औरैय्या (यूपी)। कोतवाली थाना क्षेत्र के जैतापुर गांव में दबंगों ने प्रसिद्द समाजवादी नेता और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष धर्मेश दुबे के पुत्र की पीट-पीट कर हत्या की। दबंगों की पिटाई से 3 अन्य युवक घायल हो गए। एक की हालत चिंताजनक है, उसे कानपुर रेफ़र किया गया है। इस मामले में सीओ सिटी का कथित बेशर्मी से भरा बयान सामने आया है।
सीओ सिटी सुभाष अत्री ने बताया कि प्रसिद्द समाजवादी विचारक और पूर्व नगर पालिका चेयरमैन धर्मेश दुबे के पुत्र जितेंद्र दुबे की दबंगों द्वारा पीट पीट की गई। हत्या के सम्बन्ध में मीडिया को दिए बयान में कहा कि आरोपी रमन और सुदीप दारू बेचने का काम करते हैं। सीओ सिटी के मुताबिक दारू के पैसे को लेकर 15 दिन पूर्व दोनों पक्षों में लड़ाई भी हुई थी। इस मामले में शुरू हुई रंजिश 9 अक्टूबर को खुनी रूप धारण कर लिया। शायद पुलिस को इसी की इंतजारी भी थी। सीओ सुभाष अत्री से सवाल है कि शहर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर अवैध शराब की हो रही बिक्री की जानकारी आखिर में पुलिस को क्यों नहीं हो पाई? अति संवेदनशील माने जाने वाले पंचायत चुनाव के दौरान गांवों की गतिविधियों खासकर अवैध शराब की बिक्री और असलाहों की अवैध फैक्ट्रियों पर पैनी नजर रखने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश हैं। उन निर्देशों का पालन क्यों नहीं कराया गया? जानवरों जैसी पिटाई और हमला कर एक ईमानदार नेता की छवि वाले समाजवादी नेता धर्मेश दुबे के पुत्र की हत्या जैसी जघन्य वारदात में बीट के सिपाही, चौकी के दरोगा और थाने के इन्स्पेक्टर की नाकामी साफ़ दिखाई देती है। बेशर्म और गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले औरैया के सीओ सिटी सुभाष अत्री क्या लापरवाह पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को देंगे?
लोगों का कहना है कि यदि गांवों में अवैध शराब की बिक्री हो रही है तो इसकी जानकारी पुलिस को अवश्य होगी। शराब की बिक्री और पैसे के लेनदेन को लेकर यदि 15 दिन पूर्व दोनों पक्षों में लड़ाई हुई थी तो पुलिस ने कोई प्रिवेंटिव कार्रवाई क्यों नही की? क्या पुलिस इसी प्रकार की वारदात की इंतजारी में थी?
सीओ सिटी सुभाष अत्री ने बताया कि प्रसिद्द समाजवादी विचारक और पूर्व नगर पालिका चेयरमैन धर्मेश दुबे के पुत्र जितेंद्र दुबे की दबंगों द्वारा पीट पीट की गई। हत्या के सम्बन्ध में मीडिया को दिए बयान में कहा कि आरोपी रमन और सुदीप दारू बेचने का काम करते हैं। सीओ सिटी के मुताबिक दारू के पैसे को लेकर 15 दिन पूर्व दोनों पक्षों में लड़ाई भी हुई थी। इस मामले में शुरू हुई रंजिश 9 अक्टूबर को खुनी रूप धारण कर लिया। शायद पुलिस को इसी की इंतजारी भी थी। सीओ सुभाष अत्री से सवाल है कि शहर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर अवैध शराब की हो रही बिक्री की जानकारी आखिर में पुलिस को क्यों नहीं हो पाई? अति संवेदनशील माने जाने वाले पंचायत चुनाव के दौरान गांवों की गतिविधियों खासकर अवैध शराब की बिक्री और असलाहों की अवैध फैक्ट्रियों पर पैनी नजर रखने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश हैं। उन निर्देशों का पालन क्यों नहीं कराया गया? जानवरों जैसी पिटाई और हमला कर एक ईमानदार नेता की छवि वाले समाजवादी नेता धर्मेश दुबे के पुत्र की हत्या जैसी जघन्य वारदात में बीट के सिपाही, चौकी के दरोगा और थाने के इन्स्पेक्टर की नाकामी साफ़ दिखाई देती है। बेशर्म और गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले औरैया के सीओ सिटी सुभाष अत्री क्या लापरवाह पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को देंगे?
लोगों का कहना है कि यदि गांवों में अवैध शराब की बिक्री हो रही है तो इसकी जानकारी पुलिस को अवश्य होगी। शराब की बिक्री और पैसे के लेनदेन को लेकर यदि 15 दिन पूर्व दोनों पक्षों में लड़ाई हुई थी तो पुलिस ने कोई प्रिवेंटिव कार्रवाई क्यों नही की? क्या पुलिस इसी प्रकार की वारदात की इंतजारी में थी?
रिपोर्टः योगेश जादौन
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