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2जी फैसले का तमिलनाडू की राजनीति पर होगा असर, द्रमुक की बढ़ेगी दावेदारी

भाषा सिंह 
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में दिल्ली के पटियाला हाउस की सीबीआई कोर्ट द्वारा द्रमुक नेता और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले का तमिलनाडु की राजनीति पर सीधा असर पड़ेगा। इस फैसले के बाद द्रमुक की राजनीतिक पकड़ और मजबूत होगी और वह खुलकर अगली सरकार के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकेगी। हालांकि, एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि कहीं इस फैसले का फायदा उठाते हुए बीजेपी तमिलनाडु की राजनीति में अपने लिए जगह बना सकती है। इस फैसले ने द्रमुक और कांग्रेस को 2जी स्पेक्ट्रम मामले में बीजेपी पर हमला बोलने और उसे घेरने का एक मौका दिया है। संभवतः यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें एक केंद्रीय मंत्री और सांसद को भ्रष्ट आचरण के लिए जेल भेजा गया और सात साल बाद सीबीआई को उनके खिलाफ रत्ती भर भी सबूत नहीं मिले और राष्ट्रीय से लेकर तमिलनाडु की राजनीति सब बदल गई। चूंकि सीबीआई की निष्पक्षता लंबे समय से संदिग्ध रही है और खासतौर से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद से इसका अनगिनत मौकों पर एक राजनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। लिहाजा, सीबीआई अदालत द्वारा 2जी के तमाम आरोपियों को रिहा करने के फैसले का राजनीतिक निहितार्थ निकालना स्वाभाविक है। तमिलनाडु राजनीति के विश्लेषक और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में प्रो सी लक्ष्मणन ने नवजीवन को बताया, “इस फैसले को सीधे-सीधे तमिलनाडु की राजनीति से जोड़कर देखा जा सकता है। यह दूसरे तरह के गठबंधनों, दबावों के लिए रास्ता खोलता है। मौजूदा गठबंधन बदल सकते हैं, क्योंकि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। बहरहाल, इस फैसले से द्रमुक को बहुत ताकत मिलेगा। वह एक शक्तिशाली दावेदार होकर उभरेगी। जमीन उसके पास है और लोग भी उसके पक्ष में हैं। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में सीबीआई को घोटाले के रत्ती भर भी प्रमाण नहीं मिले हैं। यह लोकतंत्र का मजाक है। अगर कुछ नहीं था, तो इतना बड़ा राजनीतिक भूचाल क्यों और कैसे आया, इसकी जांच होनी चाहिए। वे कौन लोग थे, जो इस घोटाले को इतना बड़ा बता रहे थे।” प्रो सी लक्ष्मणन का कहना है कि अभी तमिलनाडु की मौजुदा अन्नाद्रमुक सरकार पूरी तरह से बीजेपी की गिरफ्त में है और बीजेपी ने जिस तरह से तमाम संस्थानों और लोकतंत्र के सारे खंभों को अपनी पकड़ में कर रखा है, वह बेहद खतरनाक है। ऐसे में राजनीतिक दांव-पेंच बहुत गहरे चले जा रहे हैं और आने वाले दिनों में इसका खुलासा हो सकता है। उधर, द्रमुक की नेता सलमा ने बताया कि यह पार्टी की बहुत बड़ी जीत है। उन्होंने इन तमाम कयासों को सिरे से खारिज किया कि द्रमुक का बीजेपी से किसी भी तरह का गठबंधन हो सकता है। सलमा का कहना है कि बीजेपी बहुत खतरनाक पार्टी है और द्रमुक का लक्ष्य उसे खत्म करना है। द्रमुक को बीजेपी के साथ जाने की कोई जरूरत कभी नहीं पड़ेगी, क्योंकि इसका जनाधार जबर्दस्त ढंग से बढ़ रहा है और यह सत्ता में आने वाली है। चेन्नई में वरिष्ठ पत्रकार कविथा मुरलीधरन का कहना है, “इस फैसले ने द्रमुक के पक्ष में माहौल बनाया है। लेकिन बीजेपी के क्या मंसूबे हैं, इसे लेकर हर कोई अशांत है। बीजेपी तमिलनाडु में दोनों द्रविड पार्टियों के आधार को खत्म करने पर तुली है। अन्नाद्रमुक को उसने पूरी तरह से कब्जे में कर रखा है और हो सकता है द्रमुक के लिए वह रणनीति बना रही हो।” वहीं, तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद डी. राजा ने बताया कि इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस और द्रमुक को जानबूझकर फंसाया गया था। इससे द्रमुक का आधार बढ़ेगा, वे यह बताएंगे कि उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है। साभार नवजीवन 
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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