हरिद्वार। बाबा रामदेव के आचार्यकुलम् स्कूल का उद्घाटन करने पहुंचे नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे केवल हिंदुओं के नेता नहीं हैं। गुजरात की तरह अगर उन्हें पूरे देश का साथ मिल जाए तो विकास का नया दौर शुरू हो सकता है। इस मौके पर मौजूद कई संतों ने एक सुर में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति करार दिया। माना जाता है कि शिक्षा से राजनीति को दूर रखना चाहिए, लेकिन हरिद्वार में बाबा रामदेव के आचार्यकुलम् के उद्घाटन के मौके पर सिर्फ राजनीति हुई। उद्घाटन के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे। इस मौके पर पतंजलि योग पीठ में मुरारी बापू और अरविंद भाई ओझा समेत कई कथावाचक और संत जुटे थे। सभी ने शिक्षाशास्त्र के बजाय राजनीतिशास्त्र पर प्रवचन दिया। सबका एक ही सुर था कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति हैं। इस सुर की अगुवाई बाबा रामदेव कर रहे थे। जवाब में मोदी ने भी समाज में संतों की भूमिका को सराहा और बाबा रामदेव की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि दो साल पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों का दमन करने में केंद्र सरकार ने अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया। रामदेव को भी उनकी तरह तमाम झूठे मामलों में फंसाया गया है। मोदी ने कहा कि वे सिर्फ हिंदुओं के नेता नहीं हैं। अब वे गुजरात की तरह, पूरे देश का भला चाहते हैं। मोदी ने कहा बाबा रामदेव मुझे कहते हैं कि हम दोनों सगे भाई हैं और हम दोनों पर जुल्म हो रहे हैं। मोदी ने वजह बताए बगैर कहा कि होश संभालने के बाद से यह पहला मौका है जब वह कुंभ मेले में शामिल नहीं हो पाए और इसकी पीड़ा उनके मन में है। लेकिन आज हरिद्वार में इतने सारे संतों के चरणों में बैठने का मौका पाकर वह पीड़ा थोड़ी कम हुई। मोदी ने अपनी हिंदुत्ववादी छवि को बदलने की भी कोशिश की। हालांकि संतों के गुण गाते हुए भी मोदी ने यह साफ करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी कि उन्हें सिर्फ हिंदुओं की नहीं बल्कि सबकी चिंता है। कहा कि वह किसी पद की इच्छा नहीं रखते। साफ है कि मोदी दिल्ली की ओर बढ़ने की इच्छा जता रहे थे। लेकिन दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता ने तुरंत मोदी के दावों पर सवाल उठाते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। बाबा रामदेव के आचार्यकुलम् में प्राचीन गुरुकुल परंपरा के तहत 12वीं तक शिक्षा दी जाएगी। हालांकि कंप्यूटर और लैपटॉप का भी सहारा लिया जाएगा। वैसे, इसके उद्घाटन के लिए मोदी का सहारा लेकर रामदेव ने साफ कर दिया है कि अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान वो भुला चुके हैं। अब अगले चुनाव तक वे मोदीनामा ही बांचेंगे।
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