



सूरत में 25 किलोमीटर लंबा रोड शो
हार्दिक और प्रधानमंत्री मोदी की रैली में मौजूद रहे एक और वरिष्ठ पत्रकार दर्शन देसाई का कहना है, ''हार्दिक किसानों की परेशानी और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं, जिनसे गांव के युवाओं का सीधा जुड़ाव है क्योंकि उन्हें लगता है कि खेती में ज़्यादा मुनाफ़ा नहीं है और नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए ये लोग हार्दिक पटेल का समर्थन कर रहे हैं.'' ''वहीं प्रधानमंत्री मोदी में लोगों की दिलचस्पी ख़त्म हो रही है. एक मौक़े पर तो मोदी को दक्षिण गुजरात में अपनी रैली की जगह भी बदलनी पड़ी. मैंने पहले ज़माने में पीएम मोदी की वो रैलियां भी देखी हैं जिनमें ज़बरदस्त भीड़ उमड़ती थी और अब ये रैलियां भी देख रहा हूं जिनमें लोग नहीं पहुंच रहे.'' रविवार को हार्दिक पटेल ने सूरत में एक बड़ा रोड शो किया जिसमें छह विधानसभा चुनाव क्षेत्र का दौरा किया और उसके बाद सूरत के किरण चौक में एक रैली की. सूरत के वरिष्ठ पत्रकार फ़ैसल बकीली ने बीबीसी को बताया कि, ''हार्दिक का यह रोड शो 25 किलोमीटर लंबा था, जिसके बाद उन्होंने सूरत में एक रैली की. ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था. सड़क पर खड़े होने की जगह भी नहीं थी.'' ''और उसी दिन यानी रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने भी भरूच में एक रैली की जिसमें कुर्सियां खाली पड़ी थीं. इसी से सब पता चल जाता है. हार्दिक की रैली में आने वाली भारी भीड़ से पता चलता है कि पाटीदार भाजपा से कितने नाराज़ हैं.'' लेकिन भारतीय जनता पार्टी को ऐसा नहीं लगता कि उनकी रैलियों में कम लोग पहुंच रहे है.
पार्टी प्रवक्ता यमल व्यास ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हार्दिक पटेल के बीच कोई मुक़ाबला नहीं है. नरेंद्र मोदी इस देश के सबसे बड़े नेता हैं और हम उनकी रैली में पहुंच रहे लोगों की संख्या से संतुष्ट हैं. इससे पार्टी का माहौल भी काफ़ी सकारात्मक हुआ है.'' यमल व्यास के मुताबिक़ दक्षिण गुजरात में पीएम मोदी की रैली की जगह सुरक्षा कारणों से बदली गई थी. साभार बीबीसी
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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