नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की एक उच्चस्तरीय समिति ने कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारेबाजी वाले पिछले महीने के एक विवादित कार्यक्रम में कथित भूमिका को लेकर कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और दो अन्य छात्रों को निकालने की सिफारिश की है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि समिति की सिफारिश पर फैसला सुझावों पर पूरी जांच के बाद कुलपति एम जगदीश कुमार और मुख्य प्रॉक्टर ए डिमरी द्वारा किया जाएगा। कुलपति की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में सोमवार को इस रिपोर्ट पर चर्चा हुई जिसके बाद विश्वविद्यालय ने कन्हैया और उमर सहित 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस भेजे। ये छात्र विश्वविद्यालय नियम एवं अनुशासन के उल्लंघन के दोषी पाए गए थे।
संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम की जांच के लिए 10 फरवरी को समिति का गठन किया गया था। कार्यक्रम को लेकर कन्हैया, उमर और अनिर्बान को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया को तीन मार्च को तिहाड़ से जमानत पर रिहा किया गया जबकि उमर एवं अनिर्बान अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। सूत्रों ने कहा, ‘‘उच्चस्तरीय समिति ने एक महीने से अधिक समय की जांच के बाद पांच छात्रों को निकालने की सिफारिश की है। हालांकि इस संबंध में अंतिम फैसला कुलपति और प्रॉक्टर कार्यालय द्वारा किया जाएगा।’’ विश्वविद्यालय ने पांच सदस्यीय समिति द्वारा जांच पूरी होने पर 11 मार्च को कन्हैया सहित आठ छात्रों का शैक्षणिक निलंबन हटा दिया था। सूत्रों ने कहा कि कारण बताओ नोटिस जिन छात्रों को जारी किया गया है उनमें वे आठ छात्र भी शामिल हैं जिन्हें पहले इस मामले को लेकर निलंबित किया गया था और 10 छात्र वे हैं जिनके बारे में पुलिस ने विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी थी। कन्हैया के अलावा आठ निलंबित छात्रों में उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, आशुतोष, रामा नगा, अनंत कुमार, श्वेता राज और ऐश्वर्या अधिकारी शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह के मामलों में कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय नियमों में मानक प्रावधान हैं। उच्चस्तरीय जांच समिति की सिफारिशें जेएनयू अनुशासन एवं उचित आचरण के नियमों पर आधारित हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों के जवाब के आधार पर इस संबंध में अंतिम फैसला किया जाएगा।’’
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