नई दिल्ली। यूपी चुनाव से पहले अयोध्या का राम मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। एक किताब में दावा किया गया है कि राम मंदिर बाबर ने नहीं बल्कि औरंगजेब ने तोड़ा था। इस किताब को गुजरात के पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने लिखा है। इसमें यह साबित करने की कोशिश की गई है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर मौजूद था, जिसे गिराकर उस जगह पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी।
किताब का नाम 'अयोध्या रीविजिटेड' है। इसे गुजरात कैडर के 1972 बैच के IPS किशोर कुणाल ने लिखा है। बिहार के रहने वाले कुणाल बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रेसिडेंट भी रहे हैं। रिटायर होने के बाद वह दरभंगा के केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं। कुणाल 1990 में (बाबरी मस्जिद गिराए जाने से पहले) भी ऑफिशियली अयोध्या विवाद से जुड़े रहे हैं। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त वे होम मिनिस्ट्री में ओएसडी थे। इस बुक का इंट्रोडक्शन पूर्व चीफ जस्टिस जीबी पटनायक ने लिखा है। बुक में दावा किया गया है कि मंदिर बाबर के शासनकाल 1528 AD में नहीं बल्कि औरंगजेब के शासन 1660 AD में गिराया गया था। किताब में यह भी जिक्र किया गया है कि राम मंदिर को गिराए जाने के दौरान फेदाई खान औरंगजेब का गवर्नर था। बुक में दावा किया गया है कि बाबर कभी अयोध्या गया ही नहीं था। जबकि इतिहासकारों का कहना है कि बाबर ने अपने अवध के गवर्नर मीर बाकी को राममंदिर तोड़ने का आदेश दिया था। इतिहास में यह भी बताया गया है कि बाबरी मस्जिद को 1528 AD में बनाया गया था।
'अयोध्या रीविजिटेड' बुक में ब्रिटिश एरा की पुरानी फाइलों, संस्कृत की बुक में हुए राम मंदिर के जिक्र और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विवादित स्थल पर हुई खुदाई में मिले प्रमाणों और इन्फॉर्मेशन का जिक्र किया गया है। इसके बेस पर यह बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर को गिराकर ही उस जगह मस्जिद बनाई गई थी। किशोर कुणाल की बुक बाबरी मस्जिद बनाए जाने के समय को लेकर भी इतिहासकारों का दावा खारिज करती है।
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