लखनऊ।मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव की सर्वाधिक हाट संसदीय सीट वाराणसी पर प्रचार के अंतिम दिन बेहद कम दूरी के रोड शो में बड़ा निशाना साधा। करीब चार किलोमीटर के रास्ते में बेहद गंभीर रणनीति के तहत वह सब कुछ साधने की कोशिश की गई थी जिसे आज के सियासी दौर में सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है।
रोड शो की शुरुआत वाराणसी के मलदहिया चौराहे से हुई। करीब डेढ़ बजे पहुंचे मुख्यमंत्री ने पहले तो चौराहे पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसी प्रतिमा का माल्यार्पण करने के बाद भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने भी अपना नामांकन जुलूस निकाला था। माल्यार्पण के बाद खुले वाहन पर सवार अखिलेश का काफिला लहुराबीर की ओर बढ़ा। पार्टी की थीम पर बजते गीतों और जोशीली जयकारों से नगर का सियासी पारा चढ़ा। लाल टोपी, टीशर्ट, शर्ट और साफा धारण किए सपाइयों ने पूरे रास्ते इतने फूल बरसाए कि पंखुड़ियों की कालीन से सड़क ढक गई और समाजवादी झंडों से पूरा क्षेत्र। सर्वाधिक शक्ति प्रदर्शन हथुआ मार्केट के पास से देखने को मिला जिसके करीब ही कांग्रेस प्रत्याशी का आवास भी है और सुबह ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी का रोड शो इधर से ही निकला था। लहुराबीर से आगे बढ़ा रोड शो चेतगंज तक वैश्य और चौरसिया समाज को साधता-बांधता दिखा। दोनों ही समुदाय की बहुलता वाले इस इलाके में से चौरसिया समाज के अपने प्रत्याशी को लेकर काफी जोश दिखा। सड़कें तो पटी ही थीं, बरामदे, छत और बारजे तक महिलाओं व बच्चों से भरे थे। हालांकि बेनियाबाग के सामने आरती उतारने की महिलाओं की साध मन में ही रह गई। नई सड़क आते-आते गजब का रेला जिसे नियंत्रित करने में सीआरपी, आरएएफ और मुख्यमंत्री के निजी सुरक्षाकर्मियों के भी पसीने छूट गए। गिरजाघर चौराहा पर समापन संबोधन में अखिलेश ने नरेंद्र मोदी और मायावती को निशाने पर लिया, सपा सरकार की उपलब्धियां भी बताई। अगले बजट में बनारस पर खास ध्यान देते हुए विकास का वादा किया। इसमें अधिक जोर बुनकरों को राहत और बिजली संकट से निजात पर रहा।
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