नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि वो प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हैं और वो कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन या यूपीए में बने रहेंगे। एक अंग्रेजी समाचार पत्र को दिए एक साक्षात्कार में शरद पवार ने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद खंडित जनादेश की स्थिति में वो यूपीए और दूसरे धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन इस सिलसिले में अगुवाई यूपीए के सबसे बड़े साझेदार को ही करनी होगी। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर यूपीए सरकार नहीं बना पाती है तो भी उनकी पार्टी यूपीए के साथ बनी रहेगी। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में एनसीपी भी शामिल है।
प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी के बारे में शरद पवार ने द हिंदू से कहा, "जो कोई भी इस ज़िम्मेदारी को लेगा उसके पास पर्याप्त सीटें होनी चाहिए। हम करीब 30 सीटों के साथ सीमित संख्या में चुनाव लड़ रहे हैं। अगर आप सफलता के पिछले रिकॉर्ड के देखें तो इतनी सीमित संख्या के साथ देश की अगुवाई करना सही नहीं होगा।" शरद पवार ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की ख़बरों से इनकार किया है। पवार के बयान ने कांग्रेस और एनसीपी के संबंधों को साफ़ कर दिया है। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वो यूपीए का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन या एनडीए से नाता जोड़ सकते हैं। पवार ने कहा है कि एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने जा रहा है और कई ऐसे क्षेत्रीय दल हैं जो कभी भी एनडीए का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यूपीए को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा लेकिन कई ऐसे दल हैं जो यूपीए के साथ आ सकते हैं।
पीटीआई के मुताबिक शरद पवार ने कहा, "पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री अपने विकास एजेंडे की बात करते हैं... विकास क्या है? वो देश की तस्वीर बदलने की बात करते हैं... लेकिन पूरे देश ने देखा है कि किस तरह जनसंहार हुए।" पवार ने आरोप लगाया कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने समाज के एक खास वर्ग की अनदेखी की है। उन्होंने कहा, "ये लोग पूरी सत्ता मांग रहे हैं... लेकिन बर्ताव समाज के खास वर्ग के नज़रअंदाज करने वाला है।"
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