राज्य कांग्रेस प्रमुख भरत सिंह सोलंकी ने भरोसा जताया कि इन नेताओं के ‘‘समर्थन और आशीर्वाद’’ से पार्टी कुल 182 सीटों में 125 से ज्यादा सीटें आसानी से जीत जाएगी, अल्पेश का साथ मिलने से जातिगत गणित में भाजपा पर भारी पड़ने लगी है कांग्रेस
नई दिल्ली। गुजरात के ठाकुर समुदाय के युवा नेता अल्पेश ठाकुर विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। अल्पेश ठाकुर ने शनिवार (21 अक्टूबर) को गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद ये घोषणा की। 23 अक्टूबर को अहमदाबाद में एक रैली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में अल्पेश ठाकुर कांग्रेस में शामिल होंगे। अल्पेश ठाकुर ओबीसी एकता मंच के नेता है। सूत्रों के मुताबिक अल्पेश ठाकुर बनासकांठा जिले के वाव सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोटर्स का बड़ा रोल है। राज्य में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 54 फीसदी है, लिहाजा हर पार्टी इस समुदाय को अपने पक्ष में करना चाहती है। अल्पेश ठाकुर ने दावा किया है कि 23 अक्टूबर की रैली में 5 लाख लोग जुटेंगे। इससे पहले कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए आज पाटीदार आरक्षण आंदोलन चलाने वाले हार्दिक पटेल, ठाकुर समुदाय के नेता अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी को पार्टी के साथ हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित किया था। इन नेताओं के अलावा कांग्रेस ने शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और राज्य से जदयू के एकमात्र विधायक छोटू भाई वसावा को साथ लाने के लिए चुनावपूर्व गठबंधन का संकेत दिया है।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य कांग्रेस प्रमुख भरत सिंह सोलंकी ने भरोसा जताया कि इन नेताओं के ‘‘समर्थन और आशीर्वाद’’ से पार्टी कुल 182 सीटों में 125 से ज्यादा सीटें आसानी से जीत जाएगी। सोलंकी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हालांकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही है पर गांधीनगर के लिए कांग्रेस के विजय मार्च को रोकने में उसे सफलता नहीं मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिस कारण के लिए हार्दिक पटेल लड़ रहे हैं हम उसका सम्मान और अनुमोदन करते हैं । मैं हार्दिक से चुनावों के दौरान कांग्रेस का समर्थन करने की अपील करता हूं। अगर वह भविष्य में चुनाव लड़ना चाहें तो हम उन्हें टिकट देने के लिए भी तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह हमने जिग्नेश मेवानी को भी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित किया है । मैंने छोटू वसावा को भी कांग्रेस का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया है जिन्होंने राज्य सभा चुनावों में हमारी मदद की थी । ’’ उन्होंने कहा कि राकांपा ने राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस को ‘‘धोखा’’ दिया था लेकिन वो गुजरात से भाजपा को उखाड़ फेंकना चाहते हैं तो पार्टी के दरवाजे अभी भी उनके लिए खुले हैं। साभार जनसत्ता
अल्पेश का साथ मिलने से जातिगत गणित में मजबूत हुई कांग्रेस
नई दिल्ली से अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्र ने लिखा है कि गुजरात में पिछड़ी जाति के मसीहा बनकर उभरे अल्पेश ने कांग्रेस का दामन थामने का ऐलान किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अल्पेश ने कहा है कि वे 23 अक्टूबर को गुजरात में होने वाली रैली के बीच कांग्रेस में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस रैली में राहुल गांधी भी शामिल होंगे। तो पटेल नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्रेश मवानी ने कांग्रेस को साथ देने के संकेत पहले ही दे दिए हैं। अल्पेश के कांग्रेस में जाने के ऐलान को कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है। वे उत्तर गुजरात के बनासकांठा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ सकते हैं। अल्पेश के कांग्रेस में जाने के ऐलान को भाजपा के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा आलाकमान भी परदे के पीछे से अल्पेश को साधने में जुटी हुई थी। मगर अल्पेश की बाजी कांग्रेस ने मार ली है। बताया जा रहा है कि अल्पेश को साधने के पीछे कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल का बड़ा योगदान है। अक्टूबर के शुरूआत में अल्पेश ने दिल्ली आकर पटेल से मुलाकात भी की थी। अल्पेश के कांग्रेस का दामन थामने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गुजरात में पिछड़ों की वोट प्रतिशत करीब 54 प्रतिशत है। और बीते दो वर्षों में अल्पेश पिछड़ों के बड़े चेहरा बनकर उभरे हैं। अल्पेश ने कांग्रेस का दामन थामने के ऐलान के साथ गुजरात के किसानों की समस्या, बेरोजगारी और अवैध शराब के व्यवसाय को लेकर भाजपा पर हमला बोला है। अल्पेश के अलावा गुजरात में युवा नेता बनकर उभरे हार्दिक पटेल और जिग्रेश मवानी ने पहले ही भाजपा विरोध की बात कर कांग्रेस को समर्थन देने का संकेत कर चुका है। हार्दिक पटेल ने कहा है कि गुजरात में भाजपा को हराने के लिए सबको एकजूट होना पड़ेगा। अल्पेश ने स्पष्ट कहा है कि वे हार्दिक और जिग्रेश तीनों युवा नेता भाजपा के विरूद्ध जा रहे हैं। पटेल आरक्षण अांदोलन के वजह से हार्दिक पटेलों के बीच लोकप्रिय हैं। तो जिग्रेश उना में दलितों के खिलाफ हुए मामले के बाद दलित नेता के रूप में उभरे हैं। इन तीनों ही नेताओं ने बीते दो वर्षों से गुजरात में न सिर्फ भाजपा सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं। बल्कि अपने-अपने वर्ग में इन्होंने गहरी पैठ भी बनाई है। अब चुनाव के ऐन मौके पर भाजपा के खिलाफ जाने का ऐलान कर इन्होंने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा तेज है कि इन तीनों नेताओं के कांग्रेस के साथ जाने के बाद जातिगत जमीन पर भाजपा कमजोर पड़ेगी। साभार अमर उजाला
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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