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39वें विश्व कवि महाकुम्भ में हिन्दी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता ख्यातिप्राप्त कवि विष्णु नागर ने की

भुवनेश्वर। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय परिसर में चल रहे पांच दिवसीय 39वें विश्व कवि कांग्रेस के दूसरे दिन आयोजित हिन्दी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता हिन्दी के ख्याति प्राप्त कवि विष्णु नागर ने की। मंच संचालक अशोक पाण्डेय ने कीट-कीस के संस्थापक, लोकसभा सांसद तथा 39वें विश्व कवि कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो अच्युत सामंत की ओर से हिन्दी कवि सम्मेलन में आगत सभी कवियों का स्वागत और अभिनन्दन प्रो सामंत की ओर से किया जो अपनी अत्यधिक व्यस्ततावश सम्मेलन में नहीं आ पाये थे। समारोह के मुख्य अतिथि विष्णु नागर और सम्मानित अतिथि द्वय डा शंकरलाल पुरोहित और प्रो शशांक चूड़ामणि का स्वागत श्री पाण्डेय ने अध्यक्ष की ओर से 39वे विश्व कवि कांग्रेस का बैग और कीट का स्मृति चिह्न आदि भेंटकर किया। गौरतलब है कि 39वें विश्व कवि कांग्रेस के तहत विश्व हिन्दी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे समारोह के मुख्य अतिथि विष्णु नागर मध्यप्रदेश शाजापुर में पले-बढ़े कवि के साथ-साथ ख्यातिप्राप्त पत्रकार भी रह चुके हैं जिन्होंने 1971 में स्वतंत्र हिन्दी पत्रिका आरंभ किया था। भारत के अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन कार्य आज भी करते हैं। उनकी हिन्दी कविताओं का अंग्रेजी, जर्मन और रुसी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। नागर हिन्दी कादंबिनी पत्रिका के कार्यकारी सम्पादक भी रह चुके हैं। आज के हिन्दी कवि सम्मेलन में उन्होंने अपनी प्रकाशित रचनाओं से कुछ अद्वितीय रचनाओं सिस्टम, गदहा, जनतंत्र और मुझे नहीं मालूम कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का प्रारंभ स्थानीय कवयित्री सीमा अग्रवाल, निधि गर्ग और रिंकु द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। मध्यप्रदेश इन्दौर से पधारे हिन्दी कवि डा पंकज विरमाल ने मधुर स्वर में मां सरस्वती की वंदना के उपरांत सुबह-सुबह कविता का सस्वर पाठ किया। पंजाबी कवयित्री डा मनजीत इंदिरा ने अपनी कविता साडा सूरज वी ओड़ो का संगीतमय वाचन किया। पंजाब से ही पधारी कवयित्री रजिन्दर कौर ने उस रात और आ जिन्दगी दी मुख ते की कविता का वाचन किया। झारखण्ड जमशेदपुर से पधारी कवयित्री सोनी सुगंधा ने अपनी रचना मां की सुंदर प्रस्तुति दी। स्थानीय युवा शायर शाहीर ने अपनी शायरी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री सूर्यलीप्सा साहू की कविता जंजीरे, रिंकु टौंक की कविता प्रेम और लिखने की वजह, अनूप अग्रवाल की कविता भुवनेश्वर और तिरंगा, किशन खण्डेलवाल की कविता दुपट्टा आजकल,नारायण दास मावतवाल की कविता विेदशी कुत्ता डिप्रेशन में, निधि गर्ग की कविता मुखौटा, डा शंकरलाल पुरोहित की ग्रामीण परिवेश पर आधारित कविता, मंजुला अस्थाना महंती द्वारा प्रस्तुत संवेदनशील कविता, रश्मि धवन की कविता अनुपस्थिति और युवा कवयित्री सुनन्दना पटनायक की कविता सरहद आदि भी श्रोताओं को काफी पसंद आईं। अवसर पर हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका विश्वमुक्ति का नवांक लोकार्पित हुआ। 39वें विश्व कवि कांग्रेस 2019 के तहत कीट भुवनेश्वर में पहली बार आयोजित हिन्दी कवि सम्मेलन को यादगार बनाने के खयाल से अंत में एक फोटो सत्र भी आयोजित किया गया। प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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