नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पद का घमंड होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद का घमंड होने की वजह से उनके पत्रों का जवाब नहीं दे रहे हैं। अन्ना हजारे शनिवार (20 जनवरी) को महाराष्ट्र के सांगली के अटपादी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अन्ना ने कहा कि वह पिछले 3 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 30 से ज्यादा पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उन्होंने कभी उनका जवाब नहीं दिया, उन्हें प्रधानमंत्री पद का अहंकार है। अन्ना ने पहले कहा था कि वह 23 मार्च से नई दिल्ली में आंदोलन के अगले चरण की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार ऐसा बड़ा आंदोलन होगा जो पहले कभी नहीं हुआ और यह सरकार के लिए चेतावनी होगी। अन्ना ने कहा- ”रैलियों और आंदोलनों को करके वोटरों को जुटाने का मेरा इरादा नहीं है। जिस प्रकार जन लोकपाल के लिए आंदोलन हुआ था, मुझे भरोसा है कि उसी की तरह किसानों के मुद्दे पर आंदोलन होगा।”
अन्ना ने अपनी मांगें भी बताईं। उन्होंने कहा कि लोकपाल को अमल में लाना, लोकायुक्तों की नियुक्ति करना, किसानों के लिए 5000 हजार रुपये की पेंशन लागू करना और कृषि उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें तय करना मांगों में शामिल है। इससे पहले 18 जनवरी को अन्ना हजारे ने आरोप लगाया था जन लोकपाल बिल को नरेंद्र मोदी सरकार ने कमजोर कर दिया है। उन्होंने मोदी सरकार पर यह भी आरोप लगाया था कि मौजूदा सरकार को किसानों से ज्यादा उद्योगपतियों की फिक्र है। अन्ना ने देश के कृषि प्रधान कहे जाने पर निराशा व्यक्त की थी कि पिछले 12 वर्षों में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अन्ना ने मीडिया से अपने आंदोलन से जुड़ी एक और दिलचस्प बात बताई। उनसे पूछा गया था कि इस बार उनके लिए अरविंद केजरीवाल की जगह कौन लेगा? इस पर अन्ना ने कहा कि अबकी बार वह 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर आंदोलन से जुड़ने वालों से शपथ लिखवा रहे हैं। लोगों से शपथ ली जा रही है कि आंदोलन से जुड़ने पर वे किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ेंगे, चुनाव नहीं लड़ेंगे और देश की सेवा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शपथ लेने के बाद भी अगर कोई इसका पालन नहीं करता है तो उसे अदालत का सामना करना पड़ेगा। साभार जनसत्ता
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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