मुंबई/रालेगणसिद्धी। सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर आंदोलन की तैयारी की है। इस बार का आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ होगा। लोकपाल बिल बनने के बाद भी इस पर अमल नहीं होने और देश में लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार से अण्णा नाराज हैं। रालेगणसिद्धी में देशभर से पहुंचे करीब 500 कार्यकर्ताओं ने आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप दिया। उन्हें राज्यों में पहुंचकर तैयारी करने को कहा गया है। आंदोलन की शुरुआत इस बार मुंबई से होगी, जिसे बाद में नई दिल्ली के रामलीला मैदान तक ले जाया जाएगा। हालांकि आंदोलन की तारीख की घोषणा पूरी तैयारी होने के बाद की जाएगी। अण्णा ने इस आंदोलन को ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’नाम दिया है। अण्णा इस बार भ्रष्टाचार के मामले में सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ना चाहते हैं।
बकौल अण्णा, यह आंदोलन तभी समाप्त होगा, जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो जाता। देशभर में फैले अण्णा हजारे के कार्यकर्ता लगातार उनसे (अण्णा) पुन: आंदोलन के लिए अनुरोध कर रहे हैं। कई महीनों के मंथन के बाद वे अब तैयार हो गए। इसी मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए पिछले सप्ताह देशभर से सैंकड़ों कार्यकर्ता रालेगणसिद्धी पहुंचे थे। आंदोलन का मुद्दा मुख्य रूप से भ्रष्टाचार पर केंद्रित होगा। इसके साथ कालेधन का मुद्दा भी उठाया जाएगा। भाजपा के खिलाफ आंदोलन के सवाल पर अण्णा का कहना है कि वे किसी पार्टी के पक्ष या विरोध में नहीं हैं। वे केवल भ्रष्ट व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। पहले कांग्रेस ने इसके लिए कड़े कदम नहीं उठाए, इसलिए हमने विरोध किया और अब मौजूदा सरकार भी यही कर रही है। अण्णा का कहना है कि भाजपा सरकार ने चुनाव से पूर्व देश की जनता को सरकार बनने के 100 दिन के अंदर कालाधन वापस लाने का आश्वासन दिया था। प्रत्येक देशवासी के बैंक खाते में 15 लाख रुपए जमा कराने की बात भी कही थी। सरकार बनने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत साफ नहीं लगती। अब सवा दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन मोदी अपने वादे पर खरे नहीं उतरे।
अण्णा का कहना है कि कांग्रेस सरकार नहीं चाहती थी, जनलोकपाल आए। इसलिए उनके खिलाफ आंदोलन किया गया। इसके बाद लोकपाल बिल पास हुआ, लेकिन सरकार बदलने के बाद भी उस पर अमल नहीं हुआ। सत्तारूढ़ होने के पहले भाजपा भ्रष्टाचार पर बड़ी-बड़ी बातें कर रही थी, सरकार बनने के सवा दो साल के बाद भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। भाजपा सरकार भी सख्त लोकपाल के मुद्दे पर पीछे हट रही है। वर्तमान में जो लोकपाल बिल पास हुआ, उस पर अमल करने की मंशा भी सरकार की नहीं दिख रही है। यूपीए सरकार के बाद एनडीए सरकार में केवल चेहरे व मंत्रियों के नाम बदले हैं, कार्यप्रणाली नहीं। कुछ दिन पहले कई राज्यों से मेरे पास कार्यकर्ता आए थे, उनसे मिलकर नया आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए तैयारी करने को कहा है। तैयारी पूरी होने के बाद इसकी तारीख घोषित की जाएगी।
(साभार bhaskar.com)
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