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बोले राहुल गांधी, जनता का नौकर हूं, सिर्फ जनता के लिए काम करता हूं

कांग्रेस उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद के अघोषित दावेदार राहुल गांधी ने आज तक से बेहद खास बातचीत की। मोदी से लेकर भ्रष्टाचार जैसे अहम मुद्दे, गुजरात मॉडल से लेकर चुनावी रुझानों तक जावेद अंसारी से राहुल गांधी ने बेबाक बातचीत की। राहुल ने पिछले दस साल में पहली बार किसी हिन्दी न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया। राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वो प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बेहद सहजता से कहा- ‘मैंने कहा है कि आप अगर हमारा संविधान पढ़ेंगे, तो संविधान में लिखा है कि प्रधानमंत्री को एमपी चुनेंगे। ये जो आजकल हो रहा है प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी को लेकर, ये सही मायने में संवैधानिक चीज नहीं है। संवैधानिक चीज ये होगी जब इलेक्शन होगा। तब हमारे एमपी प्रधानमंत्री चुनेंगे। अगर हमारे सांसद मुझे चुनेंगे तो मैं जिम्मेदारी से नहीं हटने वाला।’ राहुल ने खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किए जाने के कांग्रेस के फैसले का बचाव किया। तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी की दावेदारी का माखौल भी उडाया। उन्होंकने कहा, ‘मेरी सोच है कि हिंदुस्तान की जनता की इज्जत करनी चाहिए। तो अगर मैं कहूं कि मैं हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं या बन गया तो उनकी इज्जत नहीं होगी। मैं एक प्रकार से नौकर हूं। हिंदुस्तान का नौकर हूं और मैं अपनी जनता के लिए काम करता हूं।’ जब सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस को बहुमत मिलेगा, क्या वाकई जनता उसके कामकाज के इतना खुश है कि उसे एक और मौका दे। उन्होंाने कहा, ‘बहुमत मिलना चाहिए। मगर हमारी लड़ाई असल में विचारधारा कि लड़ाई है। चुनाव में दो विचारधाराएं हैं। हमारी सोच है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की शक्ति दी जाए। हम विकेंद्रीकरण की बात करते हैं। अधिकार की बात करते हैं। उनकी सोच सत्ता की शक्ति है। एक व्यक्ति सारी शक्ति ले जाए और हिंदुस्तान को अपनी मर्जी से चलाए। ये बिल्कुल अलग तरह की विचारधारा है।’ मगर बीजेपी की विचारधारा में खोट है तो लोग नरेंद्र मोदी को इतना पसंद क्यों कर रहे हैं? क्यों गुजरात मॉडल देश में चर्चा और कौतूहल का विषय है। राहुल ने एक झटके में इसका श्रेय मोदी से खींच लिया। उन्होंाने जवाब दिया, ‘गुजरात जब खड़ा हुआ था तो वो छोटे उद्योगों पर खड़ा हुआ था। अमूल जैसे को-ऑपरेटिव मूवमेंट पर खड़ा हुआ था और उसकी वो ताकत है। आप अब गुजरात मॉडल को देखें तो एक व्यूक्ति के बिजनेस का टर्नओवर 3 हजार करोड़ से बढ़कर 40 हजार करोड़ पहुंच गया।’ राहुल ने अडाणी का संकेत देकर खुद ही बातचीत का विषय भ्रष्टाचार की ओर मोड़ दिया। लेकिन एक जवाब में उन्होंने माना कि भ्रष्टाचार देश के लिए किसी दैत्य से कम नहीं है। ‘भ्रष्टााचार हिन्दुोस्तारन में एक सच्चासई है। अगर आपको भ्रष्टा्चार से लड़ना है तो बातचीत बंद करके एक्शटन लेना होगा। एक्शतन बातों से नहीं इंस्टीयटयूशनल फ्रेमवर्क से होगा। आप बीजेपी का घोषणापत्र पढ़ेंगे तो उसमें लिखा है हम भ्रष्टाचचार से लड़ेंगे। लेकिन उसमें एक लाइन नहीं है कि वे करेंगे क्यां?’ एक मंझे हुए राजनेता की तरह राहुल ने ना सिर्फ इतिहास की दुहाई दी, अपनी सरकार के काम को सराहा बल्कि भविष्य के भारत का तानाबाना भी पेश किया। उन्हों ने कहा, ‘हम मैनिफेक्चसरिंग कॉरिडोर की बात कर रहे हैं। दिल्लीज से लेकर मुंबई। मुंबई से लेकर चेन्नकई। चेन्नमई से बैंगलोर। दिल्लीा से कोलकाता। हम एक मैनिफेक्चररिंग बैकबोन बना रहे हैं। बिजली-पानी, पूरा इन्फ्राोस्ट्रीक्चलर, पूरा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर। इसके लिए हमने जापान से साथ गठजोड़ किया है। इससे लोगों को करोड़ों रोजगार मिलेंगे। मैं अपने भाषणों में कहता हूं कि आजकल मेड इन चाइना होता है। हम चाहते हैं कि मेड इन इंडिया हो।’ शायद मोदी के इंडिया फर्स्ट के नारे के लिए ये राहुल का जवाब था- मेड इन इंडिया..इंडिया में जब उत्पादन बढे़गा तो रोजगार के अवसर भी बढेंगे और खुशहाली भी। उम्मीद जगाने और उम्मीद लगाने के बीच राहुल खुद भी जानते और मानते हैं कि उन्हें दो मोर्चों पर लडना है- नरेंद्र मोदी के साथ साथ एंटी इंकम्बेंसी से भी।
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