आगाह किया कि वे इस बात से सावधान रहें। उन्होंने संकेत दिया कि संसद के शतकालीन सत्र में कांग्रेस केंद्र सरकार को अलग-अलग मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक भी इसी महीने बुलाये जाने की संभावना है। इस बैठक में कार्यसमिति के नियमित सदस्यों के अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य, पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्ष और अलग-अलग विधानसभाओं के विधायक दल के नेता भी हिस्सा लेंगे। समझा जा रहा है कि इसी बैठक में कांग्रेस के तमाम नेताओं से राहुल की ताजपोशी के प्रस्ताव पर औपचारिक सहमति हासिल की जाएगी। इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महाधिवेशन बुलाकर राहुल की ताजपोशी का ऐलान किया जायेगा।

राहुल गांधी का सभी ने किया समर्थन 
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना लगभग तय लग रहा है जब कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) से उन्हें पदोन्नत करने के लिए सर्वसम्मत आवाज में पुरजोर ढंग से यह भावना व्यक्त की। कांग्रेस के इस सर्वोच्च निर्णय करने वाले निकाय की बैठक में सोनिया गांधी मौजूद नहीं थी। बैठक के दौरान प्रथम वक्ता के रूप में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी ने राहुल गांधी द्वारा पार्टी का नेतृत्व संभालने की जरूरत को रेखांकित किया। एंटनी के सुझाव का पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत सीडब्ल्यूसी की बैठक में हिस्सा लेने वाले अन्य सभी सदस्यों ने समर्थन किया। चार घंटे तक चली इस बैठक में सदस्यों ने राहुल गांधी से 130 वर्ष पुरानी पार्टी की बागडोर संभालने की जरूरत बतायी। पार्टी की कमान अभी सोनिया गांधी संभाल रही हैं। एंटनी ने संवाददाताओं से कहा कि सदस्यों ने कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों की इच्छा को स्वीकार करने की सर्वसम्मत एवं मजबूत भावना व्यक्त की जिनकी इच्छा है कि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का पद ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह समेत सभी सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि वक्त आ गया है कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करें और कांग्रेस मोदी सरकार की ‘जनविरोधी और तानाशाही’ नीतियों पर सभी ताकतों को एकजुट करें। सीडब्ल्यूसी की बैठक की अध्यक्षता आज राहुल गांधी ने की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकी क्योंकि उनके बारे में कहा गया है कि वे अस्वस्थ है। राहुल गांधी ने कहा कि देश के लिए संघर्ष करने के संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष और सीडब्ल्यूसी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपते हैं, उसे वे पूरी तरह से स्वीकार करने को तैयार है। बता दें, 46 वर्षीय राहुल गांधी जयपुर में कांग्रेस सत्र के दौरान जनवरी 2013 में पार्टी उपाध्याक्ष नियुक्त किए गए थे। उनकी पदोन्नति के बारे में पिछले कुछ समय से कयास लगाये जा रहे हैं। संवाददाता सम्मेलन में एंटनी और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला उन सवालों को टाल गए कि राहुल गांधी अपनी मां से पार्टी की कमान कब संभालेंगे और क्या यह 19 नवंबर को होगा जिस दिन कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की जयंती पर वृहद समारोह का आयोजन किया है। यह पूछे जाने पर कि राहुल की पदोन्नति क्या उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले होगी, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम काफी आशान्वित हैं। सोनिया गांधी 1998 से ही कांग्रेस अध्यक्ष है जब उन्होंने सीताराम केसरी से पदभार ग्रहण किया था। इस बारे में कई सवालों का जवाब देते हुए एंटनी ने कहा कि यह पहला अवसर है जब सीडब्ल्यूसी ऐसी सिफारिश कर रही है। हमें विश्वास है कि कांग्रेस अध्यक्ष इस पर ठीक ढंग से ध्यान देंगी। सुरजेवाला ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के सदस्य व्यक्तिगत तौर पर पार्टी अध्यक्ष से मिलेंगे और राहुल गांधी को पदोन्नति करने के बारे में अपनी सिफारिशों के संदर्भ में आगे की कार्रवाई करने को कहेंगे। सोनिया गांधी के निर्णय के बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक फिर होगी और फिर इसका अनुमोदन किया जाएगा। राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किए जाने के बारे में काफी समय से मांग की जाती रही है। जयराम रमेश, वी नारायण सामी जैसे नेता इस बात पर जोर देते रहे हैं। एंटनी ने कहा कि सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपना उत्तराधिकारी मनोनीत नहीं करेंगीं। यह उनका निर्णय नहीं है। वह कांग्रेस अध्यक्ष को मनोनीत नहीं कर रही हैं। सुरजेवाला ने कहा कि यह पहली बार है जब सीडब्ल्यूसी ने ऐसी सिफारिश (राहुल गांधी को पदोन्नत) की है। कांग्रेस अध्यक्ष किसी कांग्रेस अध्यक्ष को मनोनित नहीं करेंगी। एआईसीसी की कांग्रेस कार्य समिति को इस बारे में फैसला करना है। ऐसा पहली बार है जब सम्पूर्ण कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हो रही है और सर्वसम्मति से यह सिफारिश की गई है कि राहुल गांधी कमान संभालें।  
अब आएगा राहुल युग 
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपने पर लंबे समय से कायम सस्पेंस अब खत्म हो गया है। पार्टी कार्यसमिति ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पार्टी की कमान राहुल को थमाने की पहली बार औपचारिक सिफारिश कर दी है। पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था ने इस सिफारिश के साथ ही राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने का रास्ता तैयार कर दिया है। औपचारिक घोषणा अब केवल वक्त की बात है। दरअसल जिस तरह खुद राहुल भी पहली बार जिम्मेदारी के लिए तैयार दिखे उसमें अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव संभवतः इसीलिए टला क्योंकि सोनिया गांधी अस्वस्थ हैं। उनके स्वस्थ होते ही उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले राहुल को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की औपचारिकता पूरी करना लगभग तय है। कार्यसमिति ने कांग्रेस की चुनौतियों और देश के मौजूदा सियासी वातावरण को देखते हुए राहुल गांधी के नेतृत्व में ही पार्टी को आगे बढ़ाने का अहम राजनीतिक फैसला किया है। इसी के साथ ही राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठाने की गुंजाइश पार्टी ने बंद कर दी है। संसद सत्र से पहले अहम मसलों पर चर्चा के लिए बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की चार घंटे चली बैठक की अध्यक्षता सोनिया की गैरमौजूदगी में बतौर उपाध्यक्ष राहुल ने ही की। बैठक के बाद कार्यसमिति के सबसे वरिष्ठ सदस्य और दस जनपथ के विश्र्वासपात्र एके एंटनी ने एलान किया कि कार्यसमिति ने सोनिया गांधी से राहुल को कांग्रेस की अध्यक्षता सौंपने की सिफारिश करने का फैसला किया है। कार्यसमिति की राय में देश के सामने संघ-भाजपा के साथ मोदी सरकार की सियासी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई की बड़ी चुनौती को देखते कांग्रेस की कमान संभालने का राहुल के लिए यही सही समय है। "इसलिए कांग्रेसियों की इच्छा के अनुरूप कार्यसमिति सोनिया गांधी से राहुल को बागडोर सौंपने की तीव्र इच्छा जाहिर करती है।" कार्यसमिति के फैसले पर राहुल ने कहा कि मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टी जो भी दायित्व सौंपेगी उस चुनौती के लिए वे तैयार हैं। सूत्रों के अनुसार बैठक में मुख्य एजेंडे पर चर्चा खत्म होते ही एंटनी ने राहुल को अध्यक्ष बनाने की बात उठाई। उनका कहना था कि अब राहुल को नेतृत्व देने में देरी नहीं की जानी चाहिए। एंटनी के बाद सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने इसका समर्थन किया। इसके बाद तो गुलाम नबी आजाद, जर्नादन द्विवेदी और बीके हरिप्रसाद समेत पूरी कार्यसमिति ने इस पर हामी भर दी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी कहा कि राहुल के लिए कांग्रेस का नेतृत्व संभालने का यह बिल्कुल मौजू समय है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया कि उत्तर प्रदेश चुनाव के एलान से पहले राहुल को अध्यक्ष बना दिया जाएगा। इसके साथ ही पार्टी ने अपना संगठन चुनाव एक साल के लिए और टाल दिया है और इसके लिए चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया है। कांग्रेस के संविधान के अनुसार कार्यसमिति को पार्टी अध्यक्ष चुनने का अधिकार है। कार्यसमिति के सदस्य राहुल को कमान सौंपने का औपचारिक प्रस्ताव लेकर अब सोनिया गांधी के पास जाएंगे। प्रक्रिया के तहत सोनिया पहले अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा कार्यसमिति को सौंपेंगी। इसके बाद राहुल को औपचारिक रूप से नया अध्यक्ष चुना जाएगा। सोनिया गांधी कांग्रेस के इतिहास में सबसे अधिक समय तक लगातार अध्यक्ष बनने का रिकार्ड बना चुकी हैं। मार्च 1998 में सीताराम केसरी की जगह कांग्रेस अध्यक्ष बनीं सोनिया ने पार्टी को संक्रमण के दौर से निकाल कर दस साल तक सत्ता दिलाई। मगर 2014 के आम चुनाव में सोनिया की अध्यक्षता में ही कांग्रेस लोकसभा में अपने इतिहास के सबसे कम 44 सीटों पर सिमट गई। 2004 में अमेठी से सांसद बनकर राजनीति में उतरे राहुल 2007 में पार्टी महासचिव बने और फिर जनवरी 2014 में जयपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया।
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