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कोयला घोटाले की जांच में सीबीआई पर दबाव बनाने की कोशिश?

नई दिल्ली। यूपीए सरकार को एक और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। कोल ब्लॉक अलॉटमेंट स्कैम में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट से कह सकती है कि स्टेटस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्री ने संशोधन करवाए हैं। गौरतलब है कि सीबीआई ने कोल ब्लॉक अलॉटमेंट स्कैम जांच की स्टेटस रिपोर्ट मार्च में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। बीजेपी के सीनियर नेता अरुण जेटली ने कोयला घोटाले में एसआईटी जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार सीबीआई को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने देगी। उन्होंने इस मामले में कानून मंत्री से इस्तीफा मांगा है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि इस स्कैम की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपने से एक दिन पहले सीबीआई अधिकारियों को जिसमें सीबीआई के डायरेक्टर रंजित सिन्हा भी शामिल थे कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने समन भेजकर बुलाया था। इस समन के बाद सीबीआई अधिकारियों के साथ कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने लंबी बैठक की। इस बैठक में सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट में बदलाव करने के लिए कहा गया। शास्त्री भवन में मीटिंग के दौरान मौजूद एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि इस बदलाव के लेकर मेरी तरफ से जितनी आपत्ति जताई जा सकती थी, जताई गई। इसके बावजूद बैठक के बाद कुछ बदलाव कर दिए गए। इसी तरह सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में संशोधन के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने भी दबाव बनाया। पीएमओ के साथ बैठक में सीबीआई अधिकारियों की एक टीम थी। हालांकि, यह साफ नहीं है कि इस बैठक के बाद जांच रिपोर्ट में कोई बदलाव किए गए या नहीं। सीबीआई ने 8 मार्च को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कोल ब्लॉक अलॉटमेंट में 2006 से 2009 के बीच कैसी अनियमितताएं बरती गईं हैं। यूपीए सरकार पर आरोप है कि बिना किसी तरह की निगरानी और गाइडलाइंस के कोल ब्लॉक अपने चहेतों को बांटे गए। हालांकि, सरकार इस मामले में किसी भी तरह की अनियमितता के इनकार कर रही है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर रंजित सिन्हा से शपथ पत्र के माध्यम से पूछा है कि क्या सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट की जांच की है? जस्टिस आर. एम लोढा, जे. चेमलेश्वर और मदान बी. लोकोर की बेंच ने रंजित सिन्हा को इस मसले पर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है कि क्या स्टेटस रिपोर्ट जो कोर्ट को सीबीआई ने सौंपी है उस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव था। इस मसले पर जब कानून मंत्री अश्विनी कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सीबीआई को शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा है, वह अपना काम करेगी। इस पर सीबीआई के डायरेक्टर क्या कहेंगे, मैं कैसे रोक सकता हूं? इस बीच बीजेपी के सीनियर नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कोल अलॉटमेंट स्कैम की जांच एसआईटी से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार खुद को बचाने के लिए सीबीआई को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने देगी। यह बेहद ही संगीन मामला है। केंद्र सरकार कोल स्कैम के दाग को छुपाने के लिए सीबीआई पर दवाब डालकर रिपोर्ट बदलवा रही है। इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार से इस्तीफा मांगा है। जेडी(यू) के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर से बेनकाब हो गई है। जेटली ने कहा कि देश में कई बिजली घर बंद हैं क्योंकि उनके पास कोयला नहीं है। दूसरी तरफ कोयला खदान उन्हें दिया जा रहा है जो कांग्रेस के चहेते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सामने आधी-अधूरी रिपोर्ट सौंपी जा रही है। जब सीबीआई स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट तैयार करती है तो सरकार के अधिकारी बदलने के लिए दबाव डालते हैं। (साभार, एनबीटी)
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