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हिन्दू विरोधी नरेन्द्र मोदी से अब भारतीय संत भी खफा!

अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी नरोडा पाटिया केस में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, वीएचपी नेता बाबू बजरंगी समेत 10 दोषियों के लिए फांसी की मांग के फैसले के बाद संघ के निशाने पर आ गए हैं। संघ के अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद के नेता और संत मोदी के इस फैसले से भड़के हुए हैं। उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले को 'हिंदुओं पर हमला' करार दिया है। उधर, मोदी सरकार का यह अप्रत्याशित कदम हर किसी को हैरान कर रहा है। आखिर क्यों मोदी ने संघ को नाराज करने वाला यह कदम उठाया? कहीं इसका बीजेपी के अंदर चल रहे पीएम पद की रेस से कुछ लेना-देना तो नहीं है? दरअसल कोडनानी के लिए फांसी की सजा की मांग को मोदी के पीएम पद की रेस में अपने प्रतिद्वंद्वी लालकृष्ण आडवाणी पर 'हमले' के तौर पर भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि कोडनानी आडवाणी की वफादार मानी जाती हैं। कुछ महीने पहले ही राजनाथ सिंह कोडनानी की जमकर तरफदारी करते देखे गए थे। इस साल 28 जनवरी को बीबीसी को दिए इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने कोडनानी को निर्दोष करार देते हुए कहा था कि कानूनी लड़ाई लड़ने में पार्टी उनकी मदद करेगी। गुजरात वीएचपी के महासचिव रणछोड़ भरवाड़ ने कहा, 'वीएचपी गुजरात सरकार के उस फैसले का विरोध करती है जिसमें नरोडा मामले में माया कोडनानी, बाबू बजरंगी और अन्य हिन्दुओं को फांसी देने के लिए कहा जाएगा।' इस फैसले को 'स्तब्ध करने वाला' और 'हिंदुओं पर हमला' करार देते हुए भारवाड़ ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा, 'हम अपने देश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि हर जगह उन पर हमला हो रहा है या वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। गुजरात में हिंदू अन्याय का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं।' कोडनानी के परिजन उन्हें सजा से बचाने के लिए संघ परिवार की शरण में हैं। कोडनानी के परिजनों ने पिछले दिनों आरएसएस चीफ मोहन भागवत से मुलाकात कर मदद की गुहार लगाई थी। गौरतलब है कि गुजरात के कानूनी विभाग ने विशेष जांच दल (एसआईटी) की नरोडा पाटिया केस के दोषियों की सजा बढ़ाने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इसमें गुजरात हाई कोर्ट में अपील दायर की जाएगी। इसमें पूर्व मंत्री माया कोडनानी व बाबू बजरंगी सहित 10 दोषियों को फांसी की सजा की मांग की जाएगी। इसके अलावा 22 अन्य दोषियों की सजा को बढ़ाकर 30 साल करने की मांग की जाएगी। अहमदाबाद के स्पेशल कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को इन लोगों को 24 साल की सजा सुनाई थी। तीन वकीलों का एक अभियोजन पैनल तैयार किया गया है। यह पैनल अपील का मसौदा तैयार करेगा और जिरह करेगा। यह संबद्ध अदालत द्वारा बरी किए गए सात आरोपियों को दोषी साबित कराने का भी प्रयास करेगा। उधर, गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा कि फांसी का अनुरोध करने का फैसला मामले की जांच करने वाली एसआईटी का है। एसआईटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर हुआ था। सरकार एसआईटी के कामकाज में दखल नहीं देती। लेकिन गुजरात सरकार के वकील गौरांग व्यास ने बताया है कि राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पास कर माया कोडनानी और अन्य के खिलाफ फांसी की मांग की थी। गौरांग का कहना है कि यह प्रस्ताव इसी साल 25 फरवरी को पास हुआ था और उस पर सचिव स्तर के अधिकारी ने हस्ताक्षर किए थे। (साभार, एनबीटी, दैभा)
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