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आरक्षण पर अड़े पटेल, कहा मांगें नहीं मानी तो कभी नहीं खिलेगा कमल

अहमदाबाद। गुजरात में राजनीतिक रूप से मजबूत पटेल समुदाय को अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने की मांग के समर्थन में आज पाटीदार अनामत आंदोलन समिति की विशाल क्रांति रैली को संबोधित करते हुए इसके मुख्य संयोजक हार्दिक पटेल ने उनका हक मिलने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की तथा इसके लिए कानून और संविधान में बदलाव तक का आहवान किया। केंद्र और राज्य में सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी को एक तरह से खुली चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गयी तो फिर से कमल (भाजपा का चुनाव चिन्ह) नहीं खिलेगा। उन्होंने कहा कि गुजरात पर वही राज करेगा जो यहां के एक करोड 80 लाख पाटीदार (पटेल) समुदाय की बात सुनेगा। उन्होंने पटेलों को किसानों का बेटा बताते हुए कहा कि राज्य में अब तक 6000 किसानों ने आत्महत्या की है पर आगे ऐसी एक भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जीएमडीसी मैदान में ढाई लाख से अधिक की भीड को गुजराती की बजाय हिंदी में संबोधित करते हुए युवा पटेल नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि उनका आंदोलन राजनीतिक नहीं है। यह किसी अन्य पिछडा वर्ग अथवा अन्य समुदाय या व्यक्ति के विरोध में नहीं है। उन्हें तो ब्राह्मणों, क्षत्रियों और लोहाना समेत आरक्षण की मांग कर रही अन्य जातियों का भी समर्थन है। वह स्वयं भी सबकी समानता के पक्ष में हैं ताकि पटेलों और अन्य वर्गों को उनके हक से वंचित नहीं रहना पडे। उन्होंने कहा कि गरीबों को उनका हक नहीं मिलने से ही आतंकवादी और नक्सलवादी पैदा होते हैं, सरकार को इस बात को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन तुरंत समाप्त होने वाली कोई 100 मीटर की दौड भी नहीं है, बल्कि मैराथन की तरह है। वह अपना हक लेकर रहेंगे। अगर इसे प्रेम से नहीं दिया जाएगा तो यह छीन कर लिया जाएगा। हम हक मांग रहे हैं कोई भीख नहीं। पिछले साठ साल में पूरे देश में किसी समुदाय ने ऐसा आंदोलन नहीं किया। भाजपा वाले कहते हैं कि इसके पीछे कांग्रेस है और कांग्रेस वाले भाजपा का हाथ देखते हैं। कुछ लोग इसमें आम आदमी पार्टी का सरोकार देखते हैं पर ऐसा नहीं है। यह युवाओं का गैरराजनीतिक आंदोलन है। यह किसी पार्टी का नहीं बल्कि पाटीदारों का आंदोलन है। उन्होंने हर साल 25 अगस्त को पाटीदार क्रांति दिवस के तौर पर मनाने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि पटेलों की मांग के मामले में अदालत की बजाय जनता की आवाज को सुना जाना चाहिए। पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास के नारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह भी ऐसा ही चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 27 करोड पटेल हैं और अगर वे एकजुट हो गये तो कोई भी इनकी बात अनसुनी नहीं कर सकता। उन्होंने अपने संबोधन में राजनेताओं का जिक्र करते हुए कहा कि आंदोलन की सीख अरिवद केजरीवाल से ली जानी चाहिए। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के अपने समुदाय का होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे भी हमारे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मांग नहीं मानी गयी तो पटेल समुदाय आगामी चुनाव मे नोटा बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि पटेलों को लंबे समय से भाजपा का समर्थक माना जाता है। गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी स्थापित करने की मोदी की पसंदीदा परियोजना पर कटाक्ष करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा कि सिर्फ प्रतिमा बनाने से नहीं होगा बल्कि दिल में भी उनके आदर्श होने चाहिए। जय सरदार जय पाटीदार के नारो के बीच होने वाले अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अगर आजादी के बाद श्री पटेल प्रधानमंत्री बने होते तो आज पटेलों को अपने हक के लिए सडक पर नहीं निकलना पड़ता। उन्होने अपने संबोधन में बार-बार पटेलों को सरदार पटेल तथा भगवान श्रीराम का वंशज बताया। उन्होंने इस आंदोलन की एक बडी उपलब्धि राज्य के कडवा और लेवुआ पटेलों की एकता को बताया तथा लोगों से अपने ही बीच मौजूद उन गद्दारों से सावधान रहने की अपील की जो आंदोलन को कमजोर करने में लगे हैं। उन्होंने अपने स्वयंसेवकों के सफेद के साथ ही केसरिया टोपी पहनने पर आपत्ति जताने वालों को जवाब देते हुए कहा कि केसरिया रंग पर किसी का ठप्पा नहीं लगा। पटेल भगवान राम के पुत्र लव और कुश के वंशज हैं और केसरिया उनका अपना रंग है। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों से आने वाले समय में अपनी मांग के लिए दिल्ली के जंतर मंतर, राजधानी गांधीनगर जाने तथा जेल भरने की भी अपील की। सभा के बाद समिति को एक विशाल रैली निकाल कर कलेक्टर कार्यालय पहुंचना था पर सुरक्षा कारणों और खुफिया रिपोटरें के अनुसार शहर में सात से आठ लाख की भीड जुट जाने के मद्देजनर जब कलेक्टर राजकुमार बेनीवाल स्वयं ज्ञापन लेने के लिए सभास्थल पहुंचे तो हार्दिक ने इसे महाट्विस्ट बताते हुए इसका विरोध किया। वे मंच पर ही अनशन पर बैठ गये। वे स्वयं मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के वहां आने तथा ज्ञापन लेने की मांग पर अड गये हालांकि बाद में मंच से घोषणा की गयी कि रैली निकाली जाएगी। आयोजकों ने दावा किया कि रैली के लिए शहर में लगभग 18 लाख की भीड जुटी है। ज्ञातव्य है कि इस सभा और रैली के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किये गये हैं। सभा स्थल जीएमडीसी मैदान से हेल्मेट चार रास्ता, विजय चार रास्ता, दपर्ण सर्किल, उस्मानपुरा, आश्रम रोड, वाडज सर्किल होते हुए सुभाष ब्रिज के निकट कलेक्टर कार्यालय तक जाने वाली इस रैली को कल देर शाम मंजूरी दी गयी थी हालांकि सभा के लिए पहले से ही अनुमति मिल गयी थी। लगभग तीन लाख की क्षमता वाला यह मैदान पूरी तरह भर गया था। हालांकि सभा के दौरान कुछ बार व्यवधान भी आया और हार्दिक को मंच से लोगों के बैठने की अपील भी करनी पडी। उन्हे तो यह भी कहना पडा कि वहां कुछ गद्दार भी मौजूद हैं जो आंदोलन को विफल करना चाहते हैं। सुरक्षा इंतजाम के तहत एस पी स्तर के 20 तथा डीएसपी स्तर के 62 अधिकारियों समेत 20000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। इसमें 244 इंस्पेक्टर, 504 सब इंस्पेक्टर, 817 महिला पुलिस, 13,000 कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल भी तैनात हैं। इसकी हवाई निगरानी के लिए चार यूएवी नेत्र को भी लगाया गया है जिनमें से एक यातायात व्यवस्था, दो सभा स्थल तथा एक शेष शहर पर नजर रखे हुए है। नियमित कंट्रोल रूम के अलावा जीएमडीसी मैदान के निकट एक विशेष कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया है। रैली तथा सभा के दौरान कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए राज्य रिजर्व पुलिस (एसआरपी) की 28 कंपनियां, रैपिड एक्शन फोर्स की चार, चेतक कमांडो की दो तथा स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और क्विक रिस्पांस टीम की 15 कंपनियां तैनात की गयी हैं। एसआरपी के बाढ विशेषज्ञ दस्ते की एक कंपनी के 90 गोताखोर साबरमती नदी में तैनात हैं। 600 सीसीटीवी कैमरों के जरिये रैली के मार्ग पर और सभा पर नजर रखी जा रही है तथा इसके अलावा ऐसे कैमरे वाले छह कमांड एंड कंट्रोल वाहन भी सेवा में लिये गये हैं। पानी के बौछार करने वाले 11 वाटर कैनन, 20 बम निरोधक दस्ते, एंबुलेंस तथा अग्निशमन दस्ते भी अलग अलग स्थानों पर तैनात हैं। साइबर सेल इंटरनेट और सोशल मीडिया पर किसी तरह के अफवाहों पर नजर रख रहा है। रैली में भाग लेने वालों से हाई वे पर लिया जाना वाला टॉल टैक्स नहीं लिया गया तथा बताया जाता है कि आयोजकों से जीएमडीसी मैदान के आवंटन का शुल्क भी नहीं लिया जाना है। रैली के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए आयोजकों ने अपने 40000 स्वयंसेवकों का जत्था तैयार किया है। इसके अलावा उनका खुफिया दल भी सक्रिय है। पुलिस ने पूरे शहर के करीब 20 रास्तों को वाहन चालन के लिए बंद कर नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। इस क्षेत्र में चलने वाली सिटी बसों को दूसरे रास्तों से चलाया जा रहा है। बहुत से शिक्षण संस्थान बंद रहे। ज्ञातव्य है कि गुजरात में गत छह जुलाई को महेसाणा के विसनगर में निकली पटेल समुदाय की हिंसापूर्ण रैली के बाद से अब तक पिछले 48 दिनों में राज्यभर में आरक्षण समर्थक 190 से अधिक रैलियां निकली हैं। इन रैलियों में से 140 अकेले पटेल समुदाय है। इसके अलावा आर्थिक और अन्य आधार पर आरक्षण की मांग करते हुए ब्राह्मण क्षत्रिय लोहाना सोनी और अन्य समुदायों ने भी 55 रैलियां निकाली हैं। पहले इन रैलियों का सिलसिला पटेल समुदाय ने उत्तर गुजरात से किया था जो बाद में सौराष्ट्र, मध्य और दक्षिण गुजरात में फैल गया। पटेलों के बाद अन्य समुदाय भी ऐसी मांग के साथ प्रदर्शन और रैलियां निकालने लगे हैं। आयोजकों ने आज की रैली में 25 लाख से अधिक लोगों की भीड जुटने का दावा किया था। उधर, मुख्यमंत्री आंनदीबेन पटेल ने, जो स्वयं पटेल समुदाय की हैं, जनता के नाम एक संदेश में आरक्षण की मांग को पूरा करने में असमर्थता जतायी थी तथा कहा था कि संविधान की सीमाओं तथा उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के कारण ऐसा करना संभव नहीं है। हार्दिक पटेल ने आज अपने संबोधन में कहा कि अगर मुंबई बम हमले के आरोपी याकूब मेमन जैसे आतंकवादी की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट साढे तीन बजे सुबह खुल सकता है तो उनकी मांग पर वह जरूर विचार करेगा।
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