नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व समुदाय के समक्ष पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि हैवानियत की हदें पार करने वाला मुल्क हमें इंसानियत का पाठ पढ़ा रहा है। आतंकवाद पर पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि हम गरीबी से लड़ रहे लेकिन हमारा पड़ोसी देश हमसे लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हम एक साथ आजाद हुए लेकिन विश्व में हमारी पहचान सुपरपावर के रूप में बनी जबकि पाकिस्तान की पहचान एक आतंकी व दहशतगर्द मुल्क के रूप में बनी। हमने आईआईटी, आईआईएम, एम्स और विश्व स्तरीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र बनाए जबकि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क जैसी आतंकी संगठन बनाए। आतंकवाद को मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा बताते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आश्चर्य व्यक्त किया कि यदि यूएन महासभा ही आतंकियों की सूची पर सहमत नहीं होगी तो विश्व समुदाय इस गंभीर खतरे से कैसे निपट पाएगा।
महासभा के 72वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'आतंकवाद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जिसका समाधान संयुक्त राष्ट्र तलाश रहा है। यदि हम अपने दुश्मन (आतंकवाद) को ही परिभाषित करने पर सहमत नहीं होंगे तो इससे मिलकर कैसे लड़ सकते हैं? यदि हम अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच भेद करते रहेंगे तो इससे मिलकर कैसे लड़ सकते हैं? केंद्र की मोदी सरकार की जनधन योजना का भी सुषमा ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में किसी ने नहीं सुना होगा कि एक व्यक्ति के पास पैसा नहीं है लेकिन पासबुक है। उज्ज्वला योजना को सुषमा ने गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलिंडर महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार का महत्वपूर्ण कदम बताया। जलवायु परिर्तन के मुद्दे पर सुषमा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता। समस्याओं को सुलझाने वाली समस्या खुद भी समस्याग्रस्त। सुषमा ने कहा कि यूएन में सुधार के लिए सबसे पहले यूएनएसए में विस्तार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यूएन महासचिव से सभी को उम्मीदें। यह विषय भारत की संस्कृति के अनुरूप। अंत में सुषमा ने गीता के श्लोक सर्वे भवन्तुं सुखिन: के साथ कहा कि हम सभी के सुख की कामना करते हैं।
यूएन में सुषमा स्वराज के भाषण पर पीएम मोदी ने उनकी पीठ थपथपाई। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि सुषमा स्वनराज ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है। आतंकवाद पर उन्होंने कड़ा संदेश दिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए शीघ्र बातचीत शुरू करने की मांग की। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उम्मीद जताई कि वैश्विक संस्था के शीर्ष संगठन में सुधार की प्रक्रिया ‘प्राथमिकता’ के आधार पर शुरू होगी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में सुषमा स्वराज ने कहा, ‘वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद में लंबे समय से अटके सुधार के लिए बातचीत का प्रस्ताव को आम सहमति से स्वीकार किया था और इस मुद्दे पर बातचीत के लिए मंच तैयार कर दिया गया था। पिछले सत्र में शुरू किए गए सुरक्षा परिषद में सुधार और विस्तार के प्रस्ताव का 160 से अधिक देशों ने समर्थन किया था। यदि हम गंभीर हैं तो कम से कम एक प्रस्ताव पेश करें जो बातचीत का आधार बने।’
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