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दिग्विजय सिंह ने उठाया राजनाथ सिंह और प्रज्ञा ठाकुर की मुलाकात का मुद्दा

नई दिल्ली। विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के साथ मंच साझा करने के कारण भाजपा के निशाने पर आए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पलटवार करते हुए आज भाजपा नेता और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर के साथ कथित मुलाकात का मुद्दा उठाया। साथ हीं उन्होंने भाजपा से पूछा कि वह श्री श्री रविशंकर के जाकिर नाइक के साथ मंच साझा करने को लेकर क्या कहेगी। सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘जाकिर नाइक के साथ मंच साझा करने पर मेरी आलोचना की जा रही है लेकिन राजनाथ सिंह के बम विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर से मुलाकात का क्या?’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रज्ञा बम विस्फोट मामले में आरोपी है। क्या जाकिर नाइक के खिलाफ कोई मामला है? श्री श्री रविशंकर के जाकिर नाइक के साथ मंच साझा करने को लेकर क्या कहेंगे?’’ कांग्रेस नेता पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा जब विपक्ष में थी तब राजनाथ सिंह प्रज्ञा से जेल में मिले थे। तब राजनाथ ने प्रज्ञा से मिलने की बात से इनकार किया था। वर्ष 2012 के एक वीडियो में दिग्विजय जाकिर की तारीफ कर रहे हैं जिसके सामने आने के बाद भाजपा ने उनपर हमला किया है। हाल में ढाका के एक कैफे में हुए आतंकवादी हमले में शामिल लोगों के जाकिर से प्रेरित होने की खबरें सामने आने के बाद जाकिर सरकारी एजेंसियों की जांच के दायरे में आए हैं। भाजपा ने जाकिर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है और उसका कहना है कि उनके भाषणों से साफ होता है कि उन्होंने लोगों को भड़काया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। कोई भी इंसान जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसे उकसाता है, वह दोषी है। उनके जैसे लोग हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। सरकारी एजेंसियों को वर्तमान कानूनी व्यवस्था के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई पर फैसला करना चाहिए। यह साफ है कि उन्होंने लोगों को भड़काया।’’ उन्होंने दिग्विजय की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद का राजनीतिकरण करना और महिमा मंडन करना कांग्रेस के चरित्र में है। उसके नेताओं ने आतंकियों के लिए हाफिज साहब और ओसामा जी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने बटला हाउस मुठभेड़ में निरीक्षक मोहनचंद शर्मा की शहादत पर सवाल किए और कहा कि उनकी अध्यक्ष सोनिया गांधी मुठभेड़ में लोगों (आतंकियों) के मारे जाने को लेकर रात भर रोयी थीं।’’ दिग्विजय ने कहा कि अगर जाकिर के खिलाफ कोई सबूत है तो भारत और बांग्लादेश की सरकारों को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने इससे पहले कहा था, ‘‘मैंने सांप्रदायिक सद्भाव की अपील की है और हिन्दुओं या मुसलमानों किसी के भी धार्मिक कट्टरवाद और आतंकवाद का विरोध किया है।’’  
जाकिर पर कसने लगा शिकंजा, जांच शुरू 
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के संस्थापक अध्यक्ष ज़ाकिर नाईक पर शिकंजा कसता जा रहा है। गृह मंत्रालय उनके कामकाज और भाषणों की जांच कर रहा है। उनके 'पीस टीवी' के खिलाफ भी जांच की बात हो रही है। दरअसल जब बांग्लादेश के एक हमलावर के फेसबुक एकाउंट पर मुंबई के ज़ाकिर नाईक से प्रेरणा लेने की बात आई तो सबका ध्यान नए सिरे से नाईक के भाषण और उनकी संस्था के कामकाज की ओर गया। अब गृह मंत्रालय उनकी जांच में जुट गया है। यह देखा जा रहा है कि उनकी संस्था इस्लामी रिसर्च फाउंडेशन कहीं फ़िदाईन हमलों को बढ़ावा तो नहीं देती? और कहीं लश्कर से उसका वास्ता तो नहीं है। एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक जांच इस बात की हो रही है कि क्या 2006 में मुंबई के सीरियल धमाकों के आरोपी राहेल शेख और ज़ैबुद्दीन अंसानी अक्सर डोंगरी इलाके में आईआरएफ में मिलते थे? जांच इस बात की दुबारा हो रही है कि क्या आईआरएफ का लाइब्रेरियन लश्कर की उस सेल का अहम सदस्य था जिसने बमबारी की थी? 26/11 के आरोपी डेविड हेडली के पास भी आईआरएफ के नंबर थे। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि ओसामा बिन लादेन और तालिबान से इनके संपर्क तो नहीं रहे। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि "हम आतंकवाद से कोई समझौता नहीं करेंगे। ज़ाकिर नाईक के द्वारा दिए गए भाषणों को भी परखा जा रहा है।" इस बीच ज़ाकिर नाईक के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहने की सौ से ज़्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। कहा जा रहा है कि आईआरएफ लगातार ऐसी सभाएं करता था जिनमें नाईक धर्म परिवर्तन पर जोर देता था। जांच ज़ाकिर नाईक के पीस टीवी की भी चल रही है जिस पर आपत्तिजनक सामग्री के प्रसारण का इल्जाम है। इस सबके बीच ज़ाकिर नाईक के खिलाफ ऑनलाइन पिटीशन का दौर चल पड़ा है। उनकी संस्था पर पाबंदी की मांग हो रही है। जितने भी आरोप ज़ाकिर नाईक पर लगाए जा रहे हैं वे नए नहीं है। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय तब जगा है जब ज़ाकिर नाईक का मामला मीडिया में उछला। अब मांग इस बात की हो रही है कि जब ज़ाकिर नाईक को मलेशिया, कनाडा और यूनाईटेड किंगडम में बैन किया जा सकता है तो भारत में क्यों नहीं?
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