अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया है। सोमवार को ही गुजरात सरकार ने उनके कथित सेक्स वीडियो के मुद्दे पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उनसे कहा गया कि वे अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला के साथ रिश्ते पर सफ़ाई दें। संजीव भट्ट वही शख़्स हैं, जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। संजीव भट्ट ने कथित सेक्स वीडियो में ख़ुद के होने से इंकार किया है। उन्होंने कहा है कि वीडियो में मौजूद आदमी उनकी तरह दिखता है, पर वे स्वयं उसमें नहीं हैं।
गुजरात सरकार ने भट्ट को नोटिस के साथ उस वीडियो की सीडी भी भेजी है। नोटिस में दावा किया गया है कि फ़ोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी ने वीडियो क्लिप की जांच में पाया है कि सीडी असली है और उसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। संजीव भट्ट ने गुजरात सरकार पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है, ''यह वीडियो सबसे पहले बीते साल मई महीने में सामने आया था। इसे तेजिंदर पाल बग्गा के ट्विटर अकाउंट से अपलोड किया गया था। बग्गा 'नमो' पत्रिका के संपादक हैं और दक्षिणपंथी संगठन भगत सिंह क्रांति सेना से जुड़े हुए हैं।'' उन्होंने नोटिस का जवाब दे दिया है। जवाब में उन्होंने कहा है, ''ठीक से देखने पर पता चलता है कि चेहरे की बनावट में फ़र्क है, नाक, ललाट और कानों के आकार में अंतर है। शरीर की बनावट, बाल के रंग और अंगुलियों की बनावट में भी अंतर साफ़ दिखता है।'' संजीव भट्ट ने साल 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया था जिसमें उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा था कि गोधरा कांड के बाद 27 फ़रवरी, 2002 की शाम में मुख्यमंत्री की आवास पर हुई बैठक में वे मौजूद थे, जिसमें मोदी ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों से कहा था कि हिंदुओं को अपना ग़ुस्सा उतारने का मौक़ा दिया जाना चाहिए।
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