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फिर फन उठाएगी महंगाई

जोसफ बर्नाड, नई दिल्ली। आम आदमी के साथ नई सरकार के लिए भी अच्छी खबर नहीं है। गरमी बढ़ने के साथ ही महंगाई का पारा भी चढ़ने की आशंका है। जिस तरह मार्च के महंगाई के आंकड़े सामने आए हैं, उससे एक्सपर्ट को यही लग रहा है कि सितंबर तक खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़त का दौर जारी रह सकता है। ऐसा होने पर ब्याज दरें कम होने की संभावनाएं भी खत्म हो जाएंगी। ताजा आंकडों के अनुसार, मार्च में थोक महंगाई 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 4.68 प्रतिशत पर थी। इस महीने खाने-पीने की चीजों की महंगाई की दर 8.12 प्रतिशत से बढ़कर 9.9 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह रीटेल महंगाई दर फरवरी के 8.03 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 8.31 प्रतिशत हो गई। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार, पिछले महीनों में महाराष्ट्र समेत देश के कुछ हिस्सों में जिस तरह से ओले पड़े, उसके चलते फसलों के नष्ट होने की खबर है। ऐसे में सप्लाई चेन गड़बड़ाने और जमाखोरी बढ़ने की जो आशंका जताई गई थी, वे भी वजूद में आने लगी हैं। इससे कीमतों में तेजी का आना स्वाभाविक है। इस समय भी थोक और खुदरा महंगाई दर के बीच का अंतर 3 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि किस तरह मार्केट में बाजार शक्तियां (कारोबारी) हावी हैं। इसके पीछे कमजोर मॉनसून की खबरें हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा नेगेटिव असर उत्पादन पर पड़ेगा। उत्पादन कम होगा तो महंगाई बढ़ेगी। एसबीआई के चीफ इकनॉमिक अडवाइजर सौम्याकांति घोष का कहना है कि अब महंगाई में कमी की बात करना बेमानी है। महंगाई में तेजी सितंबर-अक्टूबर तक जारी रह सकती है। जून से लेकर सितंबर तक थोक महंगाई दर 7 प्रतिशत तक जा सकती है। जब थोक महंगाई दर 7 प्रतिशत पर पहुंचेगी, तो रीटेल महंगाई दर कितनी ऊंचाई पर पहुंचेगी और खाने-पीने की चीजें कितनी महंगी होंगी, इस बारे में ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है। मई में जो भी नई सरकार केंद्र में आएगी, उसके लिए महंगाई को कंट्रोल करना सबसे बड़ी चुनौती है। इकनॉमिस्टों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कोई ठोस कदम या रोड मैप अपने चुनावी घोषणा पत्र में पेश नहीं किया है। इसका मतलब है कि महंगाई में बदलाव पूरी तरह से मार्केट में निर्भर रहेगा। फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला का कहना है कि खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर को काबू में लाए बगैर विकास की बातें बेमानी हैं। महंगाई दर कम न होने पर आरबीआई ब्याज दरों में कमी को तरजीह नहीं देगा। (साभार-एनबीटी)
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