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गुजरात में फिसली पीएम नरेंद्र मोदी की जुबान, ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर दिए गलत तथ्य!

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 31 किलोमीटर लंबी घोघा-दाहेज ‘रो-रो फेरी सेवा’ (नौका सेवा) के पहले चरण का शुभारंभ किया। भारत में ‘अपनी तरह की इस पहली परियोजना’ को प्रधानमंत्री ने इसे पूरे ‘दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए मील का पत्थर’ करार दिया। 650 करोड़ रुपये की लागत से बना यह सर्विस लिंक पश्चिमी गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के भावनगर जिले में घोघा को अरब सागर में खंभात की खाड़ी के पास दक्षिण गुजरात के भरुच जिले में दाहेज से जोड़ता है। इस परियोजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए मोदी ने कहा कि फेरी सेवा उनकी ओर से ‘भारत के लिए अमूल्य उपहार’ है और उन्होंने दावा किया कि दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए यह अपनी तरह की पहली परियोजना है। उन्होंने कहा कि इस सेवा से 360 किलोमीटर की दूरी 31 किलोमीटर या सात घंटे की यात्रा एक घंटे में सीमित हो जाएगी। मोदी ने कहा, “यह घोघा और दाहेज के बीच एक परियोजना लग सकती है लेकिन यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी एक मील के पत्थर वाली परियोजना है। यह नौका सेवा अपनी तरह की पहली है। यह गुजरात के लोगों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है।” हालांकि यह एशिया में अपनी तरह की पहली परियोजना नहीं है। पत्र सूचना ब्यू रो पर मौजूद 21 मार्च, 2017 की विज्ञप्ति के अनुसार, असम के ढुबरी जिले में 4 मार्च को ‘रो रो’ सेवा का सफल ऑपरेशन किया गया था। यहां 29 किलोमीटर लंबा जलमार्ग कवर होता है। इसे लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने बाद में नौका से दाहेज तक की यात्रा की जिसमें उनके साथ कुछ दिव्यांग बच्चे मौजूद थे। मोदी ने उन्हें ‘विशेष अतिथि’ कहकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि फेरी सेवा के बारे में उन्होंने केवल स्कूल के दिनों में ही सुना था, जिसकी शुरुआत करने का उन्होंने प्रयास किया है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “ऐसा लगता है कि सभी अच्छे कामों का कार्यान्वयन मेरी किस्मत में है।” मोदी ने कहा, “नए बदलाव घिसे-पिटे रवैये से नहीं बल्कि नई सोच से आते हैं। हमने सोचने के तरीके को बदल दिया है।” मोदी ने पिछली कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसी प्रक्रियात्मक कारकों का निर्माण किया था, जिसके कारण रो-रो जैसी सेवा परियोजनाओं को पूरा कर पाना असंभव सा हो गया था। मोदी ने कहा कि पहले की केंद्रीय सरकारें रो-रो सेवा प्रदाता से टर्मिनल बनाने की इच्छा करती थीं। उन्होंने कहा, “मुझे बताइए, क्या विमान संचालक हवाई अड्डों का निर्माण करते हैं या फिर बस ऑपरेटर सड़कों का निर्माण करता हैं? यह सरकार का काम है, इसलिए हमने इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया।” प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पहले की सरकारों ने गुजरात की कई विकास परियोजनाओं को रोकने की कोशिश की लेकिन पद संभालने के बाद उन्होंने राज्य के विकास को चुनौती देने वाले कई मुद्दों को सुलझा लिया था। मोदी ने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब हमें केंद्र सरकार से शत्रुतापूर्ण रवैये का सामना करना पड़ता था। उद्योगों और राज्य की प्रगति को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए। पिछले तीन वर्षों में हमने इसे बदल दिया है।” यह फेरी सेवा 1995 से विभिन्न तकनीकी और वित्तीय मुद्दों के कारण लटकी रही थी। जबकि इसपर विचार 1960 की शुरूआत में ही कर लिया गया था। नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री 2012 में वर्तमान कार्यों के लिए आधारशिला रखी थी। इस सेवा के तहत नौका 500 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। बाद के चरणों में, यह फेरी सेवा खाड़ी में कारों और ट्रकों को ले जाने में भी सक्षम हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाद के चरण में इस योजना का विस्तार हजीरा, केंद्रशासित प्रदेश दीव-दमन और सौराष्ट्र के कई हिस्सों तक करने के लिए कार्य चल रहा है। मोदी ने कहा कि सेवाओं को केवल एक मार्ग तक ही सीमित नहीं किया जाएगा। मोदी ने कहा, “हम नौका के माध्यम से अन्य स्थानों को भी जोड़ने की योजना बना रहे हैं। मुझे बताया गया है कि कच्छ की खाड़ी में भी इसी तरह की परियोजना के लिए एक पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार है।” साभार जनसत्ता
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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