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बोली रग्बी खिलाड़ी, ‘अच्युत सामंत हम लोगों के भगवान हैं’

अशोक पाण्डेय 
भुवनेश्वर। भारतीय महिला रग्बी टीम की सदस्य हुपी माझी कहती हैं कि प्रो अच्युत सामंत तो हमारे लिए भगवान की तरह हैं। उनका ऋृण हम सात जन्मों में भी नहीं चुका सकते। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांसद प्रो अच्युत सामंत के प्रति समाज के लोगों के मन में कितनी श्रद्धा और आस्था है। पिछले दिनों कीस प्रांगण में कीट-कीस के संस्थापक और लोकसभा सांसद प्रो अच्युत सामंत द्वारा इण्डियन रग्बी महिला दल की कीस की पांच रग्बी खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। सुमित्रा नायक,हुपी माझी,रजनी सबर,मीरारानी हैंबरम और पार्वती किस्कु को प्रो अच्युत सामंत ने रग्बी किट्स के साथ फूल मालाएं प्रदान कर एवं उन्हें मिठाई खिलाकर उन्हें सम्मानित किया। गौरतलब है कि 17 जून से 23 जून तक प्रतियोगिता मनीला में आायोजित की गई थी जिसमें इंडियन रग्बी महिला दल ने अपनी प्रतिद्वंदी सिंगापुर को 21-19 अंक से शिकश्त देकर चैंपियनशिप कांस्य पदक जीता। भारतीय रग्बी महिला दल की कीस की खिलाड़ी सुमित्रा नायक ने खेल के अंतिम क्षणों में पेनाल्टी को गोल में बदलकर भारत के लिए कांस्य पदक दिलाया। प्रो अच्युत सामंत ने अपनी प्रतिक्रिया में यह बताया कि 2006 मंक कीस के बालक-बालिका रग्बी दल ने अन्तर्राष्टीय स्तर पर रग्बी खेलना आरंभ किया और आज इंडियन रग्बी महिला दल की 5कीस खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन से दल ने कांस्य पदक पहली बार जीता। प्रो सामंत ने इस कामयाबी के लिए भारतीय रग्बी महिला दल के आईआरएफयू और ओआरएफए से संबद्ध सभी पदाधिकारियों को भी बधाई दी है। आपको बता दें कि फिलिपींस की राजधानी मनीला में भारतीय महिला रग्बी टीम ने इतिहास रचा है। एशियाई रग्बी चैंपियनशिप के आख़िरी मैच में शक्तिशाली सिंगापुर की टीम को 21-19 से हराकर भारतीय महिला टीम ने न केवल किसी '15-ए-साइड' अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपनी पहली जीत हासिल की, बल्कि कांस्य पदक भी जीता। भारतीय टीम की 15 खिलाडियों में पांच ओडिशा से थीं। ये पाँचों लड़कियां भुवनेश्वर के 'कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज' यानी 'किस' की छात्राएं हैं। इनमें एक हैं सुमित्रा नायक जिन्होंने मैच ख़त्म होने के सिर्फ़ 2 मिनट पहले एक पेनल्टी स्कोर कर भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका अदा की। उस ऐतिहासिक क्षण के बारे में पूछते ही सुमित्रा का चेहरा खिल उठता है। वे कहतीं हैं कि हमारे लिए स्कोर करना मुश्किल हो रहा था क्योंकि सिंगापुर काफ़ी तगड़ी टीम है और पिछली बार हमें बहुत बुरी तरह हरा चुकी है। जाजपुर ज़िले के एक ग़रीब आदिवासी परिवार की लड़की सुमित्रा की मां की मृत्यु 1999 में हो गई थी। उस समय सुमत्रा बहुत छोटी थीं और उनके चार और भाई बहन भी थे। सुमित्रा के पिता के लिए परिवार संभालना मुश्किल हो रहा था। साल 2006 में कहीं से उन्होंने 'किस' के बारे में सुना और सुमित्रा को वहां दाख़िल करा दिया। बाद में उनके बाक़ी भाई-बहन भी वहां आ गए। साल 2007 में जब 'किस' की टीम ने लंदन में 14 वर्ष से कम आयु वर्ग की विश्व चैंपियनशिप का ख़िताब जीता, उसके बाद सुमित्रा रग्बी की क़ायल हो गईं और इस खेल में महारत हासिल करने की कोशिश में जी जान से जुट गईं। विजयी भारतीय टीम में शामिल 'किस' की बाक़ी चार लड़कियों की कहानी भी सुमित्रा की कहानी से मिलती-जुलती है। केओन्झर ज़िले की मीनारानी हेम्ब्रम के पिता के गुज़र जाने के बाद उनकी मां रोज़गार की तलाश में भुवनेश्वर आ गयीं और लोगों के घरों में बर्तन मांजकर गुज़ारा करने लगीं। फिर उन्होंने 'किस' के बारे में सुना और मीना का एडमिशन वहां करवा दिया। बेहद ग़रीब परिवार से आईं ये लड़कियां अगर आज एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत के लिए गौरव लाई हैं, तो इसका पूरा श्रेय 'किस' के फाउंडर और कंधमाल से लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्य डॉ अच्युत सामंत को जाता है। उन्होंने न केवल इन लड़कियों को मुफ्त पढ़ने-लिखने का अवसर दिया बल्कि उनके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग और बुनियादी सहूलियतें भी मुहैया करवाईं। विजयी भारतीय महिला रग्बी टीम की एक और सदस्य हुपी माझी कहती हैं कि वे तो हमारे लिए भगवान हैं। उनका ऋृण हम सात जन्मों में भी नहीं चुका सकते। हालांकि डॉ. सामंत मानते हैं कि यह सच है की रग्बी आज भी भारत में बहुत लोकप्रिय खेल नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हमने रग्बी के लिए ही ऐसा किया है। हमने हमेशा कोशिश की है कि सभी खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों, जिससे देश के कोने-कोने में, ख़ासकर आदिवासी इलाकों में छिपी हुई प्रतिभाओं को विकसित होने का मौक़ा मिले। इससे पहले डॉ सामंत ने 'किस' के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए दक्षिण अफ्रीका से एक कोच को बुलाया था। फिलिपींस में जीत की 'स्टार' सुमित्रा मानती हैं कि उस प्रशिक्षण से सभी खिलाड़ियों को काफ़ी फ़ायदा हुआ। अब तक धाविका दुती चांद ही 'किस' विश्ववियालय ('किस' का मूल प्रतिष्ठान) की 'मास्कट' रहीं हैं। लेकिन अब लगता है कि आने वाले दिनों मे खेलकूद की दुनिया में 27 हज़ार आदिवासी बच्चों के इस विशाल स्कूल से कई और सितारे उभरेंगे।
28 जून को दिल्ली में मीडिया से मुखातिब होगी रग्बी टीम 
28 जून को नई दिल्ली स्थित कन्स्टीच्यूशन क्लब के सभागार में रग्बी मीडिया से मुखातिब होगी। यह जानकारी संस्थान की पीआर प्रमुख श्रद्धांजलि नायक ने दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रो. अच्युत सामंत भी मौजूद रहेंगे।
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