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भुवनेश्वर। कीट स्कूल आफ मैनेजमेंट द्वारा 10वां नेशनल एचआर संगोष्ठी कीट में 03अगस्त को आयोजित हुई। संगोष्ठी का थिम था-क्रिटिकल कंपटेंसीज फार दी फ्यूचर: इज चेंज दी ओनली कांस्टेंट? आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटनसत्र के बतौर मुख्य अतिथि कीट-कीस के संस्थापक तथा लोकसभा सांसद प्रो अच्युत सामंत ने अपने संबोधन में यह बताया कि आज किसी भी संगठन की कामयाबी में उसके मानव संसाधन की अहम भूमिका होती है। उसे समृद्ध बनाने की आवश्यकता है जिसका यथार्थ और प्रत्यक्ष उदाहरण उनके द्वारा स्थापित कीट-कीस। आज कीट-कीस अपनी असाधारण कामयाबी के क्षेत्र में जिस मुकाम पर आसीन है उसका पूरा यहां के मानव संसाधन को जाता है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हाल ही में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कीट को इंस्टीट्यूट आफ इमिनेंस टैग मिला है जो इस बात का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने बताया कि आज का युग ज्ञान का युग है। आज के युग में पुस्तकीय ज्ञान से कहीं अधिक अनुभव और प्रयोग का महत्त्व अधिक है। आमंत्रित अतिथि वक्ता के रुप में कोंटेपोर लिडरशिप सोल्युशन के सीइओ डा संजय मुथल ने बताया कि आज पूरे विश्व में विभिन्न संगठनों, संस्थाओं और कंपनियों की असाधारण कामयाबी के पीछे उसके मानव संसाधन की अहम भूमिका का अभूतपूर्व योगदान है। आज मानव संसाधन के क्षेत्र में गुणवत्ता को लेकर होड़ मची है। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एचके महंती ने बताया कि आज के साईबर वर्ल्ड और रुरल वर्ल्ड के युग में अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों को समाहितकर मानव संसाधन को समृद्ध बनाने की आवश्यकता है। प्रो अनिल बाजपेयी निदेशक कीट स्कूल आफ मैनेजमेंट ने 10वें नेशनल एचआर संगोष्ठी के आयोजन के उद्देश्य और औचित्य पर प्रकाश डाला। दो अलग-अलग सत्रों में आयोजित पैनल डिस्कशन में अनिल भसीन, लोपामुद्रा बनर्जी, नदीम काजीम, शैलेंद्र मरचेंट, अनुराधा खेकाले, ऋतु रैना, चन्दर थापड़ और गणेश सुब्रमन्यन आदि जैसे विश्वस्तरीय मानव संसाधन विशेषज्ञों ने निर्धारित विषय पर अपने-अपने बहुमूल्य सुझाव और विचार प्रस्तुत किये।
प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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