नई दिल्ली। एक तरफ जहां उत्तराखंड में अलकनंदा किनारे स्थित बदरी धाम के कपाट श्रद्दालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। वहीं दूसरी तरफ पशुपतिनाथ के देश नेपाल में भूकंप से आई भारी तबाही से 1800 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। बर्फ से ढका बद्रीनाथ मंदिर आज सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर भक्तों के लिए खोल दिया गया। अब भक्त बद्रीनाथ के दर्शन कर उनकी पूजा अर्चना कर सकेंगे। कपाट खुलने की परम्परा के साक्षी बनने के लिये देश विदेश से नारायण भक्त बड़ी संख्या में धाम पहुंचें। हिंदुओं के चार धामों में से एक बदरी धाम उत्तरांचल में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच है। गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे बसा यह तीर्थस्थल हिमालय में समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां भगवान विष्णु का विशाल मंदिर है। यहां बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई, चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। यहां नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है।
माना जाता है कि इस मंदिर का आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने निर्माण कराया था। इसके पश्चिम में 27 किमी की दूरी पर स्थित बदरीनाथ शिखर कि ऊंचाई 7,138 मीटर है। देश विदेश के हजारों श्रद्धालु हर साल चार धाम यात्रा के लिए बदरीनाथ पहुंचते हैं। भगवान विष्णु के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं। इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही भक्तों के लिए खोले जा चुके हैं। 2013 में आई बाढ़ में हजारों लोगों के मरने के बाद पिछले दो सालों में इन तीर्थस्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई , लेकिन सरकार की कोशिशों के मद्देनजर माना जा रहा है कि इस साल फिर से श्रद्धालु बड़ी तादात में यहां पहुंचेंगे।
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