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यूपी में 108 आइएएस-आइपीएस बदले, बदायूं के डीएम-एसएसपी सस्पेंड

लखनऊ। बदायूं दुष्कर्म मामले को लेकर फजीहत झेलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का मन बना लिया है। उन्होंने शनिवार को सूबे के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को तलब कर कई बड़े फैसले लिए। सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 42 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। बदायूं में दो बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले के तूल पकड़ने की भड़ास मीडिया पर उतारने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बदायूं के डीएम शंभुनाथ यादव तथा एसएसपी अतुल सक्सेना को निलंबित कर दिया। इसके अलावा राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से जुड़े 66 अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया है। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, जिन अधिकारियों का तबादला किया गया है कि उनमें कई बड़े-बड़े नाम शामिल हैं। रायबरेली की जिलाधिकारी अदिति सिंह और गोंडा की जिलाधिकारी किंजल यादव को हटा दिया गया है। फिलहाल इन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। मुख्यमंत्री अखिलेश ने शनिवार को मुख्य सचिव आलोक रंजन, पुलिस महानिदेशक ए.एल. बनर्जी, प्रमुख सचिव (गृह) दीपक सिंघल के साथ बैठक कर ये फैसले किए। बैठक के बाद मुख्य सचिव रंजन ने कहा कि सूबे में कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। शांति व्यवस्था हर हाल में कायम की जाएगी। रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मेरिट का ध्यान रखते हुए तबादले किए हैं। उनकी प्राथमिकता सूबे में कानून-व्यवस्था कायम रखना है और इसके लिए ईमानदार और मेरिट वाले अधिकारियों को तरजीह दी गई है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि अपराधियों और शांति भंग करने वालों के खिलाफ एनएसए लगेगा। महिलाओं से कोई अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर कार्रवाई नहीं होने की शिकायत होती है तो बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा। आलोक रंजन ने बताया कि विधायकों, सांसदों के अलावा अदालती आदेश को छोड़ कर सभी के गनर छीने जाएंगे। राज्य में कहीं भी अवैध खनन हुआ तो डीएम-एसएसपी जिम्मेदार होंगे। मुख्य सचिव ने बताया कि अवैध खनन को लेकर जिलाधिकारियों को सख्त कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिलाधिकारियों से कहा गया है कि अवैध खनन की छापेमारी करने वाले अधिकारियों को पर्याप्त पुलिस बल मुहैया कराए जाएं। उन्होंने बताया कि गौ-हत्या को लेकर भी सरकार गंभीर है। अधिकारियों को इसे रोकने के निर्देश दिए गए हैं और छापेमारी की जा रही है। गौकशी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की पूरी कोशिश की जाएगी। रंजन ने कहा कि एमपी-एमएलए को छोड़कर सभी प्रकार के लोगों के गनर तत्काल प्रभाव से वापस ले लिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया के साथ भी बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की जाएगी। सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश जारी किया गया है कि जिले में कहीं भी बड़ी घटना होती है तो वे खुद वहां उपस्थित हों और तत्काल संबंधित घटना की जानकारी मीडिया को उपलब्ध कराएं। मुख्य सचिव ने कहा कि पूरे प्रदेश में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। भू-माफियाओं और शराब माफियाओं के खिलाफ भी एक अभियान चलाया जाएगा। हर स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। अफसर अपने पदों पर सिर्फ प्रशासन चलाने के लिए नहीं बैठे हैं बल्कि अच्छी तरह से प्रशासन चलाने के लिए हैं।
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