वाराणसी। केंद्र सरकार और उत्त प्रदेश सरकार की संयुक्त जाँच दल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अस्पताल में तीन दिन के अंदर समान्य से ज्यादा मौतों की जाँच कर रहा है। इस जाँच दल को पता चला है कि बीएचयू के अस्पताल में मरीजों को बेहोश करने के लिए इंडस्ट्रियल गैस का इस्तेमाल किया जाता था जिसका प्रयोग मरीजों पर नहीं किया जाता। इस गैर का प्रयोग उन मरीजों पर किया जाता था जिनकी सर्जरी करने के लिए उन्हें बेहोश करना जरूरी होता था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार छह जून से आठ जून के बीच बीएचयू के अस्पताल में कम से कम 14 लोगों की मौत हुई जो अस्पताल में सर्जरी के लिए भर्ती हुए थे। मरीजों की मौत के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की जाँच का आदेश दिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उसके पास मौजूद जाँच रिपोर्ट में कहा गया है, “पता चला है कि अस्पताल में नॉन-फार्मास्यूटिकल (गैर-चिकित्सकीय) नाइट्रस आक्साइड का प्रयोग किया जा रहा था। ये गैस उन गैसों की श्रेणी में नहीं आती जिनका इस्तेमाल चिकित्सा के लिए किया जाता है।” 18 जुलाई को दी गयी इस रिपोर्ट के उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने तैयार किया है। हालांकि जांच में ये नहीं कहा गया है कि क्या सामान्य से ज्याद संख्या में हुई मौतों के लिए नाइट्रस आक्साइड (एन2ओ) जिम्मेदार है या नहीं?
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बीएचयू अस्पताल में गैस की आपूर्ति करने वाली इलाहाबाद स्थिति निजी कंपनी परेरहट इंडस्ट्रियल एंटरप्राइजेज के पास मेडिकल गैस बनाने या बेचने का लाइसेंस नहीं है। कंपनी के निदेशक अशोक कुमार बाजपेयी इलाहाबाद उत्तरी के बीजेपी विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी के पिता हैं। उनके पास कंपनी के 1.21 करोड़ रुपये के शेयर हैं। कंपनी के मालिक से स्टील, केमिकल, पेपर मिल और सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां भी चलाते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद के असिस्टेंट ड्रग इंस्पेक्टर केजी गुप्ती द्वारा दिये गये एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि उत्तर प्रदेेश फूड सेफ्टी विभाग ने कंपनी के नैनी स्थिति कारखाने को कोई लाइसेंस नहीं दिया है, न तो नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाने का और न ही ऑक्सीजन बनाने का। हर्षवर्धन बाजपेयी ने टीओआई से बातचीत में माना कि उनकी कंपनी के पास गैस बनाने और बेचने का लाइसेंस नहीं लेकिन उन्होंने बीएचयू अस्पताल में हुई मौतों के लिए गैस को वजह बताने के आरोपों को खारिज किया। बीएचयू बीते महीने तब चर्चा में आया जब एक छात्रा के संग हुई छेड़खानी के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन के रुख से नाराज छात्राओं पर सुरक्षा गार्ड और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। विवाद के बाद बीएचयू के वीसी जीसी त्रिपाठी छुट्टी पर चले गये। वहीं घटना के समय चीफ प्राक्टर ओएन सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह रोयाना सिंह को चीफ प्राक्टर बनाया गया। रोयाना सिंह बीएचयू के 100 साल से ज्यााद के इतिहास में पहली महिला चीफ प्राक्टर हैं। साभार जनसत्ता
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।