रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्राईमिया को "एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र" के तौर पर मान्यता देने वाले आदेश पर दस्तख़त कर दिए हैं। यह ख़बर राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के हवाले से आई है। उनका कहना है, ''यह आदेश उसी दिन से प्रभावी हो गया है, जिस दिन इस पर दस्तख़त किए गए हैं।'' इससे पहले, यूरोपीय संघ और अमरीका ने यूक्रेन और रूस के 21 अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने और उनकी संपत्ति ज़ब्त करने का फ़ैसला सुनाया था।
यूरोपीय संघ ने यह फ़ैसला काईमिया में यूक्रेन से अलग होकर रूस में मिलने के संबंध में रविवार को कराए गए जनमत संग्रह के बाद लिया है। वोट देने वाले मतदाताओं में से 97 प्रतिशत ने रूस में शामिल होने के पक्ष में वोट दिया। जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनके नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि क्राईमिया में जनमत संग्रह कराने में इनकी महत्वपू्र्ण भूमिका रही है। फ़रवरी के अंत से ही क्राईमिया रूस-समर्थक सैन्य बलों के नियंत्रण में है। यूरोपीय संघ ने यह फ़ैसला ब्रसेल्स में संघ विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद लिया है। लिथुएनिया के विदेश मंत्री लाइनस लिंकेविक ने ट्वीट करके कहा कि अगले कुछ दिनों में कुछ अन्य कड़े क़दम उठाए जा सकते हैं। क्राईमिया की संसद ने यूक्रेन से स्वतंत्र होने की घोषणा करते हुए रूस में शामिल होने के लिए आधिकारिक रूप से आवदेन किया है। यूक्रेन ने इस जनमत संग्रह के परिणाम को स्वीकार नहीं किया है।
जनमत संग्रह के बाद यूक्रेन के मुख्य चुनाव अधिकारी मिखाइल मैलिशेव ने बताया कि कुल 83 प्रतिशत जनता ने वोट दिया और वोट देने वालों में 97 प्रतिशत ने रूस में शामिल होने के समर्थन में मत दिया। क्राईमिया के तातार समुदाय ने इस चुनाव का बहिष्कार किया। उनका कहना था कि रूस में शामिल होने के बाद उनका जीवन और ख़राब हो जाएगा। क्राईमिया में तातार समुदाय की जनसंख्या तक़रीबन 12 प्रतिशत है। यूक्रेन, अमरीका और यूरोपीय संघ ने इस मतदान को यूक्रेन और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार अवैध माना है और चुनाव प्रक्रिया की आलोचना की है। क्राईमिया प्रायद्वीप फ़रवरी के अंत से ही रूस समर्थक सुरक्षा बलों के क़ब्ज़े में है। रूस का कहना है कि जिन सैनिकों के क़ब्ज़े में क्राईमिया है वो रूस-समर्थक आत्मरक्षा बल हैं और उन पर रूस का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है।
यूक्रेन में कई महीनों के धरना-प्रदर्शन और हिंसक टकराव के बाद 22 फ़रवरी को विक्टर यानुकोविच को राष्ट्रपति के पद से हटाया गया। फिर क्राईमिया का राजनीतिक संकट पैदा हुआ। क्राईमिया की संसद में हुए पारित हुए मत के अनुसार क्राईमिया में यूक्रेन का कोई भी क़ानून लागू नहीं होगा और क्राईमिया में मौजूद यूक्रेन सरकार की सभी सम्पत्तियों पर क्राईमिया का हक़ होगा। दूसरी तरफ यूक्रेन की सरकार ने अपने 40,000 रिज़र्व सुरक्षा बलों को 'युद्ध जैसी स्थिति' के लिए आंशिक रूप से तैयार रहने के लिए कहा है। (साभार बीबीसी)
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