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राइट टू रिएक्ट चाहिए तो ‘रिएक्ट’ कीजिए : कन्नन गोपीनाथन


निडर, जोशीले और ऊर्जावान हैं कन्नन, महज 33 वर्ष की उम्र में छोड़ दी आईएएस की नौकरी 

देश के उदारवादी आज असमंजस के दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि उनकी आवाज कौन उठाएगा। इस बीच उम्मीद की किरण के रूप में आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन का नाम सामने आया है। उन्होंने राइट टू रिएक्ट के सवाल पर अपनी नौकरी छोड़ दी है। कन्नन कहते हैं कि यदि देश के लोग चाहते हैं कि उन्हें रिएक्ट करने का अधिकार मिले तो रिएक्ट करना जारी रखें। ऐसा करने से कामयाबी मिल सकती है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म के बाद के हालातों से क्षुब्ध होकर आईएएस की नौकरी छोड़ने वाले युवा और ऊर्जावान कन्नन गोपीनाथन चाहते हैं कि देश में अमन कायम रहे। सही मायनों में आजादी के तात्पर्य को लोग समझ सकें। यह तभी संभव है जब लोग खुलकर जीना सीख लें। संकुचित मानसिकता तो लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करती है। कन्नन कहते हैं कि जबतक लोग डर-डरकर जीना बंद नहीं करेंगे तबतक सही मायने में आजादी की अहमियत समझ में नहीं आएगी। कन्नन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना सरकार के अधिकार क्षेत्र की बात है। लेकिन वहां के लोगों के बोलने का अधिकार छीन लेना गलत है। यह कैसी व्यवस्था है? घाटी में फोन-इंटरनेट बंद कर दिया गया। वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। यह कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन है। कन्नन ने लोगों का आह्वान किया है कि यदि वे चाहते हैं कि उन्हें रिएक्ट करने का अधिकार मिले तो वे रिएक्ट करना जारी रखें। मौजूदा हालात में इसे हासिल करने का यही सबसे बेहतर उपाय है। महज 33 वर्ष की उम्र में आईएएस की नौकरी छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कन्नन देश के महापुरुषों को याद करते हुए कहते हैं कि यदि लोगों ने पूर्व में जनविरोधी फैसलों पर रिएक्ट नहीं किया होता तो आज देश की लोकतांत्रिक प्रणाली जीवंत नहीं दिखती। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि देश का लोकतंत्रिक भविष्य बेहतर हो तो आपको आज आवाज उठानी होगी। खासकर युवाओं को आगे आना होगा। अपने अधिकारों को समझना होगा। दिलचस्प ये है कि कन्नन गोपीनाथन बेहद निडर हैं। ऊर्जावान हैं। उनके भीतर देश के लिए कुछ करने का जज्बा है। आज के हालात से क्षुब्ध हैं। सरकार के खिलाफ बोलने वालों की आवाज दबाने की कोशिशें हो रही हैं। अलोकतांत्रिक मुद्दों को लोकतांत्रिक प्रणाली पर हावी होने की छूट दी जा रही है। यदि हालात में सुधार नहीं हुआ तो असंसदीय कृत्यों की देश की आत्मा नष्ट हो जाएगी। सामाजिक समरसता को बनाए, बचाए रखना जरूरी है।
-राजीव रंजन तिवारी
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