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बहुचर्चित 2जी घोटाले के सभी आरोपी बरी

नई दिल्ली। दिल्ली की विशेष अदालत ने बहुचर्चित 2जी घोटाले में गुरुवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता हुई थी, जो 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद व्यापक स्तर पर सामने आया. गुरुवार को दिल्ली की अदालत में विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सबूतों की कमी के कारण इन लोगों को बरी किया जा रहा है. इन लोगों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामला दायर किया था. दोनों एजेंसियों की ओर से दायर मामलों में इन्हें बरी किया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बरी हुए सभी आरोपियों को अदालत ने पांच लाख रुपये की जमानत देने को कहा है. इस मामले में आरोप है कि बाजार भाव की तुलना में बहुत कम कीमत पर 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटित किए गए. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इससे सरकार को करीब 28 अरब अमेरिकी डॉलर के राजस्व का नुकसान हुआ. यूपीए सरकार के खिलाफ प्रमुख घोटालों के आरोप में यह घोटाला भी शामिल है. इसके सामने आने के बाद टेलिकॉम मंत्री को इस्तीफा भी देना पड़ा था. फैसला आने के बाद सीबीआई ने कहा है कि वह फैसले की कॉपी का इंतजार कर कही है और उसके बाद इस पर कानूनी सलाह लेगी. सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय आरोपियों को बरी करने के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करेगी. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस मामले पर खुशी जताते हुए मौजूदा सरकार को घेरने की कोशिश की है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है, "मैं कोई बड़ाई नहीं करना चाहता लेकिन फैसला अपने आप ही सब कुछ बोल रहा है. मैं खुश हूं कि कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया है कि यूपीए के खिलाफ जो दुष्प्रचार किया जा रहा था उसका कोई आधार नहीं था." उधर बीजेपी नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, "सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में ही यह कह दिया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की 2जी नीति भ्रष्ट और बेईमान थी. सुप्रीम कोर्ट ने सारे आवंटन रद्द कर दिए." कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा है कि प्रधानमंत्री को संसद में आकर इस मामले में स्पष्टीकरण देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सरकार इस आधार पर बनी थी कि यूपीए की सरकार 2जी और दूसरे घोटालों में शामिल थी लेकिन अब यह साबित हो गया है कि यह सब विपक्ष का झूठ था.साभार डीडब्ल्यू 
क्या था 2 जी घोटाला और किन किन पर था आरोप?
दिल्ली की एक अदालत ने 2 जी घोटाले मामले में जिन 14 लोग और तीन कंपनियों पर आरोप लगा था, उन सबको बरी कर दिया है. इन लोगों के ख़िलाफ़ धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात और धारा 120बी के तहत आपराधिक षडयंत्र के आरोप लगाए गए थे लेकिन अदालत को कोई सबूत नहीं मिला है. सीबीआई के विशेष जज ओ पी सैनी ने 700 पन्नों के अपने आदेश में आरोपियों पर धोखाधड़ी, घूस लेने और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे लेकिन अदालत के सामने ये आरोप नहीं टिके. अब तक 2 जी घोटाला को भारत का सबसे बड़ा आर्थिक घपला माना जाता था. ये घोटाला साल 2010 में सामने आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को अनुमानत एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुक़सान हुआ था. आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर दिए जाते तो ख़जाने को कम से कम एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए और हासिल हो सकते थे. हालांकि महालेखाकार के नुक़सान के आंकड़ों पर कई तरह के आरोप थे, लेकिन ये एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया था और मामले पर देश के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की गई थी. भारत में घोटालों के लंबे इतिहास में सबसे बड़ा बताए जाने वाले इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर भी सवाल उठाए गए. इस मामले में ए. राजा के अलावा मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई ने सीधे-सीधे कई और हस्तियों और कंपनियों पर आरोप तय किए थे. पूर्व दूर संचार मंत्री पर आरोप था कि उन्होंने साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया जिसमें उनकी पसंदीदा कंपनियों को तरजीह दी गई. क़रीब 15 महीनों तक जेल में रहने के बाद ए. राजा को हाल ही में ज़मानत दी गई. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणाधि की बेटी कनिमोड़ी को भी मामले में जेल जाना पड़ा था और उन्हें बाद में ज़मानत मिली. 2 जी घोटाले से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुक़सान पहुंचा था. टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा के अलावा के राजनीतिक और उद्योग जगत की कई और बड़ी हस्तियों को इस मामले से जुड़े अलग-अलग आरोपों में हिरासत में लिया गया. साभार बीबीसी  
यूपीए के खिलाफ सबसे बड़ा दुष्प्रचार था 2जीः मनमोहन सिंह 
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद इस मुद्दे पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। आरोप से बरी हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने कहा कि वह अदालत के फैसले से खुश हैं, वहीं एक अन्य आरोपी द्रमुक सांसद एम.के. कनिमोझी ने कहा कि मुझे खुशी है कि कोर्ट ने न्याय किया है। उन्होंने कहा कि डीएमके परिवार के लिए आज का दिन बहुत बड़ा है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर फैसला आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। मनमोहन सिंह ने कहा कि अदालत द्वारा सभी आरोपियों को बरी करने के फैसले से सिद्ध होता है कि यह बिना किसी आधार के यूपीए सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा दुष्प्रचार था। कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, “आज मेरी बात सिद्ध हो गई, कोई भ्रष्टाचार और कोई नुकसान नहीं हुआ। मनमोहन सिंह और यूपीए सरकार आज सही साबित हुए हैं। अगर घोटाला है तो झूठ का घोटाला है जो विपक्ष और विनोद राय ने किया है। विनोद राय को देश से माफी मांगनी चाहिए।” 2जी स्पैक्ट्रम केस में अदालत के फैसले पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि घोटाले के जो आरोप लगाए गए थे वे गलत थे और ये आज साबित हो गया। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, “2जी मामले में निर्दोष लोगों को फंसाया गया था। कोर्ट ने वही किया है जिसकी उम्मीद इस देश में की जाती है।” 2जी स्पेक्ट्रम केस में फैसले पर विपक्ष के हमले के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले को विपक्ष सर्टिफिकेट न मानें, जीरो लॉस थ्योरी पहले ही रद्द हो चुकी है। जेटली ने कहा कि 2जी आवंटन के दौरान गड़बड़ी हुई थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को गलत माना था। कोर्ट के फैसले पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, “केंद्र सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में तुरंत चुनौती देना चाहिए। फैसले के बाद अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार के पास पुख्ता सबूत हैं तो उन्हें मामले को हाई कोर्ट ले जाना चाहिए। 2जी स्पेक्ट्रम केस में फैसले पर सीबीआई की भी प्रतिक्रिया आ गई है। कोर्ट के फैसले पर सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा, “हम विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। फैसले की प्रति मिलने के बाद हम इस पर कानूनी राय लेंगे और अगली कार्रवाई पर फैसला लेंगे।”  
पूर्व सीएजी विनोद राय की मंशा पर उठे सवाल
 2जी केस में दिल्ली के पटियाला हाउस की स्पेशल कोर्ट ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला आने के बाद कई कांग्रेस नेताओं ने पूर्व सीएजी विनोद राय पर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने विनोद राय पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी फर्जी रिपोर्ट के आधार पर 2जी केस को आगे बढ़ाया गया था और अब कोर्ट का फैसला आने के बाद अब उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। इस पूरे प्रकरण में एक बार फिर पूर्व सीएजी विनोद राय चर्चा में है। पूर्व सीएजी विनोद राय ने 2जी मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और बिना नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बराबर के भागीदार थे। उन्हें इन घोटालों के बारे में सब पता था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कुछ नहीं बोला। अगर वह चाहते तो तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से रोक सकते थे। विनोद राय ने कहा था कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर गठबंधन की राजनीति का दबाव था और उनकी रुचि सिर्फ सत्ता में बने रहने की थी। अब उन्हीं विनोद राय के बारे में कहा जा रहा है कि 2जी में सरकारी खजाने को हुए काल्पनिक नुकसान का उनका आकलन पूर्वाग्रह से ग्रसित था और इसने न सिर्फ यूपीए सरकार की साख घटाई, बल्कि टेलीकॉम क्षेत्र को भी जबरदस्त धक्का दिया। विनोद राय 7 जनवरी 2008 से लेकर 22 मई 2013 तक भारत के सीएजी थे। 2010 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान विनोद राय ने 2जी घोटाले को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी और 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए थे। 1972 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी विनोद राय ने थ्रिसूर जिले में सब-कलेक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी और उसके बाद से वे केरल के मुख्य सचिव (वित्त) के अलावा कई अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं। 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद फरवरी 2016 में विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो का चेयरमैन भी बनाया गया। ये संस्था पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों को लेकर सरकार को अपनी राय देती है। विनोद राय को मार्च 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से भी नवाजा गया। जनवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बीसीसीआई प्रशासक बना दिया। साभार नवजीवन 
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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