अलका मिश्रा झा, देहरादून। निकाय चुनाव के मद्देनजर सियासी शह और मात का खेल जारी है। अपराध व कानून व्यवस्था के मोर्चे पर भाजपा के हमलों का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश के खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल को मैदान में उतारा था। मंत्री अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता बुलाई और कहा कि अपराध व कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पिछले एक वर्ष में (कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में) अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल हुई है। बात जब आंकड़ों की आई तो मंत्री अपने ही दावों के भंवर में फंसते नजर आए। मंत्री की ओर से पेश आंकड़े बता रहे थे कि लगभग सभी संगीन अपराध बढ़े हैं और कानून व्यवस्था में भी गिरावट आई है। नौबत यहां तक पहुंच गई कि कई सवाल पर खेल मंत्री ने या तो चुप्पी साध ली या अपर्याप्त जानकारी दी। इस तरह अपने ही आंकड़ों में जब सरकार उलझ गई तो नैया पार लगाने के लिए आला अफसरों को मैदान में आना पड़ा। देर शाम पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था राम सिंह मीना ने दोबारा प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और एक-एक बिंदु पर सफाई देकर सरकार को फजीहत से बचाने का प्रयास किया। यदि हम विपक्ष के हमलों और सरकार के जवाब को छोड़कर हकीकत पर ही गौर करें तो तस्वीर बहुत साफ नहीं है। पुलिस का रिकार्ड कहता है कि पिछले एक वर्ष में हत्या और डकैती समेत अधिकांश संगीन अपराध बढे हैं। खास बात यह है कि अपराध के तरीके खतरनाक हुए हैं और बदमाशों में कानून-व्यवस्था का खौफ बिल्कुल नहीं रहा है। दिनदहाड़े वारदात हो रही हैं। कई ऐसे अवसर आए हैं जब कार्रवाई के बदले पुलिस बेबस और लाचार दिखी है। हाल ही में पूर्व सीएम निशंक के आवास में कुछ युवक घुस गए थे। हमलावरों ने वहां खुलेआम पिस्टल लहराए और एक भाजपा कार्यकर्ता की जमकर पिटाई की। चाहकर भी पुलिस इस मामले में मुख्य आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई। क्योंकि वह एक बसपा नेता का सगा था।
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