ऋषिकेश (राम महेश मिश्र)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ‘मुनि जी महाराज‘ ने केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से भेंट की। उन्होंने वर्तमान त्रासदी से प्रदेश को शीघ्र राहत दिलाने, हरित उत्तराखण्ड के निर्माण, हरित तीर्थाटन एवं पर्यटन के मुद्दों पर गृह मंत्री से वार्ता की। स्वामी जी ने बताया कि गंगा एक्शन परिवार व परमार्थ निकेतन त्रासदी में अनाथ हुए सभी बच्चों को गोद लेगा और उनकी शिक्षा एवं पालन-पोषण की समुचित व्यवस्था करेगा। जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर हुई चर्चा के समय भारत सरकार के पर्यटन मंत्री के.चिरंजीवी भी थे।
शिंदे एवं चिरंजीवी देहरादून से नई दिल्ली जाते समय एयरपोर्ट पर लगभग आधा घण्टा रुके। उन्होंने श्री मुनि जी महाराज से आपदा से राज्य को जल्द राहत पहुंचाने तथा राज्य के पुनर्निर्माण के विविध मुद्दों पर विचार विमर्श किया। स्वामी जी ने केन्द्रीय मंत्रियों को हरित उत्तराखण्ड एवं हरित तीर्थाटन एवं पर्यटन सम्बन्धी कई सुझाव दिए तथा इस कार्य में गंगा एक्शन परिवार, परमार्थ निकेतन के पूरे सहयोग का वचन दिया। श्री स्वामी जी ने आपदा में अनाथ हुए सभी बच्चों को गोद लेकर उनके पालन-पोषण और शिक्षा की उचित व्यवस्था कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गंगाजी और देवात्मा हिमालय की गोद में किसी बच्चे को अनाथ नहीं रहने दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि सुनामी से प्रभावित दक्षिण भारत के सैकड़ों अनाथ बच्चों को परमार्थ निकेतन द्वारा सनाथ बनाकर योग्य बनाया जा चुका है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को ऊपर से निकालकर उनके गन्तव्य तक पहुंचाने के तत्काल बाद उत्तराखण्ड के मूल पीडि़त निवासियों की भरपूर सहायता एवं पुनर्वास के काम को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देने पर जोर दिया। उन्होंने इसकी रूपरेखा भी केन्द्रीय मंत्रियों को बताई। उन्होंने यह भी बताया कि ऊपरी क्षेत्रों के गांवों में पीडि़तों के दरवाजों तक राहत सामग्री पहुंचाने की योजना परमार्थ निकेतन द्वारा बनाई गई है। इसके लिए शनिवार व रविवार को उत्तरकाशी एवं रुद्रप्रयाग के ग्रामों के लिए ट्रक रवाना किए जायेंगे। राहत सामग्री के वितरण में स्थानीय अनुभवी व्यक्तियों, ग्राम प्रधानों एवं पूर्व ग्राम प्रधानों का भी सहयोग लिया जायेगा।
श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वर्तमान त्रासदी से सीख लेकर पहाड़ों को कमजोर करने वाले सभी कारकों पर रोक लगाने का सुझाव केन्द्रीय गृह मंत्री को दिया। उन्होंने पहाड़ों पर ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करने और गंगाजी को उनके सभी अधिकार यथाशीघ्र वापस दिलाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के लिए कार्यरत सीएजी (कैग) की तरह ‘कैग फार गंगा‘ की अवधारणा पर भी काम किया जाना चाहिए। गंगा सीएजी द्वारा गंगा तटों को साफ सुथरा एवं खुला-खुला रखने के अलावा जल को विषाक्त करने वाले सभी कारणों पर प्रतिबन्ध लगवाने का काम किया जाय, यह आह्वान श्री मुनि जी महाराज ने भारत सरकार एवं राज्य सरकार से किया है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया कि दोनों केन्द्रीय मत्रियों ने दिए गए सुझावों पर गम्भीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। गृह मंत्री ने स्वामी जी के सुझावों पर चीफ एयर मार्शल से एयरपोर्ट से ही दूरभाष पर बातचीत की।
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