नई दिल्ली | सरकार ने आज विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को लोकसभा में पेश किया। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने विधेयक को ‘किसान विरोधी’ बताते हुए इसे पेश किए जाने का कड़ा विरोध किया और इसके खिलाफ सदन से वॉकआउट भी कर गए। विपक्ष द्वारा विधेयक को पेश किए जाने पर कड़ा विरोध जताए जाने के बीच अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी व्यवस्था में कहा, ‘‘समान विषय पर लोकसभा द्वारा पारित विधेयक के राज्यसभा में लंबित रहते हुए ऐसा कोई नियम नहीं है जो विधेयक को पेश होने से रोके।’’ अध्यक्ष ने यह भी कहा कि प्रस्तावित विधेयक के जैसा कोई समान विधेयक लंबित नहीं है। इसके बाद उन्होंने विधेयक को पेश करने के मुद्दे पर सदन की राय ली, लेकिन सदन की राय लिए जाने से पूर्व सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप और वाम दलों के सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए। नारेबाजी कर रहे कुछ सदस्य विधेयक के विरोध में अपने हाथों में प्लेकार्ड लिए हुए थे।
सदन की सहमति के बाद ग्रामीण मामलों के मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने “भूमि अर्जन, पुनर्वासन, और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) दूसरा विधेयक 2015’’ पेश किया। सरकार अब तक दो बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी कर चुकी है क्योंकि पहले अध्यादेश का स्थान लेने वाला विधेयक संसद द्वारा पारित नहीं हुआ था।विधेयक को किसानों के हितों के खिलाफ बताते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों और कॉरपोरेट के हितों के लिए काम कर रही है। खडगे ने कहा कि अध्यक्ष को विशेषाधिकार है लेकिन इस शक्ति का इस्तेमाल ‘‘न्यायोचित’’तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने अध्यक्ष से विधेयक को पेश करने की अनुमति नहीं देने की अपील की।
राजग सरकार की सहयोगी पार्टी स्वाभिमानी पक्ष के राजू शेट्टी ने भी यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि इसमें भूमि अधिग्रहण में किसानों की सहमति लेने संबंधी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार आज इस विधेयक को पारित नहीं कराने जा रही है, आज केवल इसे पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह “किसान हितैषी विधेयक है’’ जिसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। नायडू ने कड़े शब्दों में कहा, “यदि विपक्ष राजनीतिक बयानबाजी करता रहेगा और अलोचना करेगा, तो सरकार बैठकर देखती नहीं रह सकती।’’ विपक्ष के संसदीय परंपराओं और नियमों को ध्वस्त करने के आरोपों के जवाब में वेंकैया ने कहा, ‘‘ध्वस्त वाली क्या बात है, हम बहुमत का विचार जानना चाहते हैं। विधेयक पर हमारे कुछ सुझाव हैं।’’ इस बीच, महाजन ने विरोध जता रहे सदस्यों को शांत कराने का प्रयास किया और कहा कि यदि वे इस प्रकार शोर मचाते रहेंगे तो वह उनकी बात सुन नहीं पाएंगी। लेकिन सदस्यों का विरोध जारी रहा। इस बीच महाजन ने विधेयक को पेश करने संबंधी प्रस्ताव को सदन की राय जानने के लिए रखा। प्रस्ताव पर सहमति मिलने के बाद मंत्री ने विधेयक पेश किया। (साभार जनसत्ता)
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