नई दिल्ली, एनएफए। भाजपा में उलटफेर के बाद कांग्रेस में भी आजकल खूब आंतरिक गहमागहमी चल रही है। ये सुगबुगाहट ये है कि पार्टी में इस तरह की एक रणनीति बनाई जा रही है कि सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी को दे दी जाए और प्रधानमंत्री के रूप में आगामी 2014 के लिए भी डा.मनमोहन सिंह का नाम ही प्रस्तावित किया जाए। यानी सूत्रों की माने तो भविष्य में प्रियंका गांधी कांग्रेस और डा.मनमोहन सिंह देश संभाल सकते हैं। कांग्रेस के नेता प्रियंका में इंदिरा गांधी का अक्स देखते हैं और प्रियंका को सोनिया का असली वारिस मानने लगे हैं। पार्टी के टॉप लीडर भी प्रियंका को लेकर संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं। सोनिया का प्रियंका पर भरोसा बढ़ने लगा है।
राहुल गांधी को लेकर पार्टी के भीतर उठने वाले कई सवालों के बीच एक सवाल निकल कर सामने आने लगा है कि अगर राहुल नहीं तो सोनिया के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा। अधिकतर कांग्रेसियों को प्रियंका, राहुल के विकल्प के रूप में दिख रही हैं। सोनिया का भी भरोसा प्रियंका पर ज्यादा है। वह प्रियंका को नई जिम्मेदारी सौंप रही हैं। इसके साथ ही इन अटकलों को एक बार फिर हवा मिल गई है कि 2014 में सोनिया की जगह प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। सूत्रों की मानें तो सोनिया की भी यही इच्छा है। अपनी खराब सेहत की वजह से सोनिया चुनावी राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बनाना चाह रही हैं। वह पार्टी में अपनी भूमिका एक 'सुपरवाइज़र' के रूप में रखना चाहती हैं। गौरतलब है कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की सभी 5 सीटों पर कांग्रेस का सफाया हो गया था। उसके बाद से ही यहां पार्टी की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल ली थी।
उधर, कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पहली बार यह संकेत आया है कि शायद अगली बार भी डॉ. मनमोहन सिंह को ही यूपीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाकर पेश किया जाए। यह संकेत कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी के उस बयान से निकला है जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रिश्ते की तारीफ करते हुए यहां तक कह दिया कि यह रिश्ता आगे भी जारी रहना चाहिए। जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया और मनमोहन के बीच तालमेल और विश्वास की खूब तारीफ की। कहा कि ऐसा रिश्ता पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि कहीं और इस तरह का रिश्ता नहीं दिखता। उन्होंने यह भी कह दिया कि यह रिश्ता आगे भी ऐसे ही बना रहे तो बहुत अच्छा होगा। जनार्दन द्विवेदी का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि कुछ ही दिनों पहले एक अन्य महासचिव दिग्विजय सिंह ने साफ कहा था कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। इसके बावजूद जनार्दन द्विवेदी ने सार्वजनिक तौर पर अपनी यह इच्छा जताई कि वह सोनिया और मनमोहन की जुगलबंदी जारी रखना चाहते हैं। जानकारों बताते हैं कि टॉप लीडरशिप की प्रत्यक्ष या परोक्ष इजाजत के बगैर ऐसा नहीं हो सकता है। यूं भी अगर उन्होंने यह बयान आलाकमान की इच्छा के खिलाफ दी है तो जल्दी ही उन्हें और सबको इसका एहसास हो जाएगा।(साभार)
राहुल गांधी को लेकर पार्टी के भीतर उठने वाले कई सवालों के बीच एक सवाल निकल कर सामने आने लगा है कि अगर राहुल नहीं तो सोनिया के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा। अधिकतर कांग्रेसियों को प्रियंका, राहुल के विकल्प के रूप में दिख रही हैं। सोनिया का भी भरोसा प्रियंका पर ज्यादा है। वह प्रियंका को नई जिम्मेदारी सौंप रही हैं। इसके साथ ही इन अटकलों को एक बार फिर हवा मिल गई है कि 2014 में सोनिया की जगह प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। सूत्रों की मानें तो सोनिया की भी यही इच्छा है। अपनी खराब सेहत की वजह से सोनिया चुनावी राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बनाना चाह रही हैं। वह पार्टी में अपनी भूमिका एक 'सुपरवाइज़र' के रूप में रखना चाहती हैं। गौरतलब है कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की सभी 5 सीटों पर कांग्रेस का सफाया हो गया था। उसके बाद से ही यहां पार्टी की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल ली थी।
उधर, कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पहली बार यह संकेत आया है कि शायद अगली बार भी डॉ. मनमोहन सिंह को ही यूपीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाकर पेश किया जाए। यह संकेत कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी के उस बयान से निकला है जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रिश्ते की तारीफ करते हुए यहां तक कह दिया कि यह रिश्ता आगे भी जारी रहना चाहिए। जनार्दन द्विवेदी ने सोनिया और मनमोहन के बीच तालमेल और विश्वास की खूब तारीफ की। कहा कि ऐसा रिश्ता पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि कहीं और इस तरह का रिश्ता नहीं दिखता। उन्होंने यह भी कह दिया कि यह रिश्ता आगे भी ऐसे ही बना रहे तो बहुत अच्छा होगा। जनार्दन द्विवेदी का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि कुछ ही दिनों पहले एक अन्य महासचिव दिग्विजय सिंह ने साफ कहा था कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। इसके बावजूद जनार्दन द्विवेदी ने सार्वजनिक तौर पर अपनी यह इच्छा जताई कि वह सोनिया और मनमोहन की जुगलबंदी जारी रखना चाहते हैं। जानकारों बताते हैं कि टॉप लीडरशिप की प्रत्यक्ष या परोक्ष इजाजत के बगैर ऐसा नहीं हो सकता है। यूं भी अगर उन्होंने यह बयान आलाकमान की इच्छा के खिलाफ दी है तो जल्दी ही उन्हें और सबको इसका एहसास हो जाएगा।(साभार)
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