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भारतीय दूतावास पर हमला करने वाले चारों आतंकी ढेर

काबुल। अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले में शामिल चारों आतंकियों को मार गिराने का दावा किया गया है। इस बीच नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि वहां वाणिज्य दूतावास के सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के राजदूत से बात करके हर संभव मदद के लिए आश्वस्त किया है। विदेश सचिव सुजाता सिंह अफगानिस्तान के अधिकारियों के संपर्क में हैं। जानकारी के मुताबिक, भारी हथियारों से लैस बंदूकधारियों ने भारतीय समय के अनुसार शुक्रवार तड़के पौने पांच बजे हमला किया। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि इन हमलावरों के पास रॉकेट संचालित ग्रेनेड भी थे। मुठभेड़ करीब छह घंटे तक चली। वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी ने कहा है कि चारों आतंकवादी मारे गए हैं और ऑपरेशन खत्म हो चुका है। आईटीबीपी के डीजी सुभाष गोस्वामी ने बताया कि हमले के बाद जारी मुठभेड़ का नेतृत्व इंस्पेक्टर मंजीत सिंह कर रहे थे। सिंह के साथ आईटीबीपी के 23 जवान मुस्तैद थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा आईटीबीपी के बहादुर जवानों और अफगान सैनिकों ने मिलकर हमले को नाकाम कर दिया । हमले की जिम्मेदारी फिलहाल किसी आतंकी ग्रुप ने नहीं ली है। अकबरुद्दीन ने बताया कि दूतावास में मौजूद सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। स्थानीय मीडिया का कहना है कि आतंकी वाणिज्य दूतावास के पीछे स्थित एक घर में छिपे हुए थे और मौका देखकर हमला कर दिया। अफगान पुलिस अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार सुबह पास के एक मकान से मशीनगनों और रॉकेट संचालित ग्रेनेड से लैस तीन बंदूकधारियों ने वाणिज्य दूतावास पर गोलीबारी शुरू कर दी। भारत ने अफगानिस्तान में कई बड़े प्रॉजेक्ट्स में निवेश किया है। इनमें हेरात प्रांत में सलमा जलविद्युत बांध और काबुल में अफगान संसद की इमारत शामिल हैं। फिलहाल भारत की ओर से अफगानिस्तान को दी जा रही सहायता दो अरब डॉलर की है। इस बडी राशि के सहयोग के चलते भारत क्षेत्रीय देशों में से सबसे बड़ा दानदाता देश बन गया है। अफगानिस्तान से इस साल के अंत में विदेशी सेनाओं की वापसी की योजना है। इसी बीच अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों में वृद्धि देखने को मिली है। पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित जलालाबाद शहर में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बमबारी का विफल प्रयास किया गया था। हालांकि इसमें छह बच्चों समेत कुल नौ लोग मारे गए थे लेकिन किसी भी भारतीय अधिकारी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। काबुल में भारतीय दूतावास पर वर्ष 2008 और 2009 में हमला हो चुका है और इसमें 75 लोग मारे गए थे। जुलाई 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास के बाहर आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया था, जिसमें कम-से-कम 41 लोगों की मौत हो गई थी और डेढ़ सौल लोग घायल हो गए थे। अफगानिस्तान के सरकारी अधिकारियों के मुताबिक विस्फोटकों से भरी एक कार को आत्मघाती हमलावर ने भारतीय दूतावास के गेट पर टकरा दिया था, जिसके बाद विस्फोट हुआ था।
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