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मणि के ‘नीच’ से कांग्रेस में ‘उच्च’ अध्याय शुरू, संयमित बयानबाजी को लेकर ज्यादा संजीदा हैं राहुल गांधी

राजीव रंजन तिवारी 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अंतरंग मित्र रहे हैं। बावजूद इसके जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिशंकर अय्यर की जबान फिसली तो स्व. राजीव गांधी के पुत्र और कांग्रेस के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आव देखा न ताव तुरंत एक्शन लेते हुए मणिशंकर को पार्टी से निलंबित कर दिया। दक्षिण भारतीय होने के कारण मणिशंकर अय्यर के सामने भाषाई दिक्कते हैं, उन्हें हिन्दी कम आती है। पीएम मोदी को ‘नीच’ कहने का आशय उनका जो भी हो, पर प्रधानमंत्री के लिए ‘नीच’ शब्द का प्रयोग बेशक अक्ष्म्य व गलत है। इसे कांग्रेस के आला नेता राहुल गांधी ने भी माना और अपने पिता राजीव गांधी के दोस्त होने के बावजूद मणिशंकर अय्यर के खिलाफ तुरंत एक्शन लेते हुए पार्टी से निलंबित कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कई बार केन्द्र में मंत्री रहे मणिशंकर अय्यर के खिलाफ कार्रवाई कई मामलों में राहुल गांधी के उच्च मानदंडों वाली न्यायप्रियता को तो दर्शाती ही है साथ ही वह उनके उच्च राजनीतिक कद को भी परिलक्षित कर रही है। वजह स्पष्ट है कि अन्य किसी भी पार्टी में अनाप-शनाप बोलने वालों पर इतनी तेजी से कार्रवाई होते नहीं देखा गया है। यूं कहें कि इस ‘नीच’ घटनाक्रम के बाद कांग्रेस में ‘उच्च’ अध्याय की शुरूआत हुई है, जिसकी शायद ही कोई दूसरा उदाहरण मिले। कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर के पीएम मोदी के लिए ‘नीच’ वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के अध्यक्ष बनने जा रहे राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि मणिशंकर अय्यर को पीएम मोदी से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी और पीएम कांग्रेस पर हमला करने के लिए लगातार खराब भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कांग्रेस की अलग संस्कृति और विरासत है। मैं मणिशंकर द्वारा मोदी के लिए इस्तेमाल भाषा और लहजे की निंदा करता हूं। कांग्रेस और मुझे दोनों को ही लगता है कि उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। आपको बता दें कि मणिशंकर अय्यर द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को नीच इंसान बताने के बाद 07 दिसम्बर को राजनीतिक बखेड़ा खड़ा हो गया था। जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी जनसभा में अय्यर पर कड़ा हमला किया, वहीं दोनों ही पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक दूसरे पर हमला बोला। बीजेपी ने कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए अय्यर को दरबारी करार दिया, वहीं कांग्रेस ने बीजेपी को दलित विरोधी नीति वाली पार्टी बताया। अय्यर के बयान पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने हमारे पीएम को नीच कहा है, लेकिन हमें अपने पीएम पर गर्व है। प्रसाद के मुताबिक, पीएम ने बेहद शालीनता ने अय्यर की टिप्पणी का जवाब दिया है। दरअसल, कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के बयान से बीजेपी को फ्रंटफुट पर आकर हमलावर रुख अपनाने का मौका मिल गया तो कांग्रेस रक्षात्मक रवैया अपनाती दिखी। प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि ये आदमी बहुत नीच किस्म का है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है? मणिशंकर के बयान से होने वाले राजनीतिक नुक़सान को भांपकर राहुल गांधी के दफ्तर ने ट्वीट किया कि पीएम के लिए मणिशंकर अय्यर ने जिस भाषा और लहजे का इस्तेमाल किया है, मैं उसे ठीक नहीं मानता। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में वो मणिशंकर ही थे जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'चायवाला' कहकर संबोधित किया था और इससे पहले वे वाजपेयी को 'नालायक' कह चुके थे। सात दिसंबर को गुजरात चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार का आख़िरी दौर था और सूरत की रैली में प्रधानमंत्री जवाब देने का मौका चूकने वाले नहीं थे। प्रधानमंत्री ने मणिशंकर को जवाब दिया कि उन्होंने मुझे नीच कहा। हां, मैं समाज के ग़रीब तबके से आता हूं और मैंने अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी तबके के लिए काम करने में खर्च करूंगा। वे अपनी भाषा अपने पास रखें, हम अपना काम करते रहेंगे। हालांकि मणिशंकर ने सफ़ाई देते हुए कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर सेंटर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर ताना क्यों मारा? पीएम हर दिन हमारे नेताओं के ख़िलाफ़ गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। मैं एक फ्रीलांस कांग्रेसी हूं। पार्टी में मेरे पास कोई पद नहीं है। इसलिए मैं पीएम को इस भाषा में जवाब दे सकता हूं। जब मैंने नीच कहा तो मेरा मतलब लो लेवल था। जब मैं हिंदी में बोलता हूं तो मैं अंग्रेजी में सोचता हूं क्योंकि हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। इसलिए अगर मेरे कहे का कुछ और मतलब है तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। खैर, मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री को ‘नीच’ कहा और कांग्रेस ने उन पर तुरंत कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया। यह पूरे मसले का प्राथमिक पहलू है। इसमें दूसरा और अहम पहलू यह है कि मणिशंकर अय्यर के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करके कांग्रेस के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सियासत में उच्च मानदंडों को स्थापित करते हुए एक नए अध्याय की शुरूआत की है। शायद इस प्रकार का उदाहरण पहले ना के बराबर देखने को मिला है कि किसी नेता ने अपने विरोधी दल के नेता पर आपत्तिजनक लहजे में हमला बोला हो और उसकी पार्टी ने उस पर कार्रवाई की हो। देश के चर्चित पत्रकार तथा एक बड़े मीडिया घराने में लम्बे समय तक संपादक रहे देवप्रिय अवस्थी ने इस मुद्दे पर सोशल साइट फेसबुक पर बेहद सधे हुए अंदाज में टिप्पणी की है। श्री अवस्थी ने लिखा है कि अय्यर के खिलाफ त्वरित कार्रवाई यह सिद्ध करती है कि वर्ष 2018 की कांग्रेस बदली हुई नजर आएगी। अय्यर के निलंबन की कार्रवाई कांग्रेस के उन नेताओं के लिए संकेत है जो हकीकत की धरातल पर काम करने के बजाय केवल बयानबाजियां और चापलूसी कर अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्री अवस्थी का संकेत है कि राहुल गांधी को जो लोग ‘अबोध’ समझ रहे हैं, वे गलतफहमी में हैं। वहीं दूसरी ओर मणिशंकर अय्यर द्वारा पीएम को नीच कहने के दस मिनट के भीतर गुजरात की एक चुनावी सभा में बोलते हुए पीएम पलटवार करना और तुरंत दिल्ली में कानून मंत्री द्वारा प्रेस कांफ्रेस करना नूरा-कुश्ती को तो नहीं दर्शाता है? यह सवाल डिजिटल मीडिया के मंझे हुए पत्रकार हरेन्द्र मोरल ने उठाए हैं। हरेन्द्र ने फेसबुक पर लिखा है कि मणिशंकर के बयान पर पीएम का तुरंत पलटवार और दिल्ली में अय्यर के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस ‘फिक्स मैच’ की तरह लग रहा है। प्रतीत हो रहा है कि यह सब कुछ पहले से प्रायोजित था। खैर, सच्चाई जो हो, पर नीच शब्द ने राहुल गांधी को सियासत में उच्च मानदंड स्थापित करने का मौका दे दिया है। अब कांग्रेसी उल्टे भाजपा और मोदी पर हमलावर हैं कि जिस तरह राहुल गांधी ने मणिशंकर के खिलाफ कार्रवाई की है, क्या पीएम मोदी अथवा भाजपा के अन्य नेता भी राहुल और कांग्रेस के बारे में फालतू बकवासबाजी करने वालों पर कार्रवाई करेगी? शायद नहीं। बहरहाल, देखना यह है कि सियासत में नए अध्याय की शुरूआत करने वाले राहुल गांधी को मौजूदा गुजरात, वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या लाभ मिलता है?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तम्भकार हैं)
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