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भुवनेश्वर कीट में आयोजित पांच दिवसीय 39वां विश्व कवि कांग्रेस-2019 में पहुंचे उपराष्ट्रपति

भुवनेश्वर। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय में गांधी जी पूरे भारत में मनाई जा रही 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 02 अक्तूबर से चल रहा पांच दिवसीय 39वां विश्व कवि कांग्रेस-2019 संपन्न हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडु तथा सम्मानित अतिथि के रुप में ओडिशा के राज्यपाल प्रो गणेशीलाल, प्रताप चन्द्र सारंगी भारत सरकार के पशुपालन, दुग्ध, मत्स्य और एमएसएमइ राज्यमंत्री तथा ज्योति प्रकाश पाणिग्राही, ओडिशा सरकार के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभाग पर्यटन, संस्कृति, ओडिया भाषा, साहित्य और एएमपी तथा कीट डीम्ड विश्वविद्यालय की प्रो-वायस चांसलर प्रो एस सामंत आदि मंचासीन थे। स्वागत भाषण देते हुए 39वें डब्लूसीपी के प्रेसिडेंट प्रो अच्युत सामंत ने उपराष्ट्रपति एम वैकेया नायडु समेत मंचस्थ सभी गणमान्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत और सम्मान कीट-कीस परिपाटी के तहत किया। अपने संबोधन मे मुख्य अतिथि एम वैकेया नायडु ने कहा कि कविता चाहे किसी भाषा की क्यों न हो उसमें संहार से सृष्टि का संदेश होता है। करुणा और दया का संदेश होता है। कविता के भावों में वह ताकत होता है जिससे विश्व की तकदीर बदल सकती है। उन्होंने आदिकवि वाल्मीकि से लेकर विश्ववंद्य रवीन्द्र नाथ ठाकुर की कविताओं का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि आज भी कविता करुणा, वियोग, मानवीय संवेदना और सामाजिकता को सही मायने में व्यक्त करने में सक्षम है। उन्होंने ओडिया भाषा में अपने अभिभाषण का आरंभ करते हुए ओडिशा को विश्व मानवता का केन्द्र बिन्दु बताया जहां पर महाप्रभु जगन्नाथ के माध्यम से पूरे विश्व को शांति, एकता ओर मैत्री का पावन संदेश जाता है। ओडिशा के राज्यपाल प्रो गणेशी लाल ने अपने संबोधन में जय श्रीजगन्नाथ के संबोधन के साथ ओडिशा को महाप्रभु जगन्नाथ का देश बताते हुए ओडिशी कला, संस्कृति, साहित्य, संगीत और परम्परा को विश्व के लिए अनुकरणीय बताया। उन्होंने हिन्दी के कवि कबीरदास, तुलसीदास से लेकर ओडिया के अनेक ख्यातिप्राप्त कवियों का उल्लेख करते हुए ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित 39वें विश्व कवि कांग्रेस के दौरान सूर्यमंदिर कोणार्क और श्रीक्षेत्र पुरी धाम में अलग-अलग विषयों पर आयोजित कविता पाठ पर प्रसन्नता व्यक्त की। केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रताप चन्द्र सारंगी ने कहा कि ओडिशा में आयोजित यह 39वां विश्व कवि कांग्रेस हमारे ओडिया के कालजयी कवियों की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी-अपनी कविताओं के माध्यम से यहां की सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृति चेतना का संचार अपनी कविताओं के माध्यम से किया है। गौरतलब है कि विज्ञान के छात्र होने के बावजूद भी जिसप्रकार का लगाव कीट-कीस के संस्थापक तथा लोकसभा सांसद प्रो अच्युत सामंत का ओडिशा के कला, साहित्य, भाषा, संस्कृति, विज्ञान, खेल, सिनेमा और आदिवासी कल्याण के है वह सचमुच अनुकरणीय और आदर्श है और उन्होंने आज 39वें विश्व कवि कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में यह सि़द्ध कर दिया कि उनका लगाव विश्व के सभी भाषाओं के साथ भी है वह भी कविता के माध्यम से जो मानवीय करुणा, दया, संवेदना, अध्यात्म आदि से जुड़े भाव हैं। इसीलिए समापन समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति वैकेया नायडु द्वारा उन्हें उनकी असाधारण सेवाओं के लिए डब्लूसीपी गोल्डेन गवेल अलंकरण से सम्मानित किया गया जो डब्लूसीपी का सर्वोच्च सम्मान है। उपराष्ट्रपति द्वारा प्रो गणेशी लाल राज्यपाल ओडिशा, ओडिया कवि सान्तनु आचार्य और डा प्रसन्न कुमार पाटशाणी को आॅनरेरी डी, लीटरेचर की डिग्री प्रदान की गई। डब्लूसीपी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित 39वें विश्व कवि कांगेस को डब्लूसीपी के अध्यक्ष डा माउरुस यंग, वर्ल्ड अकादमी आॅफ आर्ट एण्ड कल्चर के प्रथम वायस पे्रसिडेंट प्रो इर्नेस्ट कहन और वर्ल्ड अकादमी आॅफ आर्ट एण्ड कल्चर की महासचिव डा मारिया युगेनिया आदि ने भी संबोधित किया और 39वें विश्व कवि कांगेस के अध्यक्ष प्रो अच्युत सामंत के कीर्तिमान और सदैव यादगार आयोजन हेतु डब्लूसीपी की ओर से उनको बधाई दी। प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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